जम्मू-कश्मर में पर्यटन ही नहीं यहां के खनिज भी अर्थ व्यवस्था को बनाते है मजबूत
पत्थर की स्लेट्स पुंछ कठुआ डोडा और बारामूला जिले में पाई जाती हैं।क्वार्टजाइट खनिज राजौरी ऊधमुपर और रियासी में जबकि चाइना क्ले डोडा और ऊधमपुर में और ग्रेफाइट नामक खनिज बारामूला जिले में मिलता है। सबसे कीमती पत्थर नीलम किश्तवाड़ जिले के पॉडर इलाके में पाया जाता है।
By Rahul SharmaEdited By: Updated: Thu, 12 Nov 2020 07:50 AM (IST)
जम्मू, अवधेश चौहान। जम्मू-कश्मीर में प्रकृति नजारों का लुत्फ उठाने वाले सैलानियों पर ही प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था तो निर्भर करती है,बल्कि यहां पाए जाने वाले खनिज भी राज्य की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत बनाने में अहम योगदान देते हैं। जम्मू संभाग की तुलना कश्मीर से की जाए तो यहां भी कुदरत काफी मेहरबान है। यहां प्रकृति के साथ साथ खनिज संपदा बहुमूल्य भंडार हैं।
यहां बता दे कि जम्मू संभाग में विभिन्न प्रकार के खनिजों की 72 रजिस्टर्ड इकाइयां है, जो प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूत करती हैं।जियोलॉजी और माइनिंग विभाग के अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के विभिन्न जिलों में अलग अलग प्रकार के खनिज पाए जाते हैं। इनमें चूना पत्थर, जिप्सम, डोलोमाइट, क्वार्टजाइट के अलावा, स्लेट, संगमरमर और ग्रेनाइट जैसे पत्थर शामिल है।जम्मू-कश्मीर में कुल 110 छोटी और बड़ी रजिस्टर्ड खनिज इकाइयां है, जिसमें 72 जम्मू में और 38 कश्मीर संभाग में है। अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जम्मू में 37 इकाईयां सीमेंट का बना रही है।सीमेंट बनाने वाले 13 यूनिट जम्मू जिले में हैं। इनमें 15 कठुआ में, 9 ऊधमपुर में है। इसके अलावा और 22 यूनिट प्लास्टर आफ पेरिस तैयार कर रही है। ऐसी 15 इकाइयां जम्मू में एक कठुआ, 5 ऊधमपुर में और पुंछ में एक इकाई शामितल है। यहां तक चूने के भट्ठों का सवाल है जम्मू संभाग में ऐसी 6 भट्ठे हैं, जिनमें 4 जम्मू में रजिस्टर्ड हैं, जबकि एक कठुआ और एक ऊधमपुर में चल रही हैं। जियोलॉजी एडं माइनिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास में विभाग महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्रदेश के बहुमूल्य खनिजों के जो स्रोत है उन्हें सरकार विभिन्न लाइसेंसशुदा ठेकेदारों को लीज पर जगह खनिजों को निकालने के लिए देती हैंं।वहीं कश्मीर संभाग में यहां पर 11 सीमेंट बनाने के यूनिट है और 2 लद्दाख संभाग में है। प्लास्टर आफ पेरिस बनाने वाले 10 यूनिट है, चूने के 9 भट्ठे और मार्बल बनाने वाले 6 यूनिट कश्मीर में हैं।अधिकारियों का कहना है कि 63 ऐसे और खान हैं, जिनमें से विभिन्न खनिजों को लीज पर निकालने की अनुमति दी गई है।प्रदेश में सबसे ज्यादा चूना 6081 मिलियन टन पैदा होता है।
यह चूना कश्मीर के हरेक जिले में निकलता है।इसके अलावा यह ऊधमपुर,पुंछ, राजौरी, कठुआ के अलावा लेह और कारगिल में भी पैदा होता है।अधिकारियों का कहना है कि जिप्सम का उत्पादन उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले, कठुआ, रामबन और डोडा जिले में मिलता है। मार्बल का यहां तक सवाल है यह कुपवाड़ा, कारगिल और लेह, ग्रेनाइट जिन जिलों में पैदा होता है उनमें कारगिल, लेह, गांदरबल, बारामूला, पुंछ और डोडा शामिल हैं। बाक्साइट नामक खनिज ऊधमपुर और रामबन मे। कोयला राजौरी के कालाकोट,ऊधमपुर में। लिगनाइट खनिज निकहोम, हंदवाड़ा, कुपवाड़ा जबकि मैगनिसाइट खनिज ऊधमपुर में पाइ जाती हैं।
पत्थर की स्लेट्स पुंछ, कठुआ, डोडा और बारामूला जिले में पाई जाती हैं। क्वार्टजाइट खनिज राजौरी ऊधमुपर और रियासी में जबकि चाइना क्ले डोडा और ऊधमपुर में और ग्रेफाइट नामक खनिज बारामूला जिले में मिलता है। सबसे कीमती पत्थर जिसे नीलम कहते है किश्तवाड़ जिले के पॉडर इलाके में पाया जाता है। इस विश्व प्रसिद्ध नीलम की दुनिया भर में मांग है।नीले रंग का हीरे नुमा यह पत्थर पॉडर क्षेत्र में मिलता है। नीलम की खान 116 किलोमीटर में फैली इुई हैं।
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