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Pulwama Terror Attack: पाक को सबक सिखाने के लिए भारत के पास ये है मास्टर स्ट्रोक

भारत ने वर्ष 1948 में एक बार पाकिस्तान की इस कमजोर नब्ज पर हाथ रखा था, इससे पाकिस्तान के 17 लाख एकड़ क्षेत्रफल में हाहाकार मच गया था। जानें- क्या है भारत का ये मास्टर स्ट्रोक?

By Amit SinghEdited By: Updated: Mon, 18 Feb 2019 07:58 PM (IST)
Pulwama Terror Attack: पाक को सबक सिखाने के लिए भारत के पास ये है मास्टर स्ट्रोक
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए आत्मघाती हमले में 40 जवानों के शहीद होने से देशवासियों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कोई युद्ध करने को कहा रहा तो कोई एक और बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की मांग कर रहा। भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया है। हालांकि, भारत के हाथ में पाकिस्तान की ऐसी कमजोर नब्ज है, जिसे दबाने से न तो युद्ध की जरूरत पड़ेगी और न ही सर्जिकल स्ट्राइक की।

पाकिस्तान की ये कमजोर नब्ज है, सिंधु नदी। अगर भारत पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल संधि को तोड़ दे, तो ये पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा झटका होगा। सिंधु जल संधि भारत का ऐसा मास्टर स्ट्रोक होगा, जिससे उसे कोई सीधा खतरा नहीं है। बावजूद भारत पाकिस्तान से तमाम मतभेद और दुश्मनी होने के बावजूद ये जल संधि क्यों नहीं तोड़ पा रही है। इसकी भी कुछ महत्वपूर्ण वजहें हैं, जिसके बारे में जानना हमारे लिए भी जरूरी है।

बीबीसी की एक रिपोर्ट में अटल बिहारी वायपेयी सरकार में विदेश सचिव रहे कंवल सिब्बल ने कहा है कि भारत के पास एक बहुत असरदार विकल्प है और वो है सिंधु जल संधि को तोड़ना। भारत सरकार को चाहिए कि वह इस जल संधि को तत्काल खत्म कर दे। अगर भारत ने ऐसा किया तो पाकिस्तान तुरंत सीधा हो जाएगा, क्योंकि पाकिस्तन को उसकी जरूरतों का ज्यादातर पानी भारत से निकलने वाली सिंधु नदी से ही मिलता है। ये ठीक उसी तरह से है जैसे कि पाकिस्तानी आतंकवाद का भारत के पास कोई जवाब नहीं है, ठीक उसी तरह पाकिस्तान के पास भी सिंधु जल संधि टूटने पर कोई विकल्प नहीं है।

जब अमेरिका संधियां तोड़ सकता है तो भारत क्यों नहीं
पूर्व सचिव कंवल सिब्बल के अनुसार अमेरीकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद अपने खास दोस्तों जापान और कनाडा समेत कई देशों से संधि तोड़ दी। अगर अमेरिका ऐसा कर सकता है तो भारत भी सिंधु जल संधि को तोड़ सकता है। भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विवेक काटजू भी मानते हैं कि भारत को अब ठोस कदम उठाने की जरूरत है। विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान के साथ अब कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। इसमें पाकिस्तान में बैठे मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कराने का भी एक विकल्प है, जिसके लिए भारत को एक बार फिर से कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी।

चीन और हमारी विचारधारा है सबसे बड़ा अड़ंगा
मसूद अजहर आतंकवादी संगठन जैश-ए-मुहम्मद का संस्थापक है। पूर्व में भारत ने दो बार उसे अतंरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कराने की कोशिश की थी, लेकिन दोनों बार चीन ने सुरक्षा परिषद में वीटो पावर का इस्तेमाल कर मसूद अजहर को बचा लिया। अब एक बार फिर पुलवामा हमले में जैश-ए-मुहम्मद का संस्थापक होने के नाते पाकिस्तान में बैठे आतंकी मसूद अजहर का नाम सामना आ रहा है। इस बार भी चीन ने मसूद के बचाव में रुख अपना लिया है। विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा हालात में अगर भारत, पाकिस्तान से युद्ध को तैयार होता है तो चीन, संयुक्त राष्ट्र में पूरी तरह से पाकिस्तान का साथ देगा। इसके अलावा देश के भीतर भी लोग दो विचार धाराओं में फंसे हुए हैं, जिसका फायदा पाकिस्तान को मिलता है। यही सिंधु जल संधि को तोड़ने या पाकिस्तान के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने की सबसे बड़ी चुनौती है।

कश्मीरी नेताओं को भी देखना होगा देश हित
विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी विवेक काटजू के अनुसार इस पूरे मामले में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जो रुख अपनाया है, वह काबिले तारीफ है। कांग्रेस की तरह अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार का समर्थन करने का फैसला लेकर सही कदम उठाया है। इसी तरह कश्मीरी नेताओं को भी राष्ट्रहित में एक साथ खड़ा होना होगा।

जल संधि तोड़ने पर बहुत बड़ा मतभेद हो सकता है
पाकिस्तान में भारत के पूर्व राजदूत रहे जी पार्थसारथी का मानना है कि सिंधु जल संधि को खत्म करना एक विवादित विषय है। पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दूबे का भी मानना है कि सिंधु जल संधि खत्म कर पाकिस्तान को उसके पानी के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, लेकिन इससे बहुत बड़ा मतभेद हो सकता है। उड़ी में भारतीय सेना के क्षेत्रीय मुख्यालय पर हमला कर जब 18 जवानों को शहीद किया गया था, तब भी सिंधु जल संधि को खत्म करने की मांग उठी थी।

1948 में भारत ने रोका था सिंधु का पानी
भारत-पाक बंटवारे के वक्त सिंधु नदी पाकिस्तान के हिस्से में चली गई। हालांकि, सिंधु नदी से मिलने वाले पानी के लिए पाकिस्तान पूरी तरह से भारत पर निर्भर है। बंटवारे के वक्त पानी के बहाव को बरकरार रखने के लिए पूर्वी और पश्चिमी पंजाब के चीफ इंजीनियरों के बीच 20 दिसंबर 1947 को समझौता हुआ था। समझौते के अनुसार भारत को 31 मार्च 1947 तक पाकिस्तान को पानी देना था, जो बंटवारे से पहले ही तय हो चुका था। लिहाजा 1 अप्रैल 1948 को भारत ने दो प्रमुख नहरों का पानी रोक दिया, जिससे पाकिस्तान के 17 लाख एकड़ क्षेत्रफल में हाहाकार मच गया। बाद में हुए एक और समझौते के बाद भारत पाकिस्तान को पानी की आपूर्ति जारी रखने को राजी हो गया।

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