द्रोणाचार्य सम्मान के लिए कुश्ती कोच महावीर सहित पांच नामांकित
नई दिल्ली। मुक्केबाजी कोच जी मनोहरन, कुश्ती कोच महावीर प्रसाद और रोइंग कोच जोस जैकब उन पांच प्रशिक्षकों में शामिल हैं, जिनका नाम इस साल के द्रोणाचार्य सम्मान के लिए नामांकित किया गया है। विश्व कप विजेता हॉकी टीम के कप्तान अजितपाल सिंह की अगुआई वाली द्रोणाचार्य अवार्ड चयन समिति ने यह फैसला लिया। सूत्रों के अनुसार इस प्रतिष्ठित सम्मान
By Edited By: Updated: Mon, 11 Aug 2014 09:16 PM (IST)
नई दिल्ली। मुक्केबाजी कोच जी. मनोहरन, कुश्ती कोच महावीर प्रसाद और रोइंग कोच जोस जैकब उन पांच प्रशिक्षकों में शामिल हैं, जिनका नाम इस साल के द्रोणाचार्य सम्मान के लिए नामांकित किया गया है। विश्व कप विजेता हॉकी टीम के कप्तान अजितपाल सिंह की अगुआई वाली द्रोणाचार्य अवार्ड चयन समिति ने यह फैसला लिया।
सूत्रों के अनुसार इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए दिग्गज एथलेटिक्स कोच एन लिंगप्पा और जूडो कोच गुरचरण सिंह गोगी को भी चुना गया है। प्रसाद को यह सम्मान मौजूदा प्रदर्शन (2010-2013) के आधार पर देने का फैसला लिया गया है, जबकि बाकी चार को 'लाइफटाइम अचीवमेंट वर्ग' में रखा गया है। यह पहला मौका है जब समिति ने किसी जूडो कोच को इस सम्मान के लिए चुना है। गोगी ने अपने दो दशकों के करियर में कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी पैदा किए। मनोहरन के मामले में कहा जा सकता है कि पिछले 26 सालों से जूनियर मुक्केबाजों को कोचिंग दे रहे इस अनुभवी कोच के हिस्से में लिए यह सम्मान थोड़ी देरी से आया। शिव थापा, सुमित सांगवान, विकास कृष्णन जैसे सीनियर वर्ग के स्टार मुक्केबाज कभी मनोहरन की शागिर्दी में अपना हुनर निखारते थे। मनोहरन की कोचिंग में ही शिव और सुमित ने युवा ओलंपिक और एशियन जूनियर चैंपयिनशिप में रजत पदक जीता। गुमनाम रहने वाले मनोहरन भारतीय मुक्केबाजी कोचिंग स्टाफ के मजबूत स्तंभ हैं। कुश्ती कोच महावीर ग्रीको-रोमन वर्ग में प्रशिक्षण देते हैं और उनके कई शिष्य एशियन खेलों के कांस्य पदक विजेता हैं। दोहा एशियन गेम्स 2006 में रजत पदक जीतने वालीं उनकी शिष्या गीतिका जाखड़ ने हाल ही समाप्त हुए ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में भी रजत पर कब्जा जमाया। लगातार 15 साल तक इस अवार्ड के लिए नाम भेजे जाने के बाद अंतत: 90 वर्षीय दिग्गज एथलीट कोच एन लिंगप्पा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड दिए जाने का फैसला किया गया है। उनके दो शिष्य पूर्व महिला फर्राटा धाविका अश्विनी नाचप्पा और 400 मीटर की वंदना राव (1986 सियोल एशियन गेम्स में स्वर्ण जीतने वाली 4 गुणा 400 रिले टीम की सदस्य) ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का मान बढ़ाया।
मूलत: ओडिशा के जैकब के हिस्से में 20 ऐसे रोवर्स हैं, जिन्होंने पिछले कई सालों में कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में पदक जीते हैं। उनके मार्गदर्शन में ओडिशा की टीम ने राष्ट्रीय रोविंग चैंपियनशिप का रिकॉर्ड 13 बार खिताब अपने नाम किया। उनकी शिष्या प्रमिला प्रभा मिंज और प्रतिमा पुहान ने ग्वांग्झू एशियन गेम्स (2010) में कांस्य पदक जीता। द्रोणाचार्य अवॉर्ड के तहत एक स्मृति चिह्न के अलावा पांच लाख रुपये का चेक भी प्रदान किया जाता है। 1985 में यह अवॉर्ड देने की परंपरा शुरू हुई और अभी तक 85 प्रशिक्षकों को इस सम्मान से नवाजा जा चुका है।