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सृजन घोटाला : सरकारी चेक बाउंस होने पर हुआ था घोटाला उजागर, आज भी बंद नहीं हुई मनोरमा की बनाई गई समिति

सृजन घोटाले की आरोपी रजनी प्रिया को गिरफ्तार कर पटना के बेउर जेल में भेज दिया गया है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अरबों के घोटाले में केंद्र बिंदु रही सृजन महिला विकास सहयोग समिति आज भी चल रही है। जबकि ऐसी किसी भी सहकारी समिति जिसका क्रियाकलाप दागदार हो उसे तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का प्रावधान है।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Fri, 11 Aug 2023 04:54 PM (IST)
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सृजन घोटाले को लेकर छापेमारी करते अधिकारी। फोटो- जागरण

कौशल किशोर मिश्र,भागलपुर : पिछले छह सालों से सृजन घोटाले की आरोपी रजनी प्रिया अपने पति अमित कुमार के साथ उत्तर प्रदेश स्थित गाजियाबाद जिला के साहिबाबाद में एक फ्लैट में नाम बदलकर आराम से रह रही थी। लेकिन सीबीआई ने पुलिस की मदद से उसे गुरुवार को वहां से गिरफ्तार कर लिया।

इसके साथ ही सीबीआई ने रजनी व उसके पति अमित कुमार की 13 चल व अचल संपत्तियों को जब्त किया है। कहा जा रहा है कि दोनों ने देश के लगभग सभी शहरों में घोटाले के पैसों को निवेश किया है।

आज भी चल रही है संस्था

करोड़ों के घोटाले में केंद्र बिंदु रही सृजन महिला विकास सहयोग समिति आज भी जिंदा है। जबकि ऐसी किसी भी सहकारी समिति जिसका क्रियाकलाप दागदार हो उसे तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का प्रावधान है। सृजन संस्था में तो करोड़ों के घोटाले हुए लेकिन उसे खत्म करने में सक्षम प्राधिकार के हाथ कांप रहे हैं।

अबतक कई जिला सहकारिता पदाधिकारी इस संस्थान को समाप्त करने को पत्र भेजा पर अबतक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। यही नहीं इस आशय का भी पत्र भेजा है कि संस्था के वैसे खातेदारों के पैसे वापस किया जाए जिन्होंने अपने रुपये संस्था में जमा कराए थे। सृजन को समाप्त करने का पत्र निबंधक, डीएम समेत प्रधान सचिव तक को लिखा जा चुका है।

दबी-कुचली बेसहारा महिलाओं के उत्थान को बनी थी समिति

दबी-कुचली बेसहारा महिलाओं के उत्थान के लिए बनाई गई सृजन महिला विकास सहकारी समिति अंदर ही अंदर बैंक में तब्दील हो गई। संस्था का मूल उद्देश्य ही भटक गया। जिला प्रशासन के पदाधिकारियों की मिली भगत से सरकारी योजनाओं की बड़ी राशि वहां जमा होने लगी।

ऐसी साजिश रची गई कि करोड़ों की सरकारी योजनाओं की राशि सृजन संस्थान में रखी जाने लगी। देखते ही देखते करोड़ों की सरकारी राशि का बंदरबांट होने लगा।

वर्ष 2012 में ऐसा अजूबा पूर्णिया जिले के एक पैक्स में भी हुआ। वहां पैक्स के खाते में जिला प्रशासन के कई पदाधिकारियों जिनमें बीडीओ, सीओ भी शामिल थे, करोड़ों की राशि जमा कराई थी।

विभिन्न सरकारी योजनाओं की राशि का दुरुपयोग

वह राशि विभिन्न सरकारी योजनाओं की थी। कमीशन के खेल में तब आपस की किचकिच में घोटाले का भंडाफोड़ हो गया। बीडीओ समेत कई पदाधिकारियों को जेल जानी पड़ी। पूर्णिया में 2012 में हुए उस घोटाले के बाद भी भागलपुर की यह घटना अनदेखी की गई, लेकिन 2017 में घोटाला पूरी तरह उजागर हो गया।

घोटाले में कई अधिकारियों के नाम

घोटाले में कई आइएएस पदाधिकारियों, बैंक पदाधिकारियों, सफेदपोशों, अफसरों की संलिप्तता सामने आई। भागलपुर में कई शोरूम, शापिंग कांप्लेक्स, बाइपास में करोड़ों की जमीनें, देश के लगभग सभी महानगरों में करोड़ों का निवेश किया गया। भागलपुर के कई बिल्डर दूसरे राज्यों में घोटाले के रुपये लगाए। जिसपर सीबीआई जांच कर रही है।

बावजूद तमाम सक्षम प्राधिकार को इस दागी संस्था की समाप्ति को लेकर पत्र लिखे गए ताकि दागी संस्था का अस्तित्व समाप्त हो जाए। जिन लोगों ने रकम जमा कराया था उनकी रकम वापसी के लिए भी पत्र लिखा है। लेकिन संस्था का अस्तित्व आज भी जिंदा है।

क्या है सृजन घोटाला?

गौरतलब है कि भागलपुर का सृजन घोटाला 2004 से 2014 के बीच हुआ था लेकिन यह तीन अगस्त, 2017 को पूरी तरह से उजागर हुआ था। यह घोटाला लगभग 900 करोड़ रुपये का था। इस मामले में अब तक कई लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

इस घोटाले का खेल रचने वाली मनोरमा देवी हैं। जिनकी इस साल फरवरी में मृत्यु हो गई। उनकी मौत के बाद उनकी बहू रजनी प्रिया और बेटा अमित कुमार इस मामले को लेकर प्रकाश में हैं।

1996 में बनाई थी संस्था

मनोरमा देवी ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति नाम से एक संस्था बनाई थी। जिसका रजिस्ट्रेशन साल 1996 में हुआ था। इस संस्था को शुरुआती दिनों में अमिताभ वर्मा, गोरेलाल यादव और के पी रामैया जैसे कई आईएएस अधिकारियों ने आगे बढ़ाया।

दिसंबर 2003 में गोरेलाल यादव के समय एक अनुसंशा पर सृजन के बैंक खाते में सरकारी पैसा जमा करने का आदेश दिया गया। तब बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी थीं। वहीं, रामैया ने 200 रुपये प्रति महीने के दर पर सबौर ब्लॉक में जमीन का एक बड़ा हिस्सा सृजन को दिया था।

इस वक्त जमा हुआ सबसे ज्यादा पैसा

जिला अधिकारी वीरेंद्र यादव के कार्यकाल में सृजन के खाते में सबसे अधिक पैसा जमा कराया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2014 से 2015 के बीच करीब 285 करोड़ सृजन के खाते में जमा हुए। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि वीरेंद्र पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के करीबी माने जाते हैं।

सरकारी बैंक अकाउंट में फर्जीवाड़ा

बताया जाता है कि सरकारी पैसे को सृजन के अकाउंट में जमा करने के बाद उसे तुरंत अवैध रूप से जाली दस्तखत के माध्यम से ट्रांसफर कर लिया जाता था। बैंकिंग सिस्टम का पूरी तरह से दुरुपयोग किया गया। सरकारी पैसे के अवैध ट्रांसफर में सृजन की सचिव मनोरमा देवी के अलावा बड़े बड़े सरकारी पदाधिकारी और कर्मचारी संलिप्त थे।

इसके अलावा, बैंक ऑफ बड़ौदा व इंडियन बैंक के बड़े अधिकारी और उनके कर्मचारी भी इस साजिश को अंजाम देने में अपनी भूमिका निभाते थे। यहां तक कि जिला प्रशासन से जुड़े बैंक अकाउंट के पासबुक में एंट्री भी गलत होती थी। बैंक का स्टेटमेंट में भी फर्जीवाड़ा होता था। यह काम मनोरमा देवी करती थीं।

सृजन के बैंक अकाउंट में जमा पैसे को निकालकर मनोरमा देवी बाजार में निवेश करती थी। उन पैसों को वह सूद पर भी देती थी। इसके अलावा, यह पैसे जमीन, व्यापार व अन्य धंधों में निवेश के लिए भी इस्तेमाल किये जाते थे।

मनोरमा देवी इस पूरे साजिश में शामिल सभी अधिकारीयों को पैसा पहुंचाती थी। यहां तक कि उन्हें महंगे आभूषण भी दिया करती थी।

यह हैं मुख्य शख्स

अमित, रजनी और विपिन शर्मा इस पूरे घोटाले से जुड़े वह शख्स हैं। जिन्हें गिरफ्तार करने के बाद ही इस पूरे घोटाले का सच बाहर आ सकता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सृजन घोटाले से जुड़े जितने भी मामले सामने आए हैं, वह साल 2000 के बाद के हैं। 2003 से लेकर अब तक समिति ने जमकर सरकारी पैसों का गलत इस्तेमाल किया है।

यह मामला तब उजागर हुआ जब भागलपुर के जिला मजिस्ट्रेट आदेश तितिरमारे द्वारा एक पॉवर प्लांट के लिए भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों को जारी किया गया 270 करोड़ रुपये का चेक बाउंस हो गया था। उन्होंने तुरंत इस बात की सूचना मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह को दी, जिन्होंने सीएम नीतीश कुमार को इसके बारे में बताया।

इसके बाद, इस मामले की जांच शुरू हुई, जिससे पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा स्थित सरकारी खातों पैसे नहीं होने के कारण चेक बाउंस हुए थे। जिसके बाद जांच कमेटी बनाई गई।

तीन अगस्त को सृजन घोटाले का पर्दाफाश हुआ। वहीं, नौ अगस्त को इस मामले में पहली प्राथमिकी दर्ज कराई गई। बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।

सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में सृजन समिति की मैनेजर सरिता झा, अध्यक्ष शुभ लक्ष्मी प्रसाद, इंडियन बैंक के शाखा प्रबंधक सुरजीत राहा, बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक आनंद चंद्र गदाई, इंडियन बैंक के मुख्य प्रबंधक देव शंकर मिश्रा, बैंक ऑफ बड़ौदा के शाखा प्रबंधक शंकर प्रसाद दास, सृजन की सचिव रजनी प्रिया और अन्य कई लोगों को आरोपी बनाया है।

कुछ ही दिनों पहले इस मामले को लेकर सीबीआई ने मनोरमा देवी के निजी सचिव उमेश सिंह को गिरफ्तार किया था।

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