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युवा और धनबाद-आसनसोल मेमू के दर्द पर अलेप्पी का मरहम

धनबाद तकरीबन बीस साल से धनबाद से दिल्ली की सीधी ट्रेन का इंतजार कर रहे धनबाद को नई ट्रेन देना तो दूर उल्टा कोरोना के बहाने रेलवे ने धनबाद होकर चलने वाली हावड़ा-आनंदविहार युवा एक्सप्रेस को छीन लिया। दिल्ली जानेवाली इस ट्रेन के साथ-साथ धनबाद से आसनसोल ले जाने मेमू को स्थायी तौर पर रद करने का एलान कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 06:28 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 06:28 AM (IST)
युवा और धनबाद-आसनसोल मेमू के दर्द पर अलेप्पी का मरहम

धनबाद : तकरीबन बीस साल से धनबाद से दिल्ली की सीधी ट्रेन का इंतजार कर रहे धनबाद को नई ट्रेन देना तो दूर उल्टा कोरोना के बहाने रेलवे ने धनबाद होकर चलने वाली हावड़ा-आनंदविहार युवा एक्सप्रेस को छीन लिया। दिल्ली जानेवाली इस ट्रेन के साथ-साथ धनबाद से आसनसोल ले जाने मेमू को स्थायी तौर पर रद करने का एलान कर दिया। एक साथ दो ट्रेनें छिन जाने का दर्द झेल रहे धनबाद के लिए साल का अंतिम महीना बड़ी राहत लेकर आया। रेलवे ने धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस को 22 कोच के साथ चलाने की मंजूरी के साथ ही यहां के लोगों की लगभग 20 साल पुरानी मांग पर मुहर लगा दी। पहले जहां आधी ट्रेन धनबाद और आधी टाटानगर से चलती थी। अब 22 कोच की पूरी ट्रेन धनबाद की झोली में आ गई है। आठ जनवरी से इस ट्रेन के पहिए घूमने लगेंगे। हालांकि धनबाद की सबसे पुरानी पैसेंजर ट्रेनों में शुमार धनबाद-चंद्रपुरा पैसेंजर इस साल भी फाइलों में ही कैद रही। 15 जून 2017 को भूमिगत आग के कारण बंद हुई धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन पर फरवरी 2019 से ट्रेनें दोबारा चलने लगीं। बावजूद कोयलांचल की लाइफ लाइन कही जानेवाली पैसेंजर ट्रेन को हरी झंडी नहीं मिली।

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कोरोना ने दिए गहरे जख्म, 221 करोड़ के बदले हुई 23 करोड़ की आमदनी - आठ महीनों में दो करोड़ 67 लाख से गिरकर छह लाख पर पहुंचा यात्रियों का ग्राफ धनबाद : कोरोना ने आमदनी की पटरी पर सरपट दौड़ने वाले धनबाद रेल मंडल को गहरा जख्म दिया है। पिछले साल की तुलना में यात्री आय से होनेवाली आमदनी में भारी गिरावट आ गई है। पिछले साल अप्रैल से नवंबर के बीच धनबाद रेल मंडल से दो करोड़ 67 लाख यात्रियों ने सफर किया था। इससे रेलवे को 221.34 करोड़ की आमदनी हुई थी। इस वर्ष 22 मार्च से रेलबंदी के कारण कई महीने तक यात्री आय शून्य रही। मई से नवंबर के बीच कुछ ट्रेनों के पटरी पर लौटने से 23 करोड़ 19 लाख की कमाई हुई है। रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक इस साल पूरे रेल मंडल से सिर्फ छह लाख तीन हजार यात्रियों ने सफर किया। जनरल टिकट बंद रहने से भी रेलवे की आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई। ---- रेलवे ने खो दिया खुशमिजाज अधिकारी रेलवे के लिए वर्ष 2020 कई मायनों में तकलीफ देनेवाला भी रहा। शहर में सबसे पहले कोरोना संक्रमित डीआरएम ऑफिस के कर्मचारी ही मिले। डीएस कॉलोनी में रहने वाले उस कर्मचारी की वजह से हीरापुर क्षेत्र में क‌र्फ्यू भी लगाना पड़ा। रेलवे के कई अधिकारी संक्रमित हुए और तत्कालीन डीआरएम खुद कोरोना की गिरफ्त में आ गये। उनके कोरोना को मात देने के बाद एडीआरएम भी संक्रमित हुए। रेलवे के इंजीनियर, रेलवे अस्पताल की चीफ नर्स और आरपीएफ जवान की जान भी चली गई। इतना ही नहीं धनबाद रेल मंडल ने अपने खुशमिजाज अधिकारी घनश्याम टिउ को खो दिया। स्व. टिउ मंडल वाणिज्य प्रबंधक (कोल) के तौर पर सेवारत थे। अब भी इन ट्रेनों चलने का इंतजार धनबाद से खुलने वाली ट्रेनें : धनबाद-पटना इंटीसिटी, धनबाद-टाटानगर स्वर्णरेखा एक्सप्रेस, धनबाद-हावड़ा ब्लैक डायमंड एक्सप्रेस, धनबाद-कोल्हापुर दीक्षाभूमि एक्सप्रेस, धनबाद-भुवनेश्वर गरीब रथ

, धनबाद-सिदरी पैसेंजर, धनबाद-बांकुड़ा मेमू, धनबाद-झारग्राम मेमू

धनबाद से गुजरने वाली ट्रेनें : सियालदह-नई दिल्ली-बाड़मेर दुरंतो, हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस, कोलकाता-जम्मूतवी एक्सप्रेस, सियालदह-जम्मूतवी हमसफर एक्सप्रेस, हावड़ा- ग्वालियर चंबल एक्सप्रेस, हावड़ा-आगरा चंबल एक्सप्रेस, राउरकेला-रांची-जयनगर एक्सप्रेस, हटिया-पटना पाटलीपुत्र एक्सप्रेस, रांची-भागलपुर-गोड्डा एक्सप्रेस, हावड़ा-लालकुंआ एक्सप्रेस, हावड़ा-भोपाल एक्सप्रेस, हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस, एक्सप्रेस बनने वाली पैसेंजर ट्रेनें भी नहीं चली : गया-आसनसोल मेमू, आसनसोल-वाराणसी मेमू, बर्धमान-हटिया मेमू

---- बिना उद्घाटन दक्षिणी छोर पर दौड़ने लगी गाड़ियां धनबाद रेलवे स्टेशन के दक्षिणी छोर तक पहुंचने को लगभग ढाई करोड़ खर्च कर बनी सड़क निर्माण का काम भी इस साल पूरा नहीं हो सका। उद्घाटन के बगैर ही सड़क पर गाड़ियां दौड़ने लगीं। डायमंड क्रॉसिग से पुराना बाजार के बीच प्रस्तावित सब-वे निर्माण का काम शुरू हुआ। योजना के शिलान्यास के लिए अब तक शुभ मुहूर्त की तलाश नहीं हो सकी। यही हाल पुराना बाजार से रेलवे इंस्टीट्यूट तक बनने वाली सड़क का भी हुआ। अतिक्रमण मुक्त कराने के बाद मिट्टी की खोदाई हो गई। पर योजना को अंजाम तक पहुंचाने की अनुमति नहीं मिली।


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