Rafale Fighter Jet: चीन-पाक के विमानों से बेहतर है राफेल, भारत की ताकत में होगा इजाफा
पूर्वी लद्दाख में चीन से तनातनी के बीच दुनिया का सबसे ताकतवार लड़ाकू विमान राफेल भारत के अंबाला एयरबेस पहुंच गया है।
By Manish PandeyEdited By: Updated: Wed, 29 Jul 2020 03:25 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक राफेल भारत की सैन्य ताकत को मजबूती प्रदान करने भारत पहुंच गए हैं। पहले चरण में 5 राफेल भारत के अंबाला एयरबेस पर उतर चुके हैं। भारतीय वायुसेना ने दुनिया के कई लड़ाकू विमानों में से राफेल पर विश्वास जताया है। चीन के साथ तनाव के बीच राफेल का भारत आना महत्वपूर्ण है। यह बहुप्रतीक्षित विमान चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों से हर स्तर पर बेहतर हैं। आइए जानते हैं कि भारत को राफेल की जरूरत क्यों है और चीन- पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के मुकाबले में राफेल किस कारण बेहतर है।
भारत ने इसलिए खरीदा है राफेलभारत और चीन के मध्य हालिया तनाव को देखते हुए राफेल देश की जरूरत है। भारत ने बेहद उन्नत एफ-16 और टाइफून जैसे लड़ाकू विमानों की तुलना में फ्रांसीसी राफेल पर विश्वास जताया है। इसका कारण है कि विमान की लागत का करीब 30 फीसद अकेले रडार और सेल्फ प्रोटेक्शन सिस्टम उपकरणों पर खर्च किया गया है। जिसके कारण इसका पता लगाना और निशाना बनाना बेहद मुश्किल होगा। चीन के पास भारत के रूसी सुखोई-30 की तकनीक से मिलता-जुलता विमान है, ऐसे में उन्होंने इसकी तकनीक का अध्ययन किया होगा। हालांकि राफेल उसके लिए आश्चर्य होगा।
चीन को है राफेल का डर
भारत के राफेल के मुकाबले का चीन के पास कोई विमान नहीं है। राफेल ने कई मोर्चों पर खुद की श्रेष्ठता साबित की है, जबकि अभी तक चीन के विमानों का किसी भी मुकाबले में परीक्षण नहीं हुआ है, वहीं राफेल ने खुद को लीबिया, इराक और सीरिया के संघर्षों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। चीन हमेशा से ही तकनीक चुराने में माहिर रहा है। उसके विमान रूसी विमानों की सस्ती नकल हैं। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि वह इनकी कितनी नकल कर पाया है।
अभिनंदन ने मार गिराया था एफ-16बालाकोट हमले के बाद भारत के विंग कमांडर अभिनंदन ने पाकिस्तान का एफ-16 विमान अपने मिग-21 से मार गिराया था। ऐसे में मिग-21 से बेहतर राफेल के सामने एफ-16 का टिकना मुश्किल है। पाकिस्तान का एफ-16 चौथी पीढ़ी का सिंगल इंजन विमान है। राफेल में एफ-16 के मुकाबले ज्यादा हथियारों को लोड किया जा सकता है। साथ ही राफेल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम और सेमी स्टील्थ तकनीक से लैस है, जबकि एफ-16 से यह खूबियां गायब हैं।
इन मिसाइलों से लैसराफेल हवा से हवा में मार करने वाली मीतियोर मिसाइलों से लैस है, जो 150 किमी दूर लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम है। बिना सीमा पार किए यह दुश्मन के विमानों को निशाना बना सकती हैं। रडार गाइडेड और ध्वनि की गति से 4 गुना ज्यादा तेज है। चीन और पाकिस्तान के पास इसके मुकाबले की कोई मिसाइल नहीं है। साथ ही राफेल में स्कैल्प मिसाइल 600 किमी दूर से अचूक निशाना लगाने में सक्षम है।
पाकिस्तान और चीन पर मिलेगी रणनीतिक बढ़तचीन और पाकिस्तान की नापाक हरकतों का माकूल जवाब दे रहे भारत की सैन्य ताकत इन लड़ाकू विमानों के आने से और अभेद्य, सुरक्षात्मक एवं घातक हो जाएगी। वर्ष 1919 में स्थापित अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पाकिस्तानी सीमा से करीब 220 किलोमीटर दूर है। यहां पर अभी दो स्क्वाड्रन तैनात हैं। पहला जगुआर कॉम्बैट और दूसरी मिग-21 बाइसन। हालांकि मिग-21 कुछ ही वर्षो में बेड़े से बाहर हो जाएंगे। इसलिए ऐसे में राफेल महत्वपूर्ण हो जाता है। इसकी तैनाती से पाकिस्तान पर भारत की रणनीतिक बढ़त रहेगी।
भारत को मिलेंगे 36 विमान भारत को 36 राफेल विमान मिलने हैं, जिनमें 18 अंबाला और 18 बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रखे जाएंगे। हासीमारा एयरबेस चीन और भूटान सीमा के करीब है। दो इंजन वाले इस लड़ाकू विमान में दो पायलट बैठ सकते हैं। ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर यह विमान एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।