जानें क्या है जलीकट्टू और क्यों मचा है इस पर बवाल
तमिलनाडु सरकार केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है। अध्यादेश के जरिए कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा जा सकता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। तमिलनाडु में पोंगल त्योहार के दौरान खेला जाना वाला लोकप्रिय खेल जलीकट्टू पर प्रतिबंध हटाने को लेकर राज्य में बवाल मचा हुआ है। राज्य में कई जगहों पर इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। तमिलनाडु सरकार ने केंद्र सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है। अध्यादेश के जरिए कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटा जा सकता है।
जलीकट्टू पर प्रतिबंध
साल 2011 में यूपीए सरकार ने जलीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार ने 8 जनवरी 2016 में इसको हरी झंडी दे दी। बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पाबंदी लगाते हुए राज्य सरकार की याचिका भी खारिज कर दी थी जिसमें 2014 के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु विधानसभा एक प्रस्ताव भी पास कर चुकी है। प्रस्ताव के तहत जल्लीकट्टू पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की गई है।
लोमड़ी के साथ यहां खेला जा रहा है जलीकट्टू
क्या है जलीकट्टू ?
जलीकट्टू तमिलनाडु का चार सौ वर्ष से भी पुराना पारंपरिक खेल है, जो फसलों की कटाई के अवसर पर पोंगल के समय आयोजित किया जाता है। इसमें 300-400 किलो के सांड़ों की सींगों में सिक्के या नोट फंसाकर रखे जाते हैं और फिर उन्हें भड़काकर भीड़ में छोड़ दिया जाता है, ताकि लोग सींगों से पकड़कर उन्हें काबू में करें। सांड़ों को भड़काने के लिए उन्हें शराब पिलाने से लेकर उनकी आंखों में मिर्च डाला जाता है और उनकी पूंछों को मरोड़ा तक जाता है, ताकि वे तेज दौड़ सकें।
जलीकट्टू का मतलब
कहा जाता है कि जल्ली/सल्ली का अर्थ ही होता है 'सिक्का' और कट्टू का 'बांधा हुआ। सांडों के सींग में कपड़ा बंधा होता है जिसे खिलाड़ी को पुरस्कार राशि पाने के लिए निकालना होता है।
क्या हैं खेल के नियम ?
खेल के शुरु होते ही पहले एक-एक करके तीन सांडों को छोड़ा जाता है। ये गांव के सबसे बूढ़े सांड होते हैं। इन सांडों को कोई नहीं पकड़ता, ये सांड गांव की शान होते हैं और उसके बाद शुरु होता है जलीकट्टू का असली खेल। मुदरै में होने वाला ये खेल तीन दिन तक चलता है।
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सालों पुरानी है जलीकट्टू परंपरा
तमिलनाडु में जलीकट्टू 400 साल पुरानी परंपरा है। जो योद्धाओं के बीच लोकप्रिय थी। प्राचीन काल में महिलाएं अपने वर को चुनने के लिए जलीकट्टू खेल का सहारा लेती थी। जलीकट्टू खेल का आयोजन स्वंयवर की तरह होता था जो कोई भी योद्धा बैल पर काबू पाने में कामयाब होता था महिलाएं उसे अपने वर के रूप में चुनती थी।
जलीकट्टू और बुलफाइटिंग कितना में अंतर
जलीकट्टू की तुलना स्पेन में खेले जाने वाली बुलफाइटिंग से भी की जाती है। हालांकि समर्थकों का कहना है कि जल्लीकट्टू यूरोपीय देश स्पेन में होनेवाली बुलफाइटिंग से अलग है और इसमें स्पैनिश स्पोर्ट्स की तरह हथियारों का इस्तेमाल नहीं होता और न ही खेल का मतलब है अंत में जानवर का खात्मा।
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