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Women Reservation Bill: महिला बिल पर चर्चा में आधी आबादी को बराबरी का दर्जा देने की गूंजी आवाज

आधी आबादी के राजनीतिक हक की ऐतिहासिक पहल पर दलीय सीमाओं से परे महिला सांसदों के स्वर लोकसभा में बुधवार को खूब गूंजे। सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष की तमाम पार्टियों ने महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पर चर्चा के लिए महिला सांसदों को आगे किया। इस अवसर का भरपूर उपयोग करते हुए महिला सांसदों आधी आबादी के संघर्षों और पीड़ा को रेखांकित किया।

By Jagran NewsEdited By: Paras PandeyUpdated: Thu, 21 Sep 2023 05:00 AM (IST)
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महिला बिल पर चर्चा में आधी आबादी को बराबरी का दर्जा देने की गूंजी आवाज (फाइल फोटो)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। आधी आबादी के राजनीतिक हक की ऐतिहासिक पहल पर दलीय सीमाओं से परे महिला सांसदों के स्वर लोकसभा में बुधवार को खूब गूंजे। सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष की तमाम पार्टियों ने महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पर चर्चा के लिए महिला सांसदों को आगे किया। इस अवसर का भरपूर उपयोग करते हुए महिला सांसदों ने न केवल आधी आबादी के संघर्षों और पीड़ा को रेखांकित किया, बल्कि इस विधेयक के जरिये मिलने जा रही राजनीतिक ताकत के दम पर समानता का सपना साकार होने की उम्मीदें जताईं।

नए संसद भवन की लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने की राह तो सुबह इस पर चर्चा की शुरुआत के साथ ही बन गई थी, जब सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने इसे देश की महिलाओं के लंबे संघर्षों का परिणाम बताते हुए इसके पारित होने की बात सदन में कही। इस दौरान सदन ने पूरी शांति से कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष का संबोधन सुना जिसमें उन्होंने सरोजनी नायडू, सुचेता कृपलानी, राजकुमारी अमृत कौर, इंदिरा गांधी समेत कई महिला नेताओं की देश के निर्माण में भूमिका का जिक्र किया। 

भाजपा की ओर से निशिकांत दुबे ने चर्चा की शुरुआत की तो विपक्षी सांसदों ने कहा कि सत्ता पक्ष को अपनी किसी महिला सांसद को यह मौका देना चाहिए। इसको लेकर हल्की नोंक-झोंक भी हुई, तब गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि महिलाओं का हित केवल महिलाएं ही सोचेंगी यह दृ²ष्टि ठीक नहीं है, भाइयों को भी उनके हित की बात सोचनी है। शाह ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पर यह सवाल उठाने के लिए तंज कसा और कहा कि विधेयक पर बोलने का पहला मौका नहीं मिला इसलिए ईर्ष्या में वह सवाल उठा रहे हैं। विपक्षी खेमे की दूसरी वक्ता द्रमुक की कनीमोरी रहीं। 

वह जैसे ही बोलने के लिए खड़ी हुईं तो कुछ भाजपा सदस्यों ने शोरगुल शुरू कर दिया। इस पर राकांपा की सुप्रिया सुले के साथ विपक्ष के कई सांसदों ने एतराज करते हुए इसे भाजपा के महिला विरोधी मिजाज का उदाहरण करार दिया। सनातन विवाद में भाजपा की ओर से द्रमुक पर साधे गए निशाने के संदर्भ में कनीमोरी ने मां काली की बहादुरी और शौर्य के महिला स्वरूप की बात उठाई। सत्तापक्ष ने जब जयललिता के संदर्भ में तंज कसा तो द्रमुक सांसद ने कहा कि वह स्वीकार करती हैं कि जयललिता एक बेहद मजबूत महिला नेता थीं। 

इस टिप्पणी पर राकांपा की सुप्रिया सुले ने तीन बार बहुत खूब कनीमोरी कहकर वाहवाही की तो विपक्षी बेंचों ने मेजें थपथपाईं। कनीमोरी ने इसके बाद सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, मायावती, सुषमा स्वराज को भी देश की मजबूत महिला नेताओं में गिनाया। सत्तापक्ष की ओर से केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने महिला आरक्षण के संघर्ष में सुषमा स्वराज और गीता मुखर्जी के योगदानों के साथ नजमा हेपतुल्ला और सुमित्रा महाजन के योगदानों का भी उल्लेख किया।

उन्होंने सपा, राजद, द्रमुक जैसे दलों पर भी महिला आरक्षण के संदर्भ में पूर्व में उठाए गए सवालों को लेकर निशाना साधा। वाईएसआर कांग्रेस की गीता विश्वनाथ,भाजपा की सुनीता दुग्गल, तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, कांग्रेस की ज्योतिमणि, अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल जैसी कई महिला सांसदों ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए आधी आबादी को बराबरी का हक देने की आवाज बुलंद की।