विश्व बैंक अध्यक्ष अजय बंगा: वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अधिक आशावादी
विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने सोमवार को कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच वह दीर्घकाल की तुलना में अब भारत और उसकी अर्थव्यवस्था के बारे में ज्यादा आशान्वित हैं। भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था द्वारा की गईं ऐसी पहल के वह बहुत बड़े प्रशंसक हैं और यह गर्व की बात है।
By AgencyEdited By: Paras PandeyUpdated: Tue, 18 Jul 2023 04:52 AM (IST)
गांधीनगर, एजेंसी। विश्व बैंक के अध्यक्ष अजय बंगा ने सोमवार को कहा कि वैश्विक चुनौतियों के बीच वह दीर्घकाल की तुलना में अब भारत और उसकी अर्थव्यवस्था के बारे में ज्यादा आशान्वित हैं। भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे के बारे में उन्होंने कहा कि दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था द्वारा की गईं ऐसी पहल के वह बहुत बड़े प्रशंसक हैं।
जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गर्वनरों की तीसरी बैठक से इतर मीडिया से बातचीत में बंगा ने कहा, 'मैं समग्र रूप से, आर्थिक रूप से दीर्घकाल की तुलना में अब ज्यादा आशावादी हूं। तथ्य यह है कि विश्व अर्थव्यवस्था एक मुश्किल स्थिति में है। इसने हर किसी की सोच से बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि स्थिति और अधिक चुनौतीपूर्ण नहीं होगी।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है, विश्व बैंक का अनुमान है कि अगला वर्ष दुनिया के लिए थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा।' उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटलीकरण के तहत बनाए गए एप्लीकेशन आज लोगों को जिंदगी को आसान बना रहे हैं। इससे नागरिकों को बहुत सारी सेवाएं आनलाइन प्राप्त हो रही हैं।
जी-20 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के जोखिमों व हरित प्रौद्योगिकी पर चर्चा
जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों ने सोमवार को वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं उसके जोखिमों के साथ-साथ हरित एवं निम्न-कार्बन प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने के नीतिगत उपायों पर चर्चा की। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने उद्घाटन भाषण में वैश्विक आर्थिक वृद्धि के अपने दीर्घकालिक औसत से नीचे और असमान होने का जिक्र करते हुए कहा कि खाद्य, ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा, 'इन मुद्दों से जो नीतिगत सबक सामने आए हैं, वे स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित करते हैं।'