देश के लिए सब कुछ कुर्बान करने के जज्बे का नाम है शहीद मनिंदर, जानिये उनके जीवन के ये पहलू
पुलवामा के आतंकी हमले में शहीद हुए मनिंदर सिंह आज देश के प्रति सर्वस्व न्यौछावर करने के जज्बा बन गए हैं। जिंदगी की आसान राह को छोड़ उन्होंने सीमा पर मातृभूमि की रक्षा को चुना।
By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Sat, 16 Feb 2019 06:49 PM (IST)
गुरदासपुर, जेएनएन। देश का इतिहास पंजाब के रणबांकुरों की अपनी वीरता और बलिदान की गाथाओं नेे भरा पड़ा है। इनमें वीरों की भूमि के जाबांज मनिंदर सिंह का नाम भी शामिल हो गया है। मनिंदर आइटी विशेषज्ञ और बीटेक होने के बावजूद देश सेवा के लिए सीआरपीएफ में भर्ती हुए। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान शहादत देकर उन्होंने साबित किया कि देश की जवानी भारत माता की रक्षा के लिए तन-मन से तैयार हैं।
मनिंदर सिंह बचपन से ही निडर और कुछ कर गुजरने के जोश से ओतप्रोत थे। उनके मोहल्ले के लोगों में शुरू से भी उनमें खास नजर आता था। गांव के लोगों के अनुसार, उसे देखकर लगता था वह गांव और क्षेत्र का नाम चमकाएगा। देश के लिए शहादत देकर वीर सपूत ने इसे साबित कर दिया।
दीनानगर के आरिया नगर के रहने वाले मनिंदर ने पिछले साल 2018 में सीआरपीएफ मेंं भर्ती हुए थे। 31 साल की छोटी आयु में मनिंदर क्षेत्र और पंजाब के नौजवानों को वतन की सरपस्ती का मार्ग दिखा गया। बीटेक पास मनिंदर सिंह 2018 में सीआरपीएफ में बेंगलुरू में भर्ती हुए थे और वर्तमान में पुलवामा में तैनात थे। उनके पिता सतपाल सिंह पंजाब रोडवेज से बतौर ट्रैफिक मैनेजर सेवानिवृत हुए हैं। उनका छोटा भाई लखबीर सिंह भी सीआरपीएफ में कार्यरत हैं और असम में तैनात हैं।
मनिंदर सिंह ऊंचा मुकाम हासिल करना चाहते थे और उनकी अफसर बनने की इच्छा थी। इसी कारण वह सीआरपीएफ में रहते हुए भी समय-समय पर टेस्ट देते रहते थे और सीआइडी का टेस्ट पास भी कर चुके थे। उनकी पुलिस इन्कवायरी भी हो चुकी थी। बहनें और पिता उन्हें शादी करने के लिए कहते थे कि अफसर बन जाऊं फिर शादी करुंगा। इसके लिए उन्होंने परिवार से एक साल का समय मांगा था।
मनिंदर ने 12वीं पास करने के बाद बीटेक किया। बीटेक करने के उनको 2017 में बेंगलुरु में एक कंपनी में नौकरी मिल गई। नौकरी करते समय ही वह स्पोट्र्स कोटे से सीआरपीएफ में बतौर कांस्टेबल भर्ती हो गए। पारिवार वालों को उनके सीआरपीएफ में भर्ती होने का पता उस वक्त चला जब वह वर्दी पहनकर घर आया। पिता ने बताया मनिंदर पढ़ाई में काफी होशियार थे। पांचवीं कक्षा के बाद वह नवोदय विद्यालय में चयनित हो गए।मनिंदर ने 30 जनवरी तक छुट्टी ली थी, लेकिन बाद में कश्मीर में बर्फबारी के कारण रास्ते बंद होने के बाद 13 फरवरी तक छुट्टी बढ़ा ली थी। बुधवार सुबह 5.15 बजे वह वापस गए थे और वीरवार को शहादत की खबर आ गई।