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World Press Freedom Day: देश-दुनिया के वो पत्रकार जिन्होंने छोड़ी अपनी छाप, हर किसी ने माना उनकी कलम का लोहा

देश दुनिया में आज के दिन 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज प्रेस स्वतंत्रता दिवस की 30वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर हम आपको बताते हैं दुनिया के कुछ ऐसे पत्रकारों की कहानी जिन्होंने अपने काम से दुनिया में मुकाम हासिल किया।

By Versha SinghEdited By: Versha SinghUpdated: Wed, 03 May 2023 01:39 PM (IST)
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देश दुनिया के वो पत्रकार जिन्होंने छोड़ी पत्रकारिता जगत में अपनी छाप
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। वहीं, भारत में भी अक्सर प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर चर्चा होती रहती है। पत्रकारिता करना एक बेहद जोखिमभरा काम है। कई बार पत्रकारिता करते हुए पत्रकारों पर हमले हो जाते हैं। इसके कई उदाहरण दुनियाभर में सामने आ चुके हैं।

सच को सामने लाने और अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से निभाने के लिए पत्रकार अपनी जान को जोखिम में डालने से भी नहीं हिचकते हैं। अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर काम करने वाले पत्रकारों की आवाज को कोई ताकत न दबा सके, इसके लिए उन्हें स्वतंत्रता मिलनी बहुत जरूरी है, तभी वे अपने काम को अच्छे से कर पाएंगे।

इसी उद्देश्य के साथ हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (World Press Freedom Day) मनाया जाता है। आइए जानते हैं ऐसे पत्रकारों के बारे में जिन्होंने देश दुनिया में अपनी पत्रकारिता के दम पर अपना नाम बनाया और एक मुकाम हासिल किया।

पूरी दुनिया में ऐसे कई पत्रकार हैं जिन्होंने अपनी जान पर खेल कर अपनी रिपोर्टिंग और अपने काम को अंजाम दिया है। ऐसे कुछ नामों की चर्चा हम इस खबर के माध्यम से करने जा रहे हैं।

जोसेफ पुलित्जर

पत्रकारिता की दुनिया में जोसेफ पुलित्जर का नाम बहुत मशहूर है। इनका जन्म 10 अप्रैल 1847 को हंगरी में हुआ था। पुलित्जर जीवनभर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ते रहे। पुलित्जर 11 साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया था और उनकी मां ने एक व्यापारी से शादी कर ली थी।

बता दें कि जोसेफ पुलित्जर 17 साल की उम्र में हंगरी से अमेरिका गए ताकि गृह युद्ध में बतौर सिपाही हिस्सा लेकर जीविका कमा सकें लेकिन शायद तकदीर को ये मंजूर नहीं था। उन्हें सिपाही नहीं मशहूर पत्रकार जो बनना था।

पुलित्जर को जर्मन भाषा आती थी और उन्हें अमेरिका के सेंट लुइस में जर्मन भाषा के एक अखबार में नौकरी मिली। एक साल के अंदर वह रिपोर्टर से मैनेजिंग एडिटर बन गए। इसी बीच साल 1860 में जोसेफ पुलित्जर ने लॉ की पढ़ाई पूरी की और साल 1869 में मिसौरी विधानसभा के लिए चुने गए।

साल 1879 में उन्होंने सेंट लुइस में दो अखबारों का अधि‍ग्रहण किया और दोनों को मिलाकर एक सेंट लुइस पोस्ट डिस्पैच शुरू किया, जो आज भी मौजूद है। पुलित्जर ने 5 साल बाद न्यूयॉर्क वर्ल्ड अखबार को शुरू किया था। ये दोनों अखबार बेहतरीन पत्रकारिता के उदाहरण माने जाते हैं। साल 1917 से जोसेफ पुलित्जर के ही नाम पर 'पुलित्जर पुरस्कार' देने शुरू किए गए थे।

पी साईनाथ

पलागुम्मी साईनाथ एक भारतीय पत्रकार और लेखक हैं। वह PARI (पीपुल्स आर्काइव्स ऑफ रूरल इंडिया) के संस्थापक हैं, जो ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के दैनिक जीवन का संग्रह है। साईनाथ द हिंदू में ग्रामीण मामलों के पूर्व संपादक थे। उन्होंने ग्रामीण मामलों, सूखा, गरीबी, सामाजिक-आर्थिक असमानता और बहुत कुछ पर कई लेख लिखे हैं।

उन्होंने हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों को सुर्खियों में लाने में दिलचस्पी दिखाई है। PARI की शुरुआत वर्ष 2011 में हुई थी और इसे 2014 में अस्तित्व में लाया गया था। इसके अलावा, वह रेमन मैग्सेसे पुरस्कार पाने वाले कुछ लोगों में से एक हैं। उनकी पुस्तक, "एवरीबडी लव्स ए गुड ड्रॉट" को हाल ही में पेंगुइन क्लासिक घोषित किया गया है।

सुचेता दलाल

सुचेता दलाल एक भारतीय पत्रकार और लेखिका हैं। पिछले दो दशकों से व्यापार पत्रकारिता के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। वह मनीलाइफ नामक एक साप्ताहिक पत्रिका की संस्थापक हैं।

साल 2006 में, उन्हें उनके कार्यों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। पत्रकारिता करियर के प्रति उनका योगदान वर्ष 1998 में शुरू हुआ जब वह "टाइम्स ऑफ इंडिया" में एक वित्तीय संपादक के रूप में शामिल हुईं थी। उनके सर्वश्रेष्ठ कार्यों में 1992 के प्रतिभूति घोटाले (securities scam) पर आधारित लेख शामिल हैं।

फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी 

दानिश सिद्दीकी एक भारतीय पत्रकार थे। दुनिया की सबसे मशहूर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के साथ एक फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर काम कर रहे थे। कंधार शहर के स्पिन बोलदाक जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच झड़पों की कवरेज करने के दौरान वे मारे गए थे।

जो काम कलम नहीं कर पाती, दानिश उसे अपने कैमरे के लैंस के जरिए करने में सफल होते हैं। उनके काम के लिए उन्हें कम उम्र में ही इतनी महारत मिल चुकी थी, जिसके चलते 2018 में उन्हें प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरुस्कार से नवाजा गया था। लेकिन बौखलाए तालिबानियों के बीच हो रही लड़ाई को अपने कैमरे में कैद करने वाले दानिश की तालिबानियों द्वारा बेरहमी से हत्या कर दी गई।

हंटर एस थॉम्पसन

हंटर एस थॉम्पसन एक अमेरिकी पत्रकार और लेखक थे। उन्होंने तस्वीरें भी लीं, चित्र बनाए, वृत्तचित्र बनाए और लगभग वह सब कुछ किया जो वह करना चाहते थे। थॉम्पसन गोंजो पत्रकारिता नामक एक शैली के निर्माता थे।

अपने जीवन में वह फियर एंड लोथिंग इन लास वेगास, हेल्स एंजल्स के लिए भी जाने जाते हैं। हंटर एस थॉम्पसन ने 67 साल की उम्र में खुद को सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी।

ऐसे हुई थी प्रेस डे की घोषणा

साल 1991 में अफ्रीका के पत्रकारों ने प्रेस की आजादी के लिए पहली बार मुहिम छेड़ी थी। 3 मई को प्रेस की आजादी के सिद्धांतों को लेकर एक बयान जारी किया गया था, इसे डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से जाना जाता है।

इसके ठीक 2 साल बाद 1993 में संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने पहली बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से आज तक 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2023 की थीम

हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की एक थीम निर्धारित की जाती है। पिछले साल विश्व पत्रकारिता दिवस की थीम 'Journalism under Digital Siege' रखी गई थी। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की इस साल 30वीं वर्षगांठ है। साल 2023 की थीम है- 'Shaping a Future of Rights: Freedom of Expression as a Driver for all other human rights'।