World Yoga Day 2022: योग के जरिये दुनिया की पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं दूर
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राज योग के सहज मार्ग तंत्र के चौथे आध्यात्मिक गुरु और भारतीय योग संघ के सदस्य कमलेश पटेल (दाजी) ने हरित योग का संकल्प सामने लाते हुए विश्व कल्याण के लिए जरूरी पर्यावरणीय संतुलन लाने का मार्ग प्रशस्त किया।
नई दिल्ली, एजेंसी। आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का भव्य आयोजन किया जा रहा है। हालांकि, ज्यादातर लोग अभी तक योग को आसन ही मानते हैं, जबकि योग एक संपूर्ण जीवन पद्धित है जो जीवन को एक ध्येय देती है, एक दिशा देती है और एक अनुशासन देती है। उचित ढंग से ऐसा करने पर जीवन में सकारात्मक और संपूर्ण परिवर्तन आता है। योग के जरिये ना केवल शारीरिक और मानसिक परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती है, बल्कि सांसारिक और पर्यावरणीय समस्याओं को भी दूर किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर राज योग के सहज मार्ग तंत्र के चौथे आध्यात्मिक गुरु और भारतीय योग संघ के सदस्य कमलेश पटेल (दाजी) ने हरित योग का संकल्प सामने लाते हुए विश्व कल्याण के लिए जरूरी पर्यावरणीय संतुलन लाने का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने स्वदेशी सोशल मीडिया मंच कू ऐप के जरिये एक वीडियो पोस्ट में इस बात की विस्तार से जानकारी दी। अपनी इस कू पोस्ट में दाजी ने लिखा- “इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर आइए हम सब एक साथ आएं और अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण का संकल्प लें। हरित योग पहल के माध्यम से इस परिवर्तनकारी यात्रा में शामिल हों।”
View attached media content - Daaji - Kamlesh Patel (@kamleshdaaji) 21 June 2022
इस वीडियो में योग के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कई महत्वपूर्ण शख्सियतों को शामिल किया गया है। इनमें योग गुरु बाबा रामदेव, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत समेत कई लोग शामिल रहे। वहीं, वीडियो में महर्षि पतंजलि के अष्टांग योग के बारे में भी जानकारी दी गई। इसमें यामा पहला योग है। यामा का मतलब सभी बुरी चीजों का त्याग करना है।
वीडियो में दाजी ने बताया कि योग एक ऐसी चीज है जो हमें हमारी सीमाओं के बारे में बताती है कि कहां पर रुकना है। एक सच्चा योगी प्रकृति के हिसाब से रहता है। वीडियो में बताया गया कि कर्नाटक के कान्हा शांति वनम का ही उदाहरण ले लें, 2014 से पहले यह बंजर भूमि थी, लेकिन दाजी के नेतृत्व में यहां पर लोगों ने ध्यान शुरू किया और फिर यहां का कायाकल्प हो गया। यहां दो माह ही बारिश होती है और बाकी दस माह नहीं। यहां की जमीन महंगी होती है लेकिन यह बंजर भूमि हमें वाजिब कीमत में मिल गई और हमने इस उर्वर बना दिया और अब यहां का नजारा देखते बनता है।
यह परिवर्तन दृढ़ इच्छाशक्ति वाले एक-एक स्वयंसेवी के चलते हुए। यहां पर सड़कों से हटाए जाने वाले विशालकाय वृक्षों को भी लाकर गाड़ा गया और उन्हें अच्छी तरह लगाया गया। यहां की हरियाली आज देखते बनती है। यह वन योग द्वारा लाए जा सकने वाले परिवर्तन का एक बड़ा उदाहरण है। हर व्यक्ति योग के जरिये स्वयं से धऱती माता के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करते हुए प्रकृति को संवारने में सराहनीय योगदान दे सकता है।