चर्च के खिलाफ ननों की बगावत के पीछे हैं ये वजह, अब मिल रही जान से मारने की धमकी
Kerala Nun Assault Case: ऐसा बहुत कम होता है कि नन अपने ही चर्च के खिलाफ हो जाएं। इस केस में 60 वर्षीय एक फादर की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है।
By Amit SinghEdited By: Updated: Sat, 19 Jan 2019 06:31 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चार नन ने चर्च के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सुनने में ये थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन सच है। चर्च के खिलाफ नन द्वारा मोर्चा खोलने की खबर कई दिनों से राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में छाया हुआ है। अब इन ननों ने केरल के मुख्यमंत्री को पत्र लिख अपनी जान को खतरा बताया है। इसके पीछे वजह है, दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौन संबंधों की एक वारदात। आइये जानते हैं, क्या है ये पूरा मामला?
दुष्कर्म का ये मामला केरल के एक चर्च से जुड़ा है। चर्च के बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर वहां की एक नन से दुष्कर्म और अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप है। आरोप है कि बिशप ने वर्ष 2014 से 2016 के बीच नन से कुरावियालनगड के कॉन्वेंटर में कई बार दुष्कर्म किया और अप्राकृतिक संबंध बनाए थे। नन ने इस मामले में 100 से ज्यादा बार शिकायत की, बावजूद बिशप को गिरफ्तार नहीं किया गया। इसके बाद बीते दिनों पीड़ित नन के समर्थन में आईं पांच अन्य ननों ने इंसाफ के लिए कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया था। इनके समर्थन में आम लोग और कई अन्य संगठन भी प्रदर्शन में शामिल हुए थे।
काफी दबाव के बाद गिरफ्तार हुआ बिशप
नन संग दुष्कर्म और अप्राकृतिक संबंध का मामला सामने आने के बाद सिस्टर्स और कैथलिक सुधार फोरम ने सितंबर 2018 में काफी धरना-प्रदर्शन किया था। जनता ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए बिशप के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल भारत में रोमन कैथलिक के वरिष्ठ सदस्य हैं। काफी विरोध प्रदर्शन के बाद 54 वर्षीय बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही उन्हें अस्थी तौर पर धर्मगुरू के पद से हटा दिया गया है।
नन संग दुष्कर्म और अप्राकृतिक संबंध का मामला सामने आने के बाद सिस्टर्स और कैथलिक सुधार फोरम ने सितंबर 2018 में काफी धरना-प्रदर्शन किया था। जनता ने भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए बिशप के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल भारत में रोमन कैथलिक के वरिष्ठ सदस्य हैं। काफी विरोध प्रदर्शन के बाद 54 वर्षीय बिशप को सितंबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही उन्हें अस्थी तौर पर धर्मगुरू के पद से हटा दिया गया है।
ननों के ट्रांसफर से फिर मामले ने पकड़ा तूल
अब बिशप के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली ननों का तबादला होने से एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। इन ननों का आरोप है कि बिशप को बचाने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इन नन का कहना है कि राजनीतिक तौर पर बिशप बहुत असरदार हैं। उनके पास काफी पैसा और ताकत है। कई असरदार लोग और नेता उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं। पीड़ित नन का समर्थन कर रही एक नन अनुपमा के अनुसार वह लोग इन प्रताड़ना और दबाव से डरने वाला नहीं है। वह तब तक पीड़ित नन का साथ देती रहेगीं, जब तक उसे इंसाफ नहीं मिल जाता है। पीड़ित नन का समर्थन कर रहीं अन्य ननों का कहना है कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है। अदालत से उन्हें इंसाफ अवश्य मिलेगा। अब इन ननों ने केरल मुख्यमंत्री को पत्र लिख अपनी जान को खतरा बताया है। कैसे हुआ ननों का तबादला
आरोप बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली पांच में से चार नन का ट्रांसफर कर दिया गया है। इन्हें कोट्टायम जिला स्थित उनका कॉन्वेंट छोड़ने का निर्देश दिया गया है। ये निर्देश रोम कैथोलिक चर्च के जालंधर डायसिस के तहत मिशनरीज ऑफ जीसस ने दिया है। निर्देश में इन ननों से कहा गया है कि वह उन कॉन्वेंट में जाकर जिम्मेदारी संभालें जो उन्हें मार्च-2018 से मई-2018 के बीच जारी तबादला आदेश में सौंपे गए थे। हालांकि ट्रांसफर हुई ननों का कहना है कि वह अपनी पीड़ित साथी को छोड़कर कुरावियालनगड के कॉन्वेंट से कहीं नहीं जाएंगी। ननों पर लगाया अवहेलना का आरोप
ननों के ट्रांसफर का आदेश जालंधर स्थित मंडली के सुपीरियर जनरल रेगिना कदमथोत्तु ने जारी किया है। फिलहाल चार नन अल्पही पलासेरिल, अनुपमा केलामंगलाथुवेलियिस, जोसेफाइन विल्लेन्निकल और अंकिता उरुंबिल को अलग-अलग ट्रांसफर का लेटर भेजा गया है। पीड़ित नन का समर्थन करने वाली और बिशप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाली पांचवीं नन निसा रोस हैं। माना जा रहा है कि उनका ट्रांसफर आदेश भी जल्द आ सकता है। ट्रांसफर लेटर में सुपीरियर जनरल रेगिना कदमथोत्तु ने चारों ननों के लिखा है कि उन्होंने बार-बार ट्रांसफर निर्देशों की अवहेलना की है। बिशप के खिलाफ गवाही देने वाले फादर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत
केरल नन दुष्कर्म कांड में आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ गवाही देने वाले 60 वर्षीय फादर कुरियाकोस कट्टूथारा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो चुकी है। वह इस केस के प्रमुख गवाह थे। अक्टूबर 2018 में उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। उनका शव जालंधर में मिला था। इससे पांच दिन पूर्व ही केरल हाईकोर्ट ने आरोपी बिशप की जमानत याचिका खारिज की थी। यह भी पढ़ें-
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अब बिशप के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली ननों का तबादला होने से एक बार फिर इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। इन ननों का आरोप है कि बिशप को बचाने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। इन नन का कहना है कि राजनीतिक तौर पर बिशप बहुत असरदार हैं। उनके पास काफी पैसा और ताकत है। कई असरदार लोग और नेता उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे हैं। पीड़ित नन का समर्थन कर रही एक नन अनुपमा के अनुसार वह लोग इन प्रताड़ना और दबाव से डरने वाला नहीं है। वह तब तक पीड़ित नन का साथ देती रहेगीं, जब तक उसे इंसाफ नहीं मिल जाता है। पीड़ित नन का समर्थन कर रहीं अन्य ननों का कहना है कि उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है। अदालत से उन्हें इंसाफ अवश्य मिलेगा। अब इन ननों ने केरल मुख्यमंत्री को पत्र लिख अपनी जान को खतरा बताया है। कैसे हुआ ननों का तबादला
आरोप बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली पांच में से चार नन का ट्रांसफर कर दिया गया है। इन्हें कोट्टायम जिला स्थित उनका कॉन्वेंट छोड़ने का निर्देश दिया गया है। ये निर्देश रोम कैथोलिक चर्च के जालंधर डायसिस के तहत मिशनरीज ऑफ जीसस ने दिया है। निर्देश में इन ननों से कहा गया है कि वह उन कॉन्वेंट में जाकर जिम्मेदारी संभालें जो उन्हें मार्च-2018 से मई-2018 के बीच जारी तबादला आदेश में सौंपे गए थे। हालांकि ट्रांसफर हुई ननों का कहना है कि वह अपनी पीड़ित साथी को छोड़कर कुरावियालनगड के कॉन्वेंट से कहीं नहीं जाएंगी। ननों पर लगाया अवहेलना का आरोप
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