Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

15 अगस्त से करूंगा 28 दिनों का अनशन, अगर सरकार ने नहीं शुरू की बातचीत; सोनम वांगचुक का एलान

सोनम वांगचुक ने दोबारा अनशन की घोषणा की है। इस बार वे 15 अगस्त से अनशन शुरू करेंगे और यह 28 दिनों तक चलेगा। सोनम ने कहा कि अगर लद्दाख की मांगों पर सरकार बातचीत शुरू नहीं करती है तो यह अनशन शुरू करेंगे। बता दें कि लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग लंबे समय से की जा रही है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 28 Jul 2024 09:02 PM (IST)
Hero Image
जलवायु कार्यकर्ता और प्रसिद्ध इंजीनियर सोनम वांगचुक। (फाइल फोटो)

पीटीआई, नई दिल्ली। जलवायु कार्यकर्ता और प्रसिद्ध इंजीनियर सोनम वांगचुक ने दोबारा अनशन करने का एलान किया है। रविवार को उन्होंने कहा कि अगर सरकार लद्दाख के अधिकारियों को राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण की मांगों पर बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं करती है तो वह स्वतंत्रता दिवस से 28 दिनों का अनशन शुरू करेंगे।

यह भी पढ़ें: Video: कैमरे के सामने HD कुमारस्वामी की नाक से अचानक बहने लगा खून, अस्पताल में भर्ती

पीएम को सौंप चुके ज्ञापन

वांगचुक ने कहा कि शीर्ष निकाय लेह (एबीएल) और लद्दाख से कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर द्रास यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन सौंपा था।

हमें नई सरकार से उम्मीद थी

सोनम वांगचुक ने कहा कि हम चुनाव के दौरान सरकार पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालना चाहते थे। चुनाव बाद भी उन्हें कुछ राहत देना चाहते थे। उम्मीद थी कि नई सरकार कुछ ठोस कदम उठाएगी। यह भी उम्मीद थी कि ज्ञापन सौंपे जाने के बाद सरकार हमारे नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित करेगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो हम विरोध प्रदर्शन का एक और दौर शुरू करेंगे।

मार्च में 21 दिन किया था अनशन

15 अगस्त को देश 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। सोनम वांगचुक इसी दिन से 28 दिनों का उपवास शुरू करेंगे। इससे पहले मार्च में वांगचुक ने 21 दिनों का अनशन किया था। इस दौरान उन्होंने सिर्फ नमक और पानी पीकर अनशन में हिस्सा लिया था। सोनम लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

उद्योगपतियों की वजह से पीछे हटी सरकार

सोनम वांगचुक का कहना है कि सरकार ने लद्दाख को जनजातीय क्षेत्र और पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया था। मगर उद्योगपतियों के दबाव में पीछे हट गई। दरअसल, ये उद्योगपति पारिस्थितिक रूप से नाजुक लद्दाख के संसाधनों का दोहन करना चाहते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि लद्दाख में सौर ऊर्जा परियोजनाओं को लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद की सहमति के बिना भूमि आवंटित की जा रही है।

मैं स्वच्छ ऊर्जा के पक्ष में

वांगचुक ने कहा कि वह स्वच्छ ऊर्जा के पक्ष में हैं। मगर यह उचित तरीके से किया जाना चाहिए। 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद लद्दाख को बिना विधानसभा का केंद्र शासित प्रदेश बन गया। बौद्ध बहुल लेह जिले ने लंबे समय से केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मांगा था। हालांकि अब इस क्षेत्र पर पूरी तरह से नौकरशाहों का शासन है। लद्दाख के कई लोग केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग उठा रहे हैं।

सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाएं नहीं होंगी प्रभावित

वांगचुक ने पहले कहा था कि छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और संवैधानिक संरक्षण लद्दाख में रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजनाओं को प्रभावित नहीं करेगा। लद्दाख के पूर्व सांसद और भाजपा नेता जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने भी मांग की थी कि स्थानीय आबादी की भूमि, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए इस क्षेत्र को छठी अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें: भाजपा के मुख्यमंत्रियों की बैठक खत्म, पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने पर फोकस; पीएम मोदी ने दिया सफलता का मंत्र