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महिला आरक्षण पर चिदंबरम की टिप्पणी से उपराष्ट्रपति धनखड़ हुए आहत, बोले- पीड़ा व्यक्त करने के नहीं हैं शब्द

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने एक्स पर पोस्ट की गई चिदंबरम की टिप्पणी का हवाला दिया कि महिला आरक्षण कानून एक भ्रम है। यह चिढ़ाने जैसा है। जैसे पानी से भरे कटोरे में चांद की परछाई दिखाई जाती है। उपराष्ट्रपति ने इसे विकृत मानसिकता करार दिया। इसके साथ ही आश्चर्य जताया कि क्या आज लगाया गया पौधा तुरंत फल देना शुरू कर देता है।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Sun, 01 Oct 2023 05:37 AM (IST)
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महिला आरक्षण पर चिदंबरम की टिप्पणी से उपराष्ट्रपति धनखड़ हुए आहत (file photo)
नई दिल्ली, एजेंसीः उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम की इस टिप्पणी के लिए उन पर निशाना साधा कि विधायिका में महिलाओं के लिए आरक्षण अभी वर्षों दूर है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि लोगों को अपनी अज्ञानता का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करते देखना शर्मनाक है।

पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं...

वह एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरे पास केंद्रीय मंत्री और उच्च पदों पर रह चुके राज्यसभा के एक वरिष्ठ सदस्य द्वारा महिला आरक्षण कानून पर की गई टिप्पणी को लेकर अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं। चिदंबरम का नाम लिए बिना पूर्व केंद्रीय मंत्री की टिप्पणी का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ऐसे कानून का क्या लाभ जो कई वर्षों तक लागू नहीं किया जाएगा।

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निश्चित रूप से 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले नहीं। धनखड़ ने एक्स पर पोस्ट की गई चिदंबरम की टिप्पणी का हवाला दिया कि महिला आरक्षण कानून एक भ्रम है। यह चिढ़ाने जैसा है। जैसे पानी से भरे कटोरे में चांद की परछाई दिखाई जाती है। उपराष्ट्रपति ने इसे विकृत मानसिकता करार दिया।

इसके साथ ही आश्चर्य जताया कि क्या आज लगाया गया पौधा तुरंत फल देना शुरू कर देता है। या फिर क्या किसी व्यक्ति को संस्थान में प्रवेश के तुरंत बाद डिग्री मिल जाती है। आज के युवाओं को इससे लड़ना होगा। कहा कि इस अधिनियम से समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।

नगालैंड ने कहा, विस में पेश किया नगर निकायों में महिलाओं को आरक्षण का बिल

नगालैंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि नगरीय स्थानीय निकायों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक राज्य विधानसभा में पेश किया जा चुका है। नगालैंड विधानसभा ने 12 सितंबर को नगालैंड नगरपालिका विधेयक, 2023 को आगे विचार के लिए प्रवर समिति को संदर्भित करने का फैसला किया था।

नगालैंड में नगरीय स्थानीय निकायों के चुनाव काफी लंबे समय से लंबित हैं और पिछली बार यह चुनाव वर्ष 2004 में हुए थे। प्रदेश सरकार ने शीर्ष अदालत में बताया कि यह प्रक्रिया 16 बड़ी जनजातियों और सात छोटी जनजातियों के प्रमुखों के साथ एक सितंबर, 2023 को परामर्श से संभव हो सका।

सभी ने महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण देने पर सहमति व्यक्त की। इस बाबत नगालैंड के महाधिवक्ता ने जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ को बताया कि मामला प्रवर समिति को संदर्भित कर दिया गया है। शीर्ष अदालत आरक्षण की मांग संबंधी पीपुल्स यूनियन फार सिविल लिबर्टीज और अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।