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'बुलडोजर लेकर रातोंरात घर नहीं तोड़ सकते', उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सड़क चौड़ीकरण के लिए अवैध निर्माण ढहाने के मनमाने रवैये पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 25 लाख रुपये अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अधिकारियों की कार्रवाई पर गंभीर असंतोष जताते हुए कहा कि कोर्ट के समक्ष जो हलफनामा है उसके मुताबिक कार्रवाई से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया था।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Wed, 06 Nov 2024 09:48 PM (IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने सड़क चौड़ीकरण के लिए अवैध निर्माण ढहाने मामले में को यूपी सरकार को लगाई फटकार।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क चौड़ीकरण के लिए अवैध निर्माण ढहाने के मनमाने रवैये पर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आप बुलडोजर लेकर रातोंरात घर नहीं तोड़ सकते। कार्रवाई के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।

अवैध रूप से तोड़फोड़ पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 25 लाख रुपये अंतरिम मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश के महाराजगंज से मनोज टिबरेवाल आकाश द्वारा भेजी गई शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेकर की गई सुनवाई में दिए।

अथॉरिटी ने क्या दी दलील?

टिबरेवाल का घर 2019 में महाराजगंज में सड़क चौड़ी करने के लिए ढहा दिया गया था। अधिकारियों का मानना था कि यह अतिक्रमण है। कोर्ट ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, अथॉरिटी का कहना है कि मकान में 3.7 वर्गमीटर का अवैध निर्माण था। कोर्ट अगर यह बात मान भी ले तो तय प्रक्रिया का पालन क्यों नहीं किया गया। पहले नोटिस क्यों नहीं दिया गया। इस तरह मनमानी कार्रवाई कैसे की जा सकती है। लोगों का घर कैसे धवस्त कर सकते हैं। किसी के घर में घुसकर बिना नोटिस उसे ध्वस्त करना अराजकता है।

कोर्ट ने अधिकारियों की कार्रवाई पर गंभीर असंतोष जताते हुए कहा कि कोर्ट के समक्ष जो हलफनामा है, उसके मुताबिक कार्रवाई से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया था। आप केवल साइट पर गए और मुनादी करके लोगों को सूचित किया।

उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए: कोर्ट

कोर्ट को बताया गया कि इसी तरह के 123 अन्य निर्माण भी वहां थे। जस्टिस पार्डीवाला ने टिप्पणी की कि यह बहुत मनमानी है। आप बुलडोजर लेकर रातों-रात घर नहीं तोड़ सकते। आप परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देते। घर के सामान का क्या। उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। आप सिर्फ ढोल बजाकर मुनादी करके लोगों को घर खाली करने और उसे ध्वस्त करने के लिए नहीं कह सकते। उचित नोटिस दिया जाना चाहिए।

कोर्ट ने मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा की गई जांच रिपोर्ट पर भरोसा किया जिसमें कहा गया था कि अधिकतम 3.7 वर्गमीटर का अतिक्रमण था और पूरे घर को गिराने का कोई औचित्य नहीं था। कोर्ट ने पूछा कि कथित अतिक्रमण से ज्यादा हिस्से को ध्वस्त क्यों किया गया।

याचिकाकर्ता का आरोप था कि अधिकारियों के गलत कार्यों के बारे में स्थानीय समाचार पत्र में रिपोर्ट प्रकाशित होने की वजह से ध्वस्तीकरण किया गया। हालांकि कोर्ट ने इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये मुआवजा दे। यह मुआवजा अंतरिम प्रकृति का है और याचिकाकर्ता द्वारा मुआवजे के लिए अपनाई गई अन्य कानूनी कार्रवाई के रास्ते में नहीं आएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को दोषी अधिकारियों और ठेकेदार के विरुद्ध जांच व अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

सड़क चौड़ीकरण के लिए तय की प्रक्रिया

कोर्ट ने इसके अलावा आदेश में सड़क चौड़ीकरण परियोजनाओं के लिए अतिक्रमण हटाने के से पहले अपनाई जाने वाली प्रक्रिया भी तय की है। कोर्ट ने सभी राज्यों को इसका पालन करने को कहा है जिसमें सड़क चौड़ीकरण के लिए सड़क की मौजूदा चौड़ाई देखी जाएगी। अगर अतिक्रमण है तो उसे हटाने के लिए नोटिस दिया जाएगा।

अगर नोटिस पर आपत्ति की गई तो उस पर सुनवाई होगी और आदेश दिया जाएगा। यदि आपत्ति खारिज की गई तो अतिक्रमणकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए तर्कसंगत समय दिया जाएगा। कोर्ट ने सभी राज्यों को आदेश की प्रति भेजने का निर्देश दिया है।