दुनियाभर का तापमान तेजी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पिछले 8 साल सर्वाधिक गर्म सालों में रिकॉर्ड होने की राह में हैं। ऐसे में दुनिया के सभी देशों को सतर्क हो जाना चाहिए।
By TilakrajEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 03:25 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। विश्व का वातावरण तेजी से बदल रहा है। दुनिया की तमाम संस्थाएं इस खतरे की ओर इशारा करती रहती हैं। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की हालिया रिपोर्ट भी दुनियाभर के बिगड़ते मौसम की ओर ध्यान आकर्षित करती है। डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 से 2022 यानि पिछले 8 वर्ष अब तक के रिकॉर्ड सर्वाधिक गर्म साल के रूप में दर्ज किए जा सकते हैं। वहीं, 2022 की बात करें, तो इस सूची में ये साल पांचवें या छठे स्थान पर रहेगा।
तेजी से पिछल रहे ग्लेशियर, बढ़ रहा समुद्री जलस्तर
डब्ल्यूएमओ ने ये अनुमान ग्रीनहाउस गैस की सघनता में निरन्तर वृद्धि और उससे पैदा हो रही गर्मी को देखते हुए लगाया है। रिपोर्ट के अनुसार, समुद्री जलस्तर में वृद्धि की दर वर्ष 1993 के बाद से अब तक दोगुनी हो चुकी है, ये बेहद चिंता की बात है। यूरोप में ऐल्प्स पर्वतीय क्षेत्र में अभूतपूर्व स्तर पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अगर इसकी रफ्तार कम न हुई, तो समुद्र का जलस्तर बढ़ने के साथ-साथ ही कई और समस्याएं भी पैदा होने लगेंगी। समुद्र के स्तर में वृद्धि जनवरी 2020 से लगभग 10 मिमी बढ़कर इस साल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है, जो बेहद चिंताजनक है।
...ताकि तेज हों जलवायु संकट पर नियंत्रण पाने के लिये प्रयास
संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि रिपोर्ट को अगले वर्ष जारी किये जाने की योजना है, लेकिन मिस्र में कॉप27 (COP-27) सम्मेलन को ध्यान में रखते हुए अंतरिम निष्कर्षों को साझा किया गया है। दरअसल, इस रिपोर्ट के निष्कर्षों का साझा करने का उद्देश्य विश्व नेताओं के समक्ष वैश्विक चुनौतियों के बढ़ते स्तर के प्रति जागरूकता फैलाना है। उम्मीद की जा रही है कि जलवायु संकट पर नियंत्रण पाने के लिये प्रयासों को मजबूती प्रदान की जाए।
2022 भी रिकॉर्ड सर्वाधिक गर्म वर्षों में होने जा रहा शामिल
बता दें कि 2022 की प्रोविजनल रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए आंकड़े इस साल सितंबर के आखिरी तक के हैं यानि इसमें इस साल के तीन महीनों को शामिल नहीं किया गया है। पूरी रिपोर्ट को अगले अप्रैल में जारी किया जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में अब तक का वैश्विक औसत तापमान 1850-1900 औसत से 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। अगर ये मान लिया जाए कि मौजूदा स्थितियां इस साल के अंत तक भी ऐसी ही रहेंगी, तो साल 1850 के बाद 2022 को रिकॉर्ड पर पांचवें या छठे सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया जाएगा।
वैश्विक तापमान का कम रखने की तमाम कोशिशें नाकाफी
वैश्विक स्तर पर तापमान को कम रखने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। भारत भी इस मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हालांकि, इन तमाम कोशिशों के बावजूद नतीजे नजर नहीं आ रहे हैं। डब्लूएमओ का कहना है कि लगातार दूसरे वर्ष वैश्विक तापमान को कम रखने के बावजूद 2022 अभी भी रिकॉर्ड पर पांचवां या छठा सबसे गर्म वर्ष होने की संभावना है।
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पाकिस्तान में बाढ़, तो यूरोप कई देश झेल रहे भयंकर गर्मी की मार
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट में सूखे की घटनाओं और अत्यधिक बारिश होने से उपजी चुनौतियों की ओर भी ध्यान केंद्रित कराया गया है। केन्या, सोमालिया और इथियोपिया में फसलें बर्बाद होने और खाद्य असुरक्षा गहराने का जोखिम है, क्योंकि औसत से कम बारिश होने की सम्भावना है। पाकिस्तान में इस साल जुलाई और अगस्त महीने में मूसलाधार बारिश के कारण, देश का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा भीषण बाढ़ की चपेट में आ गया, जिससे लगभग 80 लाख लोग प्रभावित हुए।
बद से बदतर हो रहे हालात
संगठन की अंतरिम रिपोर्ट में विश्व भर में चिंताजनक जलवायु घटनाओं का जिक्र किया गया है, जोकि कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड के रिकॉर्ड स्तर की पृष्ठभूमि में घटित हो रही हैं। ये वो तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैस हैं, जो वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिये ज़िम्मेदार हैं, जिसे फिलहाल पूर्व औद्योगिक काल के स्तर की तुलना में 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक आंका गया है।
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