Move to Jagran APP

भारतीय फुटबॉल के लिए उम्मीद की तरह है अंडर-17 विश्व कप

भारत की आजादी के बाद यह सिर्फ तीसरा मौका है जब उसकी फुटबॉल टीम शीर्ष 100 में पहुंची है। इससे पहले 1996 में टीम को 94वें नंबर पर आने का मौका मिला था।

By Pradeep SehgalEdited By: Updated: Sun, 02 Jul 2017 12:51 PM (IST)
Hero Image
भारतीय फुटबॉल के लिए उम्मीद की तरह है अंडर-17 विश्व कप

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। लगातार फिक्सिंग, विवाद और भ्रष्टाचार में लिप्त रहने के बावजूद भारत में जितना जुनून और प्यार क्रिकेट के लिए देखने को मिलता है उतना किसी और खेल को नहीं मिलता। दुनिया में सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल फुटबॉल भी भारत में अभी तक अपनी वह जगह नहीं बना पाया जिसका वह हकदार है। हालांकि धीरे-धीरे स्थितियों को बदलने की कोशिश हो रही है। बंगाल, केरल, पूवरेत्तर व गोवा सहित कई राज्यों में फुटबॉल बेहद लोकप्रिय हो गया है, लेकिन देश के अन्य हिस्सों में इसे लोकप्रिय बनाने के लिए अभी और काम करने की जरूरत है।

दुनिया में इस खेल की शीर्ष संस्था फीफा, खेल मंत्रालय और अखिल भारतीय फुटबॉल संघ (एआइएफएफ) को उम्मीद है कि इस साल देश में पहली बार छह से 28 अक्टूबर तक होने वाले अंडर-17 फीफा विश्व कप से वे ऐसा करने में सफल होंगे।ब्राजील, अर्जेटीना, इंग्लैंड और स्पेन जैसे देशों में बेहद मशहूर इस खेल को भारत में इंग्लिश प्रीमियर लीग, ला लीगा, फुटबॉल विश्व कप, यूरो कप, बार्सिलोना, रीयल मैडिड, मैनचेस्टर युनाइटेड, लीवरपूल, रोनाल्डो, मेसी, मोहन बागान, बाइचुंग भूटिया और सुनील छेत्री के तौर पर जाना जाता है। इसकी कोई स्पष्ट पहचान नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्रालय अब फुटबॉल को गांव-गांव तक पहुंचाना चाहते हैं। मोदी ने ‘मन की बात‘ में ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस खेल से जुड़ने की अपील की तो फीफा अंडर-17 विश्व कप के जरिये भारत के खेल बाजार में बीसीसीआइ और आइसीसी के दबदबे को खत्म करने के लिए बेताब है। भारत सरकार भी इसकी मेजबानी के जरिये अपनी छवि चमकाने में जुटी है और यही कारण है कि खेल मंत्री विजय गोयल कभी सिक्किम तो कभी गोवा में फुटबॉल में किक लगाते हुए नजर आ जाते हैं। उनके मंत्रालय ने एआइएफएफ के साथ मिलकर मिशन 11 मिलियन प्रोग्राम भी शुरू किया है जिसके तहत इस साल अक्टूबर तक 11 मिलियन बच्चों को फुटबॉल देकर इस विश्व कप से जोड़ना है।

दरअसल दुनिया भर में बच्चों को बहुत छोटी उम्र से ही फुटबॉल के बारे में समझाना और उन्हें खेलने के अवसर देने शुरू कर दिए जाते हैं, लेकिन इसके विपरीत भारत में बड़े होने पर खिलाड़ी इस खेल के बेसिक्स सीखते है। इस कार्यक्रम का मकसद बच्चों के साथ अभिभावकों को भी इस खूबसूरत खेल से जोड़ना है ताकि वह भविष्य में इस खेल को करियर के तौर पर अपनाएं और इस खेल को आगे लेकर जाएं। इसके तहत सिर्फ चार महीनों में चार मिलियन बच्चों को जोड़ने का दावा किया जा रहा है। उम्मीद है कि छह अक्टूबर से पहले यह आंकड़ा 11 मिलियन तक पहुंच जाएगा।

देश में आइपीएल की तर्ज पर 2014 में इंडियन सुपर लीग (आइएसएल) भी लांच हुई। इसमें फुटबॉल के नामचीन दिग्गज रॉबर्ट पाइरिस और डेल पियेरो जुड़े तो दूसरी ओर सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली, जॉन अब्राहम, रनबीर कपूर, रितिक रोशन जैसी मशहूर हस्तियां आइएसएल की अलग-अलग टीमों के साथ हैं। हालांकि इसका कुछ असर दिख रहा है क्योंकि भारतीय फुटबॉल टीम भी पिछले दो सालों में फीफा रैंकिंग में 165 से 100वें स्थान पर पहुंच गई है।

भारत की आजादी के बाद यह सिर्फ तीसरा मौका है जब उसकी फुटबॉल टीम शीर्ष 100 में पहुंची है। इससे पहले 1996 में टीम को 94वें नंबर पर आने का मौका मिला था। मोदी अंडर-17 विश्व कप का उद्घाटन करेंगे और इसके बाद देखना होगा क्या फुटबॉल भारत में क्रिकेट को टक्कर दे पाएगी या उसका हाल भी बाकी खेलों जैसा ही होगा।

क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

अन्य खेलों की खबरों के लिए यहां क्लिक करें