कॉलेजियम के पास जजों की नियुक्ति को तथ्यपरक डाटा नहीं, कहना गलत: प्रधान न्यायधीश चंद्रचूड़
भारत के प्रधान न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जोर देकर कहा कि यह कहना गलत है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास सर्वोच्च अदालत और हाई कोर्टों में जजों की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों का कोई तथ्यपरक डाटा नहीं है। सीजेआइ ने कहा कि हमारा मकसद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों के जजों के चयन में उद्देश्यपरक मानकों का निर्धारण करना है।
क्या कुछ बोले प्रधान न्यायधीश?
सीजेआइ ने कहा कि हमारा मकसद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टों के जजों के चयन में उद्देश्यपरक मानकों का निर्धारण करना है। हमारा लक्ष्य अदालतों को प्रतिष्ठानों के रूप में स्थापित करना है और कामकाज का अनौपचारिक माडल नहीं रहे। प्रतिष्ठान के रूप में स्थापित अदालतों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा मिलता है, लेकिन देखा गया है कि अक्सर लोग आते हैं और अपने विचारों को रखते हैं। पर जब वह अपनी कमान किसी दूसरे के हाथ में सौंपते हैं तो उन नियम-कायदों को भुला दिया जाता है।इस दिशा में हम काम कर रहे हैं। हमारे पास अनुसंधान और योजना के लिए एक केंद्र है। इसका नेतृत्व हरियाणा की न्यायिक सेवाओं के एक अधिकारी करते हैं। हमारे पास फैसलों के लिए सिर्फ आंकड़े ही नहीं हैं बल्कि फैसलों में भी गुणवत्ता है।
CJI ने व्यक्त किया अफसोस
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय पैनलों में सभी भारतीय मध्यस्थों में महिलाएं 10 प्रतिशत से भी कम हैं। उन्होंने ऐसी स्थिति को विविधतापूर्ण विरोधाभास करार देते हुए अफसोस व्यक्त किया।प्रधान न्यायाधीश गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग (UNCITRAL) दक्षिण एशिया सम्मेलन, 2023 के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। यह भी पढ़ें: हेमंत सोरेन की याचिका पर अब 18 सितंबर को होगी सुनवाई, ED के समन को सीएम ने सुप्रीम कोर्ट में दी है चुनौतीजस्टिस चंद्रचूड़ ने इस तथ्य की सराहना की कि अब विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थानों ने मध्यस्थों के क्षेत्रीय रूप से विविध पैनल तैयार किए हैं। उन्होंने कहा,प्रधान न्यायाधीश ने लैंगिक विविधता पर एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया और कहा कि इसमें लैंगिक असंतुलन के लिए अचेतन पूर्वाग्रह को कारक माना गया।इन पैनलों की लिंग आधारित संरचनाओं को नजरअंदाज करना मुश्किल है। हम उस चीज का सामना कर रहे हैं जिसे विविधतापूर्ण विरोधाभास कहा जाता है यानी हमारे घोषित उद्देश्यों और वास्तविक नियुक्तियों के बीच कोई मेल नहीं है।