18 महीने की प्लानिंग के बाद कैसे केवल दो दिनों में अंजाम दी गई थी सदी की सबसे बड़ी चोरी
क्या आपने दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड चोरी (Worlds Biggest Diamond Heist) के बारे में सुना है। यदि नहीं सुना है तो इसके बारे में गूगल पर खोजने की जरूरत नहीं है। हम आपको आज हीरों की इस चोरी के बारे में ए टू जेड सबकुछ बता रहे हैं। इस सच्ची घटना को पढ़कर आप मनी हाइस्ट या इस जैसे किसी भी काल्पनिक घटनाक्रम को भूल ही जाएंगे।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। चाहे हीरा कहिए या डायमंड..., इसका नाम सुनकर आंख में चमक तो आ ही जाती है। कोहिनूर, रीगेंट, द स्टार ऑफ अफ्रीका... ये कुछ ऐसे हीरों के नाम हैं जो पूरी दुनिया में अपने नाम और आकार की वजह से पहचाने जाते हैं।
जितना बड़ा हीरा, उतनी ज्यादा सुरक्षा। यही वजह है कि हीरा सदा के लिए तो है, पर सभी के लिए नहीं है। क्या आप जानते हैं कि दुनिया के किस शहर में हीरों की सबसे बड़ी चोरी (Heist of the Century) हुई थी। चलिए हम आपको चोरी की वो कहानी पढ़ाते हैं जिसने अपराध की दुनिया में नया इतिहास लिख दिया है।
यह घटना है बेल्जियम के शहर एंटवर्प (Antwerp World Diamond Centre's vault) की और साल था 2003 का फरवरी महीना। शातिर चोरों के एक समूह (School of Turin) ने दो साल की प्लानिंग के बाद जिस काम को अंजाम दिया था, उसमें लगभग 100 मिलियन डॉलर मूल्य के हीरे चोरी हुए थे। इस चोरी को सदी की चोरी नाम से भी जाना जाता है।
आइए संक्षेप में यह जानते हैं कि पूरा मामला क्या था
- घटना किस शहर में हुई थी: बेल्जियम का एंटवर्प शहर, जिसे दुनिया में हीरों की राजधानी भी कहा जाता है।
- किसे निशाना बनाया गया था: एंटवर्प वर्ल्ड डायमंड सेंटर वॉल्ट में चोरी को अंजाम दिया गया था। इसे दुनिया की सबसे सुरक्षित तिजोरी माना जाता है।
- कब हुई थी घटना: 15-16 फरवरी 2003 को।
- कितना नुकसान हुआ था: माना जाता है कि इस चोरी में लगभग 100 मिलियन डॉलर कीमत के हीरे, सोना, गहने और कई बहुमूल्य वस्तुएं चोरी हुई थीं।
- मास्टरमाइंड कौन था: लियोनार्डो नोतरबार्तोलो नाम का एक इतालवी चोरी इस घटना का मास्टरमाइंड था। उसने कई सालों की मेहनत और कोशिश के बाद सदी की सबसे चोरी को अंजाम दिया था।
- कौन कौन शामिल था इस चोरी में: नोतरबार्तोलो ने इस चोरी को अंजाम देने के लिए चोरों की ऐसी टीम बनाई थी, जिन्हें स्कूल ऑफ ट्यूरिंग भी कहा जाता था। चोरों के इस गिरोह में शामिल हर व्यक्ति चोरी की किसी न किसी विधा में महारत रखता था।
- कैसे दिया था चोरी को अंजाम: चोरों ने बड़ी चालाकी और हाई-टेक के इस्तेमाल से इस योजना को अंजाम दिया था। इन्फ्रारेड हीट टेक्नोलाॅजी, मोशन सेंसर, एक भूकंपीय सेंसर और एक चुंबकीय सेंसर का इस्तेमाल किया गया था। सुरक्षा कैमरों से बचने के लिए हेयरस्प्रे का उपयोग किया था। तिजोरी को खोलने के लिए डुप्लिकेट चाबियों का इस्तेमाल किया गया था। माना जाता है कि यह इतिहास की सबसे बड़ी चोरी थी।
मास्टरमाइंड नोतरबार्तोलो ने 6 साल की उम्र में शुरू किया चोरी
आपको सुन के आश्चर्य होगा कि इस लूट का माल कभी नहीं मिला। लेकिन लूट के बाद मास्टरमाइंड नोतरबार्तोलो को मिले सबूतों के आधार पर 10 साल की सजा सुनाई गई। मास्टरमाइंड नोतरबार्तोलो ने हमेशा किसी भी अपराध से जुड़ने से इनकार किया है और पत्रकारों के साथ अपने मामले पर चर्चा करने से उसने हमेशा मना किया है। नोतरबार्तोलो ने 2000 तक दर्जनों बड़ी डकैतियों को अंजाम दिया था। कहा जाता है कि नोतरबार्तोलो ने यह चोरी सिर्फ पैसे के लिए नहीं की थी।उसने यह चोरी इसलिए कि क्योंकि वह चोर बनने के लिए ही पैदा हुआ था। उसे अपनी पहली डकैती की हर घटना आज भी याद है। बताया जाता है कि साल 1958 में जब मास्टरमाइंड नोतरबार्तोलो 6 का था और उसकी मां ने जब उसको दूध के लिए बाहर भेजा था तो वह 5,000 लीरा, लगभग $8 के साथ वापस आया था। क्योंकि जब वह दूध लेने गया तब दूधवाला सो रखा था और नोतरबार्तोलो ने उसकी दराजें तोड़ कर पैसे निकाल लिए थे। जिसके बाद उसकी मां ने उसे बहुत पीटा, लेकिन नोतरबार्तोलो को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।
Source: इस खबर को बनाने में wired.com वेबसाइट पर 2009 में जारी हुई रिपोर्ट एवं डिस्कवरी प्लस एप पर हाल ही में रिलीज हुई सीरिज History's Greatest Heists की जानकारियों का उपयोग किया गया है।यह भी पढ़ें: जागरण स्पेशल: अबू धाबी के मंदिर परिसर में हजारों साल पुराने सब फॉसिल ओक नजारा, जानें इसकी विशेषता
यह भी पढ़ें: मसाने की होली: शिव के गणों ने चिता भस्म से खेली होली, गूंजी हर-हर महादेव की बोली