गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव से क्यों नदारद है कांग्रेस, क्या पहले ही मान चुकी है हार- एक्सपर्ट व्यू
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर जहां भाजपा ने बिगुल फूंक दिया है वहीं कांग्रेस चुनावी मैदान से गायब होकर भारत जोड़ो यात्रा पर ध्यान दे रही है। कांग्रेस की तरफ से आने वाले ये संकेत कुछ और ही कहानी कह रहे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Kamal VermaUpdated: Sat, 15 Oct 2022 09:47 AM (IST)
नई दिल्ली (आनलाइन डेस्क)। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव की घोषणा निर्वाचन आयोग किसी भी समय कर सकता है। वहीं, इन राज्यों में यदि राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो भाजपा दोनों ही राज्यों में अपना चुनावी बिगुल फूंक चुका है। इसके अलावा आम आदमी पार्टी भी गुजरात में चुनावी अखाड़े में उतरने को पूरी तरह से तैयार है। ये दोनों ही पार्टियां काफी समय से इसको लेकर मशक्कत करती दिखाई दे रही हैं। वहीं, यदि बात करें कांग्रेस की तो वो दोनों ही राज्यों में चुनावी मैदान फिलहाल गायब है। फिलहाल कांग्रेस के नेता या तो भारत जोड़ो यात्रा में लगे हैं या फिर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं। ऐसे में क्या ये कहा जाए कि इन दोनों राज्यों से कांग्रेस का मोह भंग हो चुका है या फिर वो अपनी हार मानकर इन राज्यों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है। क्या हैं इसके मायने जानते हैं एक्सपर्ट की राय से:-
गुजरात में कांग्रेस के लिए सत्ता का सूखा
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक कमर आगा मानते हैं कि गुजरात में कांग्रेस वर्षों से सत्ता में आने को तरस रही है। गुजरात में लगातार उसका वोटिंग फीसद और जनाधार भी कम हुआ है। जमीनी हकीकत ये है कि इस बार भी कांग्रेस को गुजरात से कोई उम्मीद नहीं रही है। वहां पर मुकाबला काफी हद तक सत्ताधारी पार्टी या फिर कहें कि एकतरफा ही है। आम आदमी पार्टी की बात करें तो उसके पास वहां पर खोने जैसा कुछ भी नहीं है। ऐसे में उसके लिए एक सीट भी पाना बड़ी बात होगी। यदि वो कोई सीट नहीं भी पाती है तो भी उसका वोटिंग फीसद जीरो नहीं रहने वाला है।
हिमाचल में जोर लगाएगी
कांग्रेस कांग्रेस की जहां तक बात है तो वो गुजरात चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार जरूर करेगी, लेकिन, ये प्रचार-प्रसार उस तरह का नहीं होगा जैसे पहले होता आया है। हिमाचल प्रदश में कांग्रेस गुजरात के मुकाबले ज्यादा जोर लगाती दिखाई देगी। लेकिन, यहां पर भी इस जोर को लगाने के लिए उसके पास समय काफी कम होगा। हिमाचल में भी कांग्रेस की नैया का फिलहाल कोई खेवैया दिखाई नहीं देता है। इसके बाद भी वहां पर कुछ जनाधार पार्टी का जरूर बचा हुआ है, इसलिए वहां पर भले ही अंतिम समय में सही लेकिन कांग्रेस के नेता जोर लगाते दिखाई देंगे।
मान ली है हार
आगा का कहना है कि कांग्रेस को अपनी जमीनी हकीकत का अंदाजा पूरी तरह से है। इसका संकेत भारत जोड़ो यात्रा से मिल रहा है। यदि कांग्रेस को इन दोनों राज्यों में अपनी वापसी की कोई उम्मीद होती तो वो समय से पहले दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार में जुट चुकी होती, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। आम आदमी पार्टी गुजरात में एक वर्ष पहले से ही अपनी रैलियां कर रही है। ये तब है जब वहां पर इस पार्टी के आने की संभावना न के ही बराबर है। लेकिन कांग्रेस केवल सत्ता पाने के आसरे है। मिलेगी तो करेंगे नहीं तो नहीं करेंगे, जैसा हाल कांग्रेस का हो गया है। कांग्रेस का हाल काफी कुछ समय से पहले ही हार मान लेना जैसा है।