महिला आरक्षण प्रभावी करने के लिए उठाने होंगे कुछ और कानूनी कदम, परिसीमन को लेकर अलग कानून की जरूरत
सरकार ने लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान करने वाला संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद में पेश कर दिया है। इस विधेयक के पास होकर कानून बन जाने के बाद भी महिला आरक्षण को प्रभावी बनाने और वास्तविक रूप से धरातल पर उतारने के लिए कुछ और कानूनी कदम उठाने होंगे।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Wed, 20 Sep 2023 12:30 AM (IST)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सरकार ने लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रविधान करने वाला संविधान संशोधन विधेयक मंगलवार को संसद में पेश कर दिया है। इस विधेयक के पास होकर कानून बन जाने के बाद भी महिला आरक्षण को प्रभावी बनाने और वास्तविक रूप से धरातल पर उतारने के लिए कुछ और कानूनी कदम उठाने होंगे। रोटेशन के लिए परिसीमन आदि के बारे में अलग से कानून लाना होगा।
संविधान में जुड़ेगा एक नया अनुच्छेद
सरकार द्वारा पेश महिला आरक्षण बिल पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ज्ञानंत सिंह का कहना है कि अगर कानून को ध्यान से देखा जाए तो इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण लागू करने के उद्देश्य से परिसीमन कराया जाएगा। पेश विधेयक में संविधान के अनुच्छेद 334 के बाद 334 ए नाम से एक नया अनुच्छेद जोड़ा गया है।यह भी पढ़ेंः संसद का विशेष सत्र: श्रेय लेने की होड़ में चढ़ा सियासी पारा, शाह ने लोकसभा में अधीर के दावों को किया खारिज
कैसे लागू हो पाएगा आरक्षण
यह अनुच्छेद कहता है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में महिला आरक्षण तब प्रभावी होगा, जब इस 128वें संविधान संशोधन के लागू होने के बाद हुई पहली जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के पश्चात इसे लागू करने के उद्देश्य से परिसीमन होगा। यानी सामान्य परिसीमन के बाद यह लागू नहीं होगा। महिला आरक्षण लागू करने के लिए इस प्रविधान के तहत पहले परिसीमन होगा और उसके बाद ही महिला आरक्षण लागू हो पाएगा।
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परिसीमन में यह स्पष्ट किया जाएगा कि इस संवैधानिक प्रविधान के तहत महिला आरक्षण लागू करने के लिए परिसीमन हुआ है। इसी तरह महिला आरक्षण में रोटेशन लागू होगा, लेकिन रोटेशन कितने समय में होगा, इसके लिए भी अलग से कानून लाकर अवधि तय की जाएगी। अभी जो संविधान संशोधन का विधेयक आया है, वह महिला आरक्षण देने के लिए अधिकृत करने का यानी शक्ति प्रदान करने का प्रस्ताव करता है। इसके पास होने के बाद इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए कुछ और कानूनी कदम उठाने होंगे।