Women Reservation Bill: राज्यसभा में आज पेश होगा महिला आरक्षण बिल, नारी शक्ति वंदन से नए संसद में रचेगा इतिहास
विधेयक-नारी शक्ति वंदन अधिनियम को सरकार ने मंगलवार को पेश किया जिससे यह नए संसद भवन में पेश होने वाला पहला विधेयक बन गया। नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी को अधिक सक्षम करने वाला यह कानून पार्टियों के बीच आम सहमति के अभाव के चलते 27 वर्षों से लंबित है। लोकसभा में पास होने के बाद आज राज्य सभा में इसपर चर्चा होगी।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Thu, 21 Sep 2023 06:00 AM (IST)
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक पर लोकसभा की मुहर लग गई है। महिला आरक्षण बिल के समर्थन में 454 और केवल दो वोट विरोध में पड़े। यह दो वोट एआइएमआइएम के असदुद्दीन ओवैसी और इम्तियाज जलील द्वारा डाले गए। इस पार्टी के लोकसभा में दो ही सदस्य हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम लोकसभा में पास होने के बाद आज राज्य सभा में इसपर चर्चा होगी। बता दें कि विधेयक के अनुसार, परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरक्षण लागू होगा और 15 वर्षों तक जारी रहेगा।
यह भी पढ़ें: Women Reservation Bill: 'सांसदों का हृदय से आभार', नारी शक्ति वंदन विधेयक के लोकसभा में पारित होने पर PM मोदीविधेयक-नारी शक्ति वंदन अधिनियम को सरकार ने मंगलवार को पेश किया, जिससे यह नए संसद भवन में पेश होने वाला पहला विधेयक बन गया। नीति निर्माण में महिलाओं की भागीदारी को अधिक सक्षम करने वाला यह कानून पार्टियों के बीच आम सहमति के अभाव के चलते 27 वर्षों से लंबित है। बुधवार को लोकसभा में इस बिल पर चर्चा हुई और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने बिल का समर्थन किया। इसके साथ ही मांग की कि ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए और कोटा तुरंत लागू किया जाना चाहिए।
महिला आरक्षण बिल: चर्चा में 27 महिला सांसदों ने लिया हिस्सा
महिला आरक्षण विधेयक पर बुधवार को लोकसभा में 27 महिला सांसदों ने हिस्सा लिया। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर की सांसदों ने विधेयक का समर्थन किया, लेकिन विपक्षी सांसदों ने इसे तत्काल लागू किए जाने की मांग की। वर्तमान में लोकसभा में कुल 82 महिला सांसद हैं। चर्चा के दौरान विधेयक को दिखावा करार देते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि इसका नाम बदलकर महिला आरक्षण पुनर्निर्धारण विधेयक रखा जाना चाहिए।
महिला आरक्षण बिल: कार्रवाई की जरूरतउन्होंने कहा कि कार्रवाई की जरूरत है, न कि विधायी रूप से अनिवार्य विलंब की। मोइत्रा ने कहा कि महिला आरक्षण पूरी तरह से दो अनिश्चित तिथियों पर निर्भर है और पूछा कि क्या इससे भी बड़ा कोई जुमला हो सकता है। शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अगर इसे लागू करने की कोई अंतिम तारीख नहीं है तो इसे इसी सत्र में लाने की क्या जल्दी थी। उन्होंने कहा, आप एक ऐसा विधेयक लेकर आए हैं जो अगले पांच-छह वर्षों में महिलाओं को अधिकार नहीं देगा।
महिला आरक्षण बिल: विधेयक का समर्थनबसपा सांसद संगीता आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी पूरे दिल से इस विधेयक का समर्थन करती है क्योंकि यह महिलाओं को सशक्त बनाएगा और उन्हें प्रोत्साहन देगा। उन्होंने कहा, महिलाएं राष्ट्र निर्माण में भागीदार महसूस करेंगी। हम महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मांग करते हैं। शिवसेना (शिंदे) की भावना गवली ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक का पूर्ण समर्थन करती है क्योंकि इससे देश की सभी महिलाओं को फायदा होगा। भाजपा की सुनीता दुग्गल ने विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि देश की महिलाएं जानती हैं कि सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही उन्हें 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर सकते हैं।
महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाएंगेकेंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती पवार ने भी विधेयक पर अपने विचार रखे। वहीं, वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने विश्वास जताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछड़े वर्ग की महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाएंगे। भाजपा के सहयोगी अपना दल की सदस्य पटेल ने कहा कि विपक्ष की मांग गलत नहीं है और यह एक गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा, हमारे समाज में पिछड़े वर्ग की महिलाओं को हाशिये पर रखा जाता है। उनकी चुनौतियां अलग और अधिक हैं और इसीलिए आरक्षण की मांग आती रहती है।