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Punjab Weather: सरकार की सख्ती के बावजूद रुक नहीं रहे पराली जलाने के मामले, राज्य में 11 दिन में 1084 एफआईआर

सरकार और प्रशासन की सख्ती के बाद भी पराली जलाने की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। राज्य में मंगलवार को भी 513 जगहों पर पराली जलाने के केस सामने आए। राज्य में धान की कटाई लगभग खत्म होने को है। पराली जलने की घटनाओं का न थमना चिंताजनक है। राज्य में पराली जलाने का आंकड़ा 35606 तक पहुंच गया है।

By Jagran NewsEdited By: Monu Kumar JhaUpdated: Wed, 22 Nov 2023 09:00 AM (IST)
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सरकार की सख्ती के बावजूद रुक नहीं रहे पराली जलाने के मामले। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सरकार की सख्ती के बावजूद पराली जलाने की घटनाओं पर रोक नहीं लग पा रही है। राज्य में मंगलवार को भी 513 जगह पराली जलाने के मामले सामने आए। फाजिल्का में 105, फिरोजपुर में 58, मुक्तसर में 47, बरनाला में 40, बठिंडा में 37 और फरीदकोट 31 मामले सामने आए। राज्य में पराली जलाने का आंकड़ा 35,606 तक पहुंच गया है।

11 दिन में 1,084 एफआईआर दर्ज

बता दें, 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट की फटकार से पहले राज्य में पराली जलाने की कुल घटनाएं 20,978 थी, जबकि 18 किसानों के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज की गई थी। इसके बाद पिछले 11 दिन में 1,084 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, जबकि 340 मामलों में राजस्व रिकार्ड में रेड एंट्री की गई है।

पराली जलने की घटनाओं का न थमना चिंताजनक

राज्य में धान की कटाई लगभग खत्म होने को है। पराली जलने की घटनाओं का न थमना चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगने के बाद राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने भी पंजाब सरकार की कार्रवाई पर उंगली उठाई है और इसे प्रशासनिक असफलता करार दिया। एनजीटी ने कहा था कि दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए पंजाब सरकार जिम्मेदार है।

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एनजीटी ने कही थी बड़ी बात

एनजीटी ने कहा था कि अगर सरकार पराली जलाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई कर रही है तो फिर सुधार क्यों नहीं हो रहा। वहीं, पुलिस प्रशासन ने सख्ती दिखाई तो किसान संगठन दर्ज मामलों व रेड एंट्री के विरोध में उतर आए हैं। दरअसल, सरकार ने प्रशासनिक निष्क्रियता को खत्म करते हुए नौ जिला उपायुक्तों व 11 को नोटिस जारी किया था।

बठिंडा में सबसे ज्यादा एक्यूआइ हुआ दर्ज

इसके बाद पुलिस प्रशासन और सख्त हो गया, लेकिन किसान संगठनों के रवैये से पराली जलने की सिलसिला नहीं रुक रहा। पराली जलाने के चलते राज्य के विभिन्न शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) भी बिगड़ा है। बठिंडा 401 एक्यूआइ के साथ सबसे ज्यादा प्रदूषित रहा।

मोगा में 167 और रूपनगर में 162 एक्यूआइ रहा। बता दें, शून्य और 50 के बीच एक एक्यूआइ को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है।

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