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Wayanad Landslide: क्यों हुआ केरल के वायनाड में भूस्खलन? जलवायु वैज्ञानिकों ने बताई वजह

Wayanad Landslide केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के बाद हुए भयानक भूस्खलन से राज्य में तबाही मची हुई है। इस हादसे में अबतक 93 लोगों की मौत हो गई जबकि सैकड़ों फंसे हुए हैं। मौके पर एनडीआरएफ समेत कई टीमें बचाव कार्य में जुटीं हुई हैं। वहीं इस भयानक भूस्खलन को लेकर एक वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक ने कई चौकाने वाले खुलासे किए हैं।

By Agency Edited By: Babli Kumari Updated: Tue, 30 Jul 2024 08:34 PM (IST)
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केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन को लेकर जलवायु वैज्ञानिकों ने बताया कारण (फोटो-जागरण)

पीटीआई, नई दिल्ली। केरल के वायनाड जिले में भारी बारिश के बीच भूस्खलन की घटनाओं में कम से कम 93 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है। मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में बचाव अभियान में एनडीआरएफ समेत कई एजेंसियां ​​शामिल हो गई हैं। भूस्खलन प्रभावित इलाकों तक सेना पहुंच चुकी है और लगातार बचाव कार्य जारी है। रेस्क्यू कार्य में एनडीआरएफ समेत कई टीमें लगी हुई है।

वहीं इस भूस्खलन को लेकर एक वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक ने मंगलवार को कहा कि अरब सागर के गर्म होने से गहरे बादल बन रहे हैं, जिससे केरल में कम समय में ही अत्यधिक भारी वर्षा हो रही है और भूस्खलन की संभावना बढ़ रही है।

कोचीन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सीयूएसएटी) में वायुमंडलीय रडार अनुसंधान आधुनिक केंद्र के निदेशक एस. अभिलाष ने कहा कि सक्रिय मानसूनी अपतटीय निम्न दाब क्षेत्र के कारण कासरगोड, कन्नूर, वायनाड, कालीकट और मलप्पुरम जिलों में भारी वर्षा हो रही है, जिसके कारण पिछले दो सप्ताह से पूरा कोंकण क्षेत्र प्रभावित हो रहा है।

दो सप्ताह की बारिश के बाद मिट्टी में आई नमी 

बताया जा रहा है कि दो सप्ताह की बारिश के बाद मिट्टी में नमी आ गई थी। उन्होंने ‘न्यूज एजेंसी पीटीआई’ को बताया कि दो सप्ताह की वर्षा के बाद मिट्टी भुरभुरी हो गई। अभिलाष ने कहा कि सोमवार को अरब सागर में तट पर एक गहरी ‘मेसोस्केल’ मेघ प्रणाली का निर्माण हुआ और इसके कारण वायनाड, कालीकट, मलप्पुरम और कन्नूर में अत्यंत भारी बारिश हुई, जिसके परिणामस्वरूप भूस्खलन हुआ। अभिलाष ने कहा, ‘बादल बहुत घने थे, ठीक वैसे ही जैसे 2019 में केरल में आई बाढ़ के दौरान नजर आये थे।’

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'दक्षिण-पूर्व अरब सागर हो रहा है गर्म' 

निदेशक ने कहा कि वैज्ञानिकों को दक्षिण-पूर्व अरब सागर के ऊपर बहुत घने बादल बनने की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ये प्रणालियां स्थल क्षेत्र में प्रवेश कर जाती हैं, जैसे कि 2019 में हुआ था। अभिलाष ने कहा, ‘हमारे शोध में पता चला कि दक्षिण-पूर्व अरब सागर में तापमान बढ़ रहा है, जिससे केरल समेत इस क्षेत्र के ऊपर का वायुमंडल ऊष्मगतिकीय (थर्मोडायनेमिकली) रूप से अस्थिर हो गया है।’

'वायुमंडलीय अस्थिरता जलवायु परिवर्तन से जुड़ी'

वैज्ञानिक ने कहा कि घने बादलों के बनने में सहायक यह वायुमंडलीय अस्थिरता जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हुई है। पहले, इस तरह की वर्षा आमतौर पर उत्तरी कोंकण क्षेत्र, उत्तरी मंगलुरु में हुआ करती थी। वर्ष 2022 में ‘एनपीजे क्लाइमेट एंड एटमॉस्फेरिक साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित अभिलाष और अन्य वैज्ञानिकों के शोध में कहा गया है कि भारत के पश्चिमी तट पर वर्षा अधिक 'संवहनीय' होती जा रही है।

24 घंटों में 24 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, त्रिशूर, पलक्कड़, कोझीकोड, वायनाड, कन्नूर, मलप्पुरम और एर्नाकुलम जिलों में कई स्वचालित मौसम केंद्रों में 19 सेंटीमीटर से 35 सेंटीमीटर के बीच वर्षा दर्ज की गई। अभिलाष ने कहा, 'क्षेत्र में आईएमडी के अधिकांश स्वचालित मौसम केंद्रों में 24 घंटों में 24 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई। किसानों द्वारा स्थापित कुछ वर्षा मापी केंद्रों पर 30 सेंटीमीटर से अधिक बारिश दर्ज की गई।'

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