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इंसान और इकोनॉमी दोनों की सेहत के लिए क्यों खतरनाक है क्लाइमेट चेंज, विशेषज्ञों ने बताए हैरान करने वाले कारण

Heatwave in India यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस के आंकड़ों के अनुसार मई 2024 अब तक का सबसे गर्म मई का महीना था। इस साल दिन ही नहीं रातें भी काफी गर्म आंकी गई जो इंसानों के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है। इस हीटवेव के चलते केवल इंसानों को ही नहीं नुकसान होता है बल्कि अर्थव्यवस्था की सेहत भी खराब हो सकती है। आइए आखिर क्या कहते हैं विशेषज्ञ...

By Mahen Khanna Edited By: Mahen Khanna Updated: Sat, 29 Jun 2024 05:19 PM (IST)
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Heatwave in India हर साल बढ़ते हीटवेव से हो सकता है बड़ा नुकसान।
जागरण डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत समेत पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग का असर देखने को मिला है। भारत में तो इसका ऐसा असर दिखा की इस बार हीटवेव ने कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। यह साल सबसे लम्बी गर्मी वाला रहा है और मई महीने में भीषण हीटवेव की लहर देखी गई।

हीटवेव से 25000 से ज्यादा लोग बीमार हो गए थे। यूरोपीय जलवायु एजेंसी कॉपरनिकस के आंकड़ों के अनुसार मई 2024 अब तक का सबसे गर्म मई का महीना था। इस साल दिन ही नहीं, रातें भी काफी गर्म आंकी गई, जो इंसानों के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है।

इस क्लाइमेट चेंज के चलते केवल इंसानों को ही नहीं नुकसान होता है, बल्कि अर्थव्यवस्था की सेहत भी खराब हो सकती है। आइए, आखिर क्या कहते हैं विशेषज्ञ... 

भारत में और बढ़ेगा हीटवेव का प्रकोप

  • विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले सालों में भारत में हीटवेव का प्रकोप और बढ सकता है। उनका मानना है कि अब नीति निर्माताओं को केवल गर्मी से निपटने का एक्शन प्लान ही नहीं बनाना होगा अब रात की गर्मी को भी ख्याल में रखना होगा। 
  • इस साल हीटवेव के चलते भारत में पहली बार रात का तापमान 37 डिग्री को पार कर गया। 

गर्म रातों से सबकी नींद पर पड़ेगा असर 

शोध में पाया गया है कि गर्म रातें नींद को भी प्रभावित कर सकती हैं। डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने कहा कि कम आय वाले देश के लोग खासकर बुजुर्गों और महिलाओं की नींद पर तापमान का काफी गलत प्रभाव पड़ता है।

शोधकर्ताओं ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ऐसा ही रहा तो इस सदी के अंत तक प्रत्येक व्यक्ति की प्रति वर्ष नींद में 50 से 58 घंटे तक की कमी आ जाएगी। 

गर्म रातों से सेहत पर क्या प्रभाव?

  • जब दिन गर्म होते हैं, तो अपेक्षाकृत ठंड रातें मानव शरीर को ठंडा होने का मौका देती हैं। लेकिन जब रातें गर्म होती हैं, तो यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है और शरीर पर गर्मी का तनाव (हीट स्ट्रेस) बढ़ जाता है।
  • गर्म दिन और गर्म रात का संयुक्त प्रभाव मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
  • जापान, दक्षिण कोरिया और चीन के 28 शहरों में मृत्यु दर का विश्लेषण करने वाले 2022 के एक शोधपत्र में बताया गया है कि गर्म रात वाले दिनों में सापेक्ष मृत्यु दर अपेक्षाकृत ठंड रातों वाले दिनों की तुलना में 50 फीसद अधिक हो सकती है।

हीटवेव बढ़ने का सीधा असर सेहत और GDP पर

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में गर्म दिनों की संख्या बढ़ गई। हाल ही में सउदी अरब में भी हीटवेव से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई। देश की सीनियर पर्यावरणविद सीमा जावेद के अनुसार जब गर्म दिनों की संख्या ज्यादा हो जाती है तो सबसे ज्यादा प्रभावित लोग रीयल इस्टेट और कारखानों में काम करने वाले लोग होते हैं। हीटवेव के बीच खेत में काम करने वाले खेतिहर मजदूर भी हीटवेव की चपेट में आ जाते हैं। इसका प्रभाव हमारी जीडीपी पर भी पड़ता है।

ज्यादा गर्मी और ग्लोबल वार्मिंग के चलते कोई भी देश सूखे की चपेट में भी आ सकता है।

ग्लोबल वार्मिंग को नहीं रोका गया तो क्या होगा?

भारत में भी मौसम का पैटर्न अप्रत्याशित रूप से बदला है। सीमा जावेद बताती हैं कि अब ठंड के बाद वसंत नहीं आ रही, सीधे गर्मी का मौसम आ रहा है। अचानक बदलते मौसम को बॉडी सह नहीं पाती है। यही कारण है कि कमजोर इम्यूनिटी और फील्ड में मेहनत करने वाले श्रमिक और किसान व दिहाड़ी मजदूर इसकी चपेट में सबसे ज्यादा आए हैं। 

विशेषज्ञों का दावा है कि क्लाइमेट चेंज लगातार हो रहा है। याद रखें कि डायनासौर की बदले मौसम की वजह से ही विलुप्ति हुई। ग्लोबल वार्मिंग को रोका नहीं गया तो अगली विलुप्ति की कगार पर इंसान ही खड़ा है।

नोटः जानकारी climate.gov और विशेषज्ञों से ली गई है।