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इसरो के पहले मानव अंतरिक्षयान में कौन होगा सहयोगी, रूस या अमेरिका? पढ़ें किसका पलड़ा है भारी

नासा के प्रशासक बिल नेल्सन रविवार (27 नवंबर 2023) को भारत पहुंच रहे हैं। उनकी भारत सरकार के अधिकारियों से भी मुलाकात होनी है और वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे जहां भारत व अमेरिका के बीच भावी अंतरिक्ष सहयोग के मसौदे पर बात होनी है। अभी तक रूस भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में सबसे बड़ा सहयोगी देश रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 26 Nov 2023 07:04 PM (IST)
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रूस या अमेरिका, कौन होगा इसरो के पहले मानव अंतरिक्षयान में सहयोगी? (फाइल फोटो)
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में पहला मानव अंतरिक्ष यान भेजने की तैयारी में जुटा इसरो अपनी इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में किस देश को सहयोगी बनाएगा? अमेरिका या रूस? अभी नासा का पलड़ा भारी लग रहा है।

27 नवंबर को भारत दौरे पर आ रहे नासा के प्रशासक

नासा के प्रशासक बिल नेल्सन रविवार (27 नवंबर, 2023) को भारत पहुंच रहे हैं। उनकी भारत सरकार के अधिकारियों से भी मुलाकात होनी है और वह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुख्यालय का भी दौरा करेंगे, जहां भारत व अमेरिका के बीच भावी अंतरिक्ष सहयोग के मसौदे पर बात होनी है।

भारत का सबसे बड़ा सहयोगी रहा है रूस

अभी तक रूस भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में सबसे बड़ा सहयोगी देश रहा है, लेकिन यूक्रेन युद्ध की वजह से दोनों देशों के अंतरिक्ष सहयोग के प्रभावित होने के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में नासा प्रमुख का भारत आने की अहमियत बढ़ गई है।

अमेरिका के साथ मजबूत हो रहे भारत के रिश्ते

एक तरफ भारत और रूस के बीच अंतरिक्ष सहयोग की रफ्तार धीमी पड़ रही है, वहीं अमेरिका के साथ इस क्षेत्र में रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच इस साल दो बार (जून और सितंबर, 2023) हुई द्विपक्षीय मुलाकातों में अंतरिक्ष सहयोग बहुत ही अहम रहा है। जी-20 शिखर सम्मेलन के ठीक पहले मोदी और बाइडन के बीच हुई मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया,

दोनों नेताओं ने अंतरिक्ष से जुड़े सभी क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बाहरी अंतरिक्ष में खोज अभियान के लिए भारतीय एजेंसी इसरो और अमेरिकी एजेंसी इसरो के बीच साझेदारी को गहरा करने, वर्ष 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और वर्ष 2023 के अंत तक मानव अंतरिक्ष उड़ान सहयोग साझेदारी को अंतिम रूप देने की सहमति बनी है।

यह पहला मौका था जब दोनों देशों की सरकारों के प्रमुखों के बीच मानव अंतरिक्ष अभियान चलाने पर बात हुई थी। कूटनीतिक सूत्र बता रहे हैं कि नासा के प्रशासक नेल्सन की इस यात्रा के दौरान मानव अंतरिक्ष सहयोग उड़ान से जुड़े तमाम मुद्दों पर अंतिम सहमति बनने की उम्मीद है।

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मोदी और रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच दिसंबर, 2021 में हुई द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान अंतरिक्ष सहयोग पर समझौता हुआ था। संयुक्त तौर पर अंतरिक्ष में मानव भेजने पर सहमति बनी थी। लेकिन इस समझौते को आगे बढ़ाने को लेकर दोनो देशों की एजेंसियों के स्तर पर खास बातचीत नहीं हुई है। एक वजह यूक्रेन युद्ध की वजह से रूस पर लगाया गया अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं।

बताया जाता है कि रूस के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने की दिक्कतों को देखते हुए ही इसरो और नासा के बीच सहयोग की रफ्तार तेज हो रही है। वैसे गगनयान अभियान के लिए चार चयनित अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग रूस के स्पेस केंद्र में ही दी गई है।

इसरो की तरफ से अंतरिक्ष में मानव चालित यान भेजने के बारे में केंद्र सरकार की तरफ से 17 अक्टूबर, 2023 को ही एक बयान जारी किया गया है। इसके मुताबिक, प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया कि भारत को अब नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्यों का लक्ष्य रखना चाहिए, जिसमें 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजना शामिल है।

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इसरो ने अंतरिक्ष में शोध व अनुसंधान के लिए गगनयान अभियान पर काम कर रहा है, जिसके तहत पहली बार तीन दिनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी है। गगनयान-एक अंतरिक्ष यान संभवत: जनवरी या फरवरी, 2023 में लाांच किया जाएगा। इसके आसपास ही भारत और अमेरिकी एजेंसियों के सहयोग से तैयार पहला संयुक्त अंतरिक्षयान नासा-इसरो एसएआर (NISAR) लांच किया जाना है।

नासा के प्रशासक इसरो मुख्यालय में इन सभी भावी लांचिंग प्रोजेक्ट्स पर विमर्श करेंगे। दोनों देश नीसार को काफी ज्यादा महत्व दे रहे हैं, जो पर्यावरण में हो रहे बदलावों, भौगोलिक परिदृश्य में हो रहे बदलाव, समुद्र जल के बढ़ते खतरे या भूजल के घटते स्तर को लेकर लगातार सटीक सूचनाएं भेजेगा।