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पीएम मोदी की ईरान यात्रा, जानें -चाबहार पर क्यों टिकी है नजर ?

पीएम मोदी ईरान की यात्रा पर हैं। भारत और ईरान के बीच कई द्विपक्षीय मामलों में समझौते होने हैं। लेकिन चाबहार बंदरगाह पर समझौता सबसे ज्यादा अहम है।

By Lalit RaiEdited By: Updated: Mon, 23 May 2016 02:33 PM (IST)

नई दिल्ली। पीएम मोदी दो दिनों की यात्रा पर इस समय ईरान में हैं। आज ईरान से कई मुद्दों पर बातचीत होनी है। लेकिन चाबहार बंदरगाह पर सभी की नजरें टिकी हैं। चाबहार के जरिए भारत एक नई कामयाबी की गाथा लिख सकता है। चीन का जवाब देने के लिए चाबहार की उपयोगिता भारत के लिए ज्यादा अहम है। पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट के जरिए चीन भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है। उस हालात में चीनी आर्थिक गतिविधियों का जवाब देने के लिए ईरान के चाबहार बंदरगाह भारत के लिए महत्वपूर्ण है। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि चाबहार बंदरगाह भारत की दृष्टि से क्यों अहम है।

पीएम पहुंचे ईरान, हो सकते हैं कई अहम करार

1. चाबहार पोर्ट दक्षिण पूर्वी ईरान में है। इस बंदरगाह के जरिए पाकिस्तान को दरकिनार कर भारत का अफगानिस्तान से बेहतर संबंध स्थापित हो सकेगा। अफगानिस्तान के साथ भारत के आर्थिक और सुरक्षा हित जुड़े हुए हैं।

2. इस बंदरगाह के जरिए ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और समय में एक तिहाई की कमी आएगी।

3. ईरान चाबहार पोर्ट को ट्रांजिट हब के तौर पर विकसित करना चाहता है। ईरान की नजर हिंद महासागर और मध्य एशिया के व्यापार पर से जुड़ी हुई है।

4. भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जिसने पश्चिमी देशों के साथ ईरान के बिगड़ते हुए रिश्तों के बाद भी ईरान के साथ अपने व्यापारिक संबंध को कायम रखा। कच्चे तेल के मामले में चीन के बाद भारत दूसरा बड़ा ग्राहक है।

5. ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थिति चाबहार पोर्ट भारत के लिए रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण है। फारस की खाड़ी में इस बंदरगाह के जरिए भारत के पश्चिमी तट आसानी से जुड़ सकते हैं।

6. चाबहार से अफगानिस्तान के जरांज तक रोड नेटवर्क को और मजबूत किया जा सकता है। जरांज की चाबहाक से दूरी 883 किमी है। जरांज-देलाराम हाइवे के निर्माण से भारत अफगानिस्तान के चार शहरों हेरात, कंधार, काबुल और मजार-ए-शरीफ तक सीधी पहुंच बना सकेगा।

7. चाबहार पोर्ट ऐसा विदेशी पोर्ट होगा जिसपर भारत की सीधी भागीदारी होगी। 2003 में चाबहार पोर्ट को विकसित करने के लिए भारत और ईरान में एक तरह का समझौता हुआ था।

8. पश्चिमी देशों द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद चाबहार के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच बातचीत में नरमी आ गयी थी। लेकिन ईरान से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद भारत ने इस समझौते को तार्किक परिणाम तक पहुंचाने के लिए कोशिश शुरू कर दी।

9. विश्व में तेल आपूर्ति का पांचवां हिस्सा फारस की खाड़ी के जरिए होता है। इस लिहाज से चाबहार पोर्ट महत्वपूर्ण है।

10.चाबहार पोर्ट के प्रथम चरण में भारत 200 मिलियन डॉलर का निवेश करेगा। इस निवेश में 150 मिलियन डॉलर एक्जिम बैंक के जरिए उपलब्ध कराया जाएगा।

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चीन के हवाले ग्वादर पोर्ट

पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी भाग में बलूचिस्तान प्रान्त में अरब सागर के किनारे पर स्थित एक पोर्ट सिटी है। यह ग्वादर ज़िले का केंद्र है। वर्ष 2011 में इसे बलूचिस्तान की शीतकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया था। ग्वादर शहर एक 60 किमी चौड़ी तटवर्ती पट्टी पर स्थित है। जिसे अक्सर मकरान कहा जाता है। ईरान तथा फ़ारस की खाड़ी के देशों के बहुत पास होने की वजह से इस शहर का सैन्य और राजनैतिक महत्व है। पाकिस्तान प्रयास कर रहा है कि इस बंदरगाह के ज़रिये न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन, अफ़ग़ानिस्तान व मध्य एशिया के देशों का भी आयात-निर्यात को बढ़ावा मिले। पाकिस्तान ने इस बंदरगाह को विकसित करने के लिए चीन को अधिकृत कर दिया था। ग्वादर पोर्ट के विकसित होने के बाद चीन की भी सीधी पहुंच मध्य एशिया और यूरोप के देशों तक हो जाएगी। ग्वादर पोर्ट में चीन के स्वामित्व की खबर के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि असमान्य हालात में चीन और पाकिस्तान भारत को घेरने में इुस्तेमाल कर सकते हैं।