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कौन हैं फूट-फूटकर रोने वाले सेंथिल बालाजी? जिन्हें ED की कार्रवाई देख बाईपास सर्जरी की पड़ गई जरूरत

Senthil Balaji Arrest तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार में ऊर्जा मंत्री सेंथिल बालाजी का जन्म 21 अक्टूबर 1975 में करूर जिले में हुआ था। उन्होंने 1997 में राजनीति में एंट्री की और फिर पहली बार निकाय चुनाव लड़ा।

By Anurag GuptaEdited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 14 Jun 2023 07:12 PM (IST)
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कौन हैं फूट-फूटकर रोने वाले सेंथिल बालाजी

चेन्नई, ऑनलाइन डेस्क। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने तमिलनाडु के ऊर्जा मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बुधवार को धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उन्हें स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 28 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, ईडी ने मंगलवार को द्रमुक के कद्दावर नेता सेंथिल बालाजी से जुड़े दफ्तरों में छापेमारी की थी। इसी मामले में बुधवार को सेंथिल बालाजी से काफी देर पूछताछ भी की। हालांकि, बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले सेंथिल बालाजी की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें बाई पास सर्जरी कराने की सलाह दी। हालांकि, जब उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल ले जाया जा रहा था तब वो फूट-फूटकर रो रहे थे।

ऐसे में इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि आखिर सेंथिल बालाजी हैं कौन? उन पर क्या आरोप हैं? सेंथिल बालाजी के ऊपर लगे आरोपों पर द्रमुक का क्या स्टैंड है? विपक्षी पार्टियां क्या कह रही हैं? इत्यादि

कौन हैं सेंथिल बालाजी?

तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार में ऊर्जा मंत्री सेंथिल बालाजी का जन्म 21 अक्टूबर, 1975 में करूर जिले में हुआ था। उन्होंने 1997 में राजनीति में एंट्री की और फिर पहली बार निकाय चुनाव लड़ा। साल 2000 में सेंथिल बालाजी को पहली बार करूर क्षेत्र से विधानसभा जाने का मौका मिला और अगले चुनाव भी जीत दर्ज की। हालांकि, 2016 में सेंथिल बालाजी ने अरवाकुरिची निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन 2021 में उन्होंने वापस करूर सीट से अपनी किस्मत आजमाई, जहां पर उन्हें सफलता मिली।

सेंथिल बालाजी का अन्नाद्रमुक से हुआ था मोहभंग

सेंथिल बालाजी को अन्नाद्रमुक सरकार की प्रमुख योजनाओं में शामिल 'अम्मा जल' का क्रेडिट दिया जाता है। दरअसल, सेंथिल बालाजी ने साल 2013 में गरीबों को सस्ते दरों पर पानी मुहैया कराने का काम किया था। हालांकि, जयललिता के निधन के बाद उनका पार्टी से मोहभंग होने लगा था। इसके बावजूद उन्होंने वीके शशिकला-टीटीवी दिनाकरण गुट का समर्थन किया था, लेकिन अंतत: 2018 में उन्होंने अन्नाद्रमुक को अलविदा कहने का मन बनाया।

सेंथिल बालाजी उन नेताओं में से एक थे जिन्होंने आय से अधिक मामले में जयललिता के बरी होने पर अपना सिर मुंडवाकर जश्न मनाया था। यहां तक कहा जाता है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र की जनता का उनके साथ सीधा जुड़ाव है। इन्हीं कुछ कारणों की वजह से उनकी लोकप्रियता में चार चांद लगे हैं। हालांकि, सेंथिल बालाजी स्टालिन नीत सरकार में केंद्रीय एजेंसी की इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले पहले मंत्री हैं।

सेंथिल बालाजी पर क्या है आरोप?

अन्नाद्रमुक सरकार में शामिल रहे सेंथिल बालाजी पर पैसे की एवज में नौकरी देने का आरोप है। दरअसल, साल 2011 से 2015 के बीच में हुए एक नौकरी घोटाले में सेंथिल बालाजी आरोपी हैं। उस समय वह तत्कालीन अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री थे। हालांकि, जे जयललिता के निधन के बाद उन्होंने अन्नाद्रमुक को अलविदा कहा और साल 2018 में द्रमुक का दामन थाम लिया था।

मेट्रो ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (MTC) में एक तकनीकी कर्मचारी द्वारा साल 2018 में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद मद्रास हाई कोर्ट में यह मामला उठा था। कहा तो यहां तक जाता है कि पैसे लेने के बावजूद उम्मीदवारों को नौकरी नहीं दी गई थी।

क्या है द्रमुक का स्टैंड?

सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद से द्रमुक नेता लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साधा। स्टालिन सरकार में मंत्री पीके शेखर बाबू ने दावा किया,

सेंथिल बालाजी आईसीयू में हैं। वह अचेत अवस्था में थे और जब उनका नाम लेकर पुकारा गया, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह निगरानी में हैं… उनके कान के पास सूजन है। चिकित्सकों का कहना है कि ईसीजी में उतार-चढ़ाव है… ये सभी उन्हें प्रताड़ित किए जाने के संकेत हैं।

इस बीच, मुख्यमंत्री स्टालिन ने अपने वरिष्ठ सहयोगियों के साथ चर्चा की। इससे पहले उन्होंने ईडी की कार्रवाई को 'डराने-धमकाने की राजनीति' करार दिया था।

वहीं, तमिलनाडु के मंत्री मा सुब्रमण्यन ने कहा कि सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी लोकतंत्र की हत्या है। लोकसभा चुनाव से पहले डीएमके को निशाना बनाया गया है। गिरफ्तारी में किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया...

उन्होंने कहा कि भाजपा एक नकली कहानी बनाने की कोशिश कर रही है कि डीएमके एक भ्रष्ट पार्टी है। वे ईडी जैसी संस्थाओं की मदद से ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं। पटना में संयुक्त विपक्षी दल की बैठक हो रही है, इसलिए भाजपा घबराहट में ऐसा कर रही है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, 

यह कार्रवाई किस रियासत में नहीं हुई या किस विपक्षी दल के साथ नहीं हुई? यह हमारी सियासत करने का एक छोटा सा हिस्सा है। जिस तरह से सीबीआई ने उन मंत्री के साथ बर्ताव किया हम उसकी निंदा करते हैं। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार उनको बाईपास सर्जरी की जरूरत है।

सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'नौकरी के बदले पैसे' घोटाले में पुलिस और ईडी को सेंथिल बालाजी के खिलाफ जांच की अनुमति दी थी, जिसके कुछ महीने बाद केंद्रीय एजेंसी ने यह कार्रवाई की।