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भारत और विश्व बैंक के बीच एक बिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता, स्वास्थ्य सेवा को बनाया जाएगा बेहतर

विश्व बैंक (World Bank) और भारत (India) ने शुक्रवार को 50-50 करोड़ डॉलर के दो पूरक ऋण पर हस्ताक्षर किए। दोनों के बीच हुए इन समझौतों से भारत के स्वास्थ्य ढांचे को और बेहतर बनाया जाएगा। File Photo

By AgencyEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 03 Mar 2023 04:45 PM (IST)
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भारत और विश्व बैंक के बीच एक बिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता।
नई दिल्ली, पीटीआई। विश्व बैंक (World Bank) और भारत (India) ने शुक्रवार को 50-50 करोड़ डॉलर के दो पूरक ऋण पर हस्ताक्षर किए। दोनों के बीच हुए इन समझौतों से भारत के स्वास्थ्य ढांचे को और बेहतर बनाया जाएगा। मालूम हो कि एक बिलियन अमेरिकी डॉलर के इस संयुक्त वित्तपोषण के माध्यम से, विश्व बैंक भारत के प्रमुख प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (PM-ABHIM) का समर्थन करेगा

PM-ABHIM के तहत स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने पर जोर

बता दें कि कि PM-ABHIM को अक्टूबर 2021 में लॉन्च किया गया था, ताकि देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया जा सके। विश्व बैंक ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर के हस्तक्षेपों के अलावा, ऋणों में से आंध्र प्रदेश, केरल, मेघालय, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सहित सात राज्यों में स्वास्थ्य सेवा वितरण को प्राथमिकता देगा।

भारत और विश्व बैक के बीच समझौता

बता दें कि भारत की ओर से आर्थिक मामलों के विभाग के अतिरिक्त सचिव रजत कुमार मिश्रा और 'विश्व बैंक इंडिया' के निदेशक अगस्टे तानो कौमे के बीच यह समझौता हुआ है। अगस्टे तानो कौमे ने कहा कि कोविड-19 ने दुनिया भर में महामारी की तैयारी और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता को सामने लाया। उन्होंने कहा कि महामारी से लड़ने की तैयारी वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक भलाई है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत की स्थिति सुधरी

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत के प्रदर्शन में समय के साथ सुधार हुआ है। विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार, भारत की जीवन प्रत्याशा- 2020 में 69.8 पर था, जो 1990 में 58 पर रहा था। आंकड़ों के अनुसार, पांच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर (36 प्रति 1,000), शिशु मृत्यु दर (30 प्रति 1,000) और मातृ मृत्यु दर (103 प्रति 1,00,000 ) है।

हालांकि, भारतीय आबादी के स्वास्थ्य में इन प्रगति के बावजूद, COVID-19 ने प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा वितरण की गुणवत्ता और व्यापकता में सुधार की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया।