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17 बार भारत को लूटने वाले महमूद गजनवी की हुई थी ऐसी दर्दनाक मौत

महमूद ने सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग तोड़ डाला। मंदिर को ध्वस्त किया। हज़ारों पुजारी मौत के घाट उतार दिए और वह मंदिर का सोना...

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Updated: Tue, 31 May 2016 05:33 PM (IST)

महमूद गजनवी के बारे में तो आपने सुना ही होगा जिसके आक्रमण और लूटमार के काले कारनामों से तत्कालीन ऐतिहासिक ग्रंथों के पन्ने भरे हुए हैं। महमूद ग़ज़नवी मध्य अफ़ग़ानिस्तान में केन्द्रित गज़नवी वंश का एक महत्वपूर्ण शासक था जो पूर्वी ईरान भूमि में साम्राज्य विस्तार के लिए जाना जाता है। वह तुर्क मूल का था और अपने समकालीन (और बाद के) सल्जूक तुर्कों की तरह पूर्व में एक सुन्नी इस्लामी साम्राज्य बनाने में सफल हुआ।

उसके द्वारा जीते गए प्रदेशों में आज का पूर्वी ईरान, अफगानिस्तान और संलग्न मध्य-एशिया (सम्मिलिलित रूप से ख़ोरासान), पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत शामिल थे। लेकिन क्या आप जानते हैं इस क्रूर आक्रमणकारी की मृत्यु कैसे और कब हुई? आज हम आपको बताते हैं इस तुर्क शासक के बारे में और भारत में इसके द्वारा किए गए आक्रमणों के बारे में।

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17 बार लूटा था भारत को
महमूद ग़ज़नवी यमीनी वंश का तुर्क सरदार ग़ज़नी के शासक सुबुक्तगीन का पुत्र था। उसका जन्म ई. 971 में हुआ, 27 वर्ष की आयु में ई. 998 में वह शासनाध्यक्ष बना था। महमूद बचपन से भारतवर्ष की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था। महमूद भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के स्वप्न देखा करता था। उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया और यहां की अपार सम्पत्ति को वह लूट कर ग़ज़नी ले गया था। आक्रमणों का यह सिलसिला 1001 ई. से आरंभ हुआ।महमूद इतना विध्वंसकारी शासक था कि लोग उसे मूर्तिभंजक कहने लगे थे।

तोड़ डाला शिवलिंग
महमूद का सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर था। देश की पश्चिमी सीमा पर प्राचीन कुशस्थली और वर्तमान सौराष्ट्र (गुजरात) के काठियावाड़ में सागर तट पर सोमनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है। स्कंद पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। चालुक्य वंश का भीम प्रथम उस समय काठियावाड़ का शासक था।

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महमूद के आक्रमण की सूचना मिलते ही वह भाग खड़ा हुआ।विध्वंसकारी महमूद ने सोमनाथ मंदिर का शिवलिंग तोड़ डाला। मंदिर को ध्वस्त किया। हज़ारों पुजारी मौत के घाट उतार दिए और वह मंदिर का सोना और भारी ख़ज़ाना लूटकर ले गया। अकेले सोमनाथ से उसे अब तक की सभी लूटों से अधिक धन मिला था। उसका अंतिम आक्रमण 1027 ई. में हुआ। उसने पंजाब को अपने राज्य में मिला लिया था और लाहौर का नाम बदलकर महमूदपुर कर दिया था। महमूद के इन आक्रमणों से भारत के राजवंश दुर्बल हो गए और बाद के वर्षों में मुस्लिम आक्रमणों के लिए यहां का द्वार खुल गया।

शारीरिक कष्ट पड़े थे झेलने
अपने अंतिम काल में महमूद गजनवी असाध्य रोगों से पीड़ित होकर असहनीय कष्ट पाता रहा था। अपने दुष्कर्मों को याद कर उसे घोर मानसिक क्लेश था। वह शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से ग्रसित था। उसकी मृत्यु सन 1030, अप्रैल 30 गजनवी में मलेरिया के कारण हुई।

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