Big Earthquake in Delhi :दिल्ली-NCR में आखिर क्यों आ सकता है एक बड़ा भूकंप, जानें - क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Big Earthquake in Delhi NCR ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर इस इलाकें में बार-बार भूकंप के झटके आने के पीछे प्रमुख कारण क्या है। कहीं यह किसी बड़े भूकंप की आहत तो नहीं। दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप आने के पीछे क्या कारण है।
By Ramesh MishraEdited By: Updated: Sun, 13 Nov 2022 11:37 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। Big Earthquake in Delhi NCR: दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में एक हफ्ते में दूसरी बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर इस इलाकें में बार-बार भूकंप के झटके आने के पीछे प्रमुख कारण क्या है। ऐसे में एक डर यह भी पैदा होता है कि क्या यह किसी बड़े भूकंप की आहट तो नहीं। आखिर दिल्ली-एनसीआर में बार-बार भूकंप आने के पीछे क्या कारण है। दिल्ली में जमीन के नीचे क्या चल रहा है। आइए जानते हैं कि इन सारे मामलों में विशेषज्ञों की क्या राय है।
दिल्ली-एनसीआर में वैज्ञानिकों को सता रहा है ये भय
1- विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है। हालांकि, यह कब आएगा और कितना ताकतवर होगा, इसकी सटीक भविष्यवाणी कर पाना मुश्किल है। वैज्ञानिकों का कहना है कि एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि वर्ष 1315 और 1440 के बीच भारत के भाटपुर से लेकर नेपाल के मोहना खोला तक करीब 600 किलोमीटर लंबा सीसमिक गैप बन गया था।
2- हालांकि, यह इतने वर्षों से शांत है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस पर लगातार भूकंपीय दबाव बना हुआ है। यह आशंका जाहिर की गई है कि यह दबाव भूकंप के तौर पर सामने आए। सवाल यह है कि अगर इस क्षेत्र में भूकंप आता है तो क्या होगा। खासकर तब जब भूकंप की तीव्रता 8.5 तक हुई तो क्या होगा। इससे कितनी बड़ी तबाही होगी, इसका अनुमान लगा पाना मुश्किल है। क्या देश की राजधानी दिल्ली इसके लिए तैयार है।
3- विशेषज्ञ इस बात की चेतावनी जारी कर चुके हैं कि दिल्ली-एनसीआर में बड़ा भूकंप आ सकता है। हालांकि यह कब आएगा इसकी सटीक जानकारी नहीं है। दिल्ली-एनसीआर के नीचे सौ से ज्यादा लंबी और गहरी फाल्ट्स हैं। इसमें से कुछ दिल्ली-हरिद्वार रिज, दिल्ली-सरगोधा रिज और ग्रेट बाउंड्री फाल्ट पर हैं। इसके साथ ही कई सक्रिय फाल्ट्स भी इनसे जुड़ी हुई हैं।
क्या भूकंप की भविष्यवाणी संभव है 1- भूकंप वैज्ञानिक डा रोहताश के मुताबिक धरती के अंदर दो प्लेटों के टकराने की वजह से भूकंप की घटना घटित होती है। दरअसल, इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट से निरंतर टकरा रही है। इसके चलते इन प्लेटों का स्ट्रेस लेवल विकसित होता है। एक सीमा को बाद इसमें फ्रेक्शन बढ़ जाता है। इसी वजह से धरती पर भूकंप आते हैं। उन्होंने कहा कि बड़े या छोटे भूकंप की भविष्यवाणी का दावा तो किया जाता है, लेकिन उसके पीछे कोई वैज्ञानिक पद्धति नहीं है। यह बहुत कुछ अनुमान पर आधारित है।
2 - उन्होंने कहा कि भूकंप कब आएगा। कहां आएगा। भूकंप की तीव्रता कितनी होगी। इन तीनों बातों की भविष्यवाणी को लेकर कोई दावा नहीं किया जा सकता है। इस पर आज तक कोई रिसर्च सफल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि चीन का कहना है कि जानवरों एवं पक्षियों के व्यवहार से भूकंप की भविष्यवाणी की जा सकती है। मगर यह दावा भी सटीक साबित नहीं हुआ।
3- उन्होंने कहा कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। यह स्केल भूकंप के दौरान पृथ्वी के अंदर निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से एक से नौ तक के आधार पर मापा जाता है।
कैसे तय होता है भूकंप का केंद्रपृथ्वी की सतह के नीचे का वह स्थान, जहां पर चट्टान आपस में टकराती है या टूटती है, वह भूकंप का क्रेंद्र कहलाता है। इस स्थान को हाइपोसेंटर कहा जाता है। इस केंद्र से ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैलती है और भूकंप की घटना घटित होती है। यह कंपन उसी तरह होता है, जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंग फैलती है। सरल भाषा में जानें तो पृथ्वी के केंद्र और भूकंप के केंद्र को आपस में जोड़ने वाली रेखा जिस स्थान पर धरती की सतह को काटती है, उस जगह को ही भूकंप का अभिकेंद्र या एपिक सेंटर कहा जाता है। पृथ्वी की सतह का यह स्थान भूकंप के केंद्र से सबसे पास होता है।
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