कौन हैं मौलाना मुक्तदा अल-सद्र, राजनीति से संन्यास के एलान से इराक में भड़क गए दंगे
मुक्तदा अल-सद्र के करीबी बताते हैं कि वह अपने पिता और ससुर के विचारों से बेहद इत्तेफाक रखते हैं। पिछले अक्टूबर में हुए चुनाव में अल-सद्र की पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीती थी लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे। इसके बाद राजनीतिक गतिरोध बढ़ता गया।
By TilakrajEdited By: Updated: Tue, 30 Aug 2022 01:19 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। मुक्तदा अल-सद्र के राजनीति से संन्यास लेने के फैसले ने पूरे इराक को हिला कर रख दिया है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं, जगह-जगह उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में सेना को कर्फ्यू लगाना पड़ा है। क्या आप जानते हैं कि मुक्तदा अल-सद्र कौन हैं? आखिर, वे इतने प्रभावशाली कैसे बन गए कि उनके राजनीति छोड़ने से देश में उथल-पुथल हो रही है। आइए आपको बताते हैं कि इराक की राजनीति में क्या मायने रखते हैं मुक्तदा अल-सद्र के मायने...!
मुक्तदा अल-सद्र के पिता की सद्दाम ने की थी हत्या
सद्दाम हुसैन के पतन के साथ ही मुक्तदा अल-सद्र का उदय 2003 के आसपास हुआ था। वह ग्रैंड अयातुल्ला सैय्यद मुहम्मद मुहम्मद-सादिक अल-सद्र के बेटे हैं। मुक्तदा अल-सद्र के पिता की 1999 में सद्दाम हुसैन ने हत्या कर दी थी। सद्दाम हुसैन की मौत के बाद शिया समर्थन से मुक्तदा अल-सद्र धीरे-धीरे इराक के सबसे चर्चित शख्स बन गए। मुक्तदा अल-सद्र ने इराक में कई मुद्दों को प्रमुखता से उठाया, जिनपर जनता ने उन्हें समर्थन दिया। इराक में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए मुक्तदा अल-सद्र ने आंदोलन भी किया, जिससे उनका राजनीतिक कद और बढ़ता चला गया।
इराक में पिछले 10 महीने से कोई स्थाई प्रधानमंत्री नहीं
मुक्तदा अल-सद्र के करीबी बताते हैं कि वह अपने पिता और ससुर के विचारों से बेहद इत्तेफाक रखते हैं। पिछले अक्टूबर में हुए चुनाव में अल-सद्र की पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीती थी, लेकिन वह बहुमत तक नहीं पहुंच पाए थे। इसके बाद राजनीतिक गतिरोध बढ़ता गया। इराक का राष्ट्रपति बनने के लिए जरूरी बहुमत न जुटा पाने की वजह से मुक्तदा अल-सद्र ने सरकार बनाने की बातचीत से खुद को बाहर कर लिया था। इराक में पिछले दस महीने से ना तो कोई स्थाई प्रधानमंत्री है, ना कोई मंत्रिमंडल है और ना ही कोई सरकार है। अब नई सरकार के गठन को लेकर फिर से एक महीने से गतिरोध चल रहा है। अल-सद्र अब जल्द चुनाव कराने और संसद को भंग करने की मांग कर रहे थे।एक ट्वीट से मच गया बवाल
मुक्तदा अल-सद्र ने एक ट्वीट करके राजनीति से संन्यास लेने और अपने पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने का एलान कर इराक की राजनीति में बवाल ला दिया है। शिया धर्मगुरू मुक्तदा अल-सद्र के समर्थन में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच इराकी सेना ने सोमवार को चार बजे शाम से देशव्यापी कर्फ्यू की घोषणा कर दी है।