हिमाचल में यहां स्वयंभू प्रकट शिवलिंग में विराजे हैं बाबा भूतनाथ, राजा को स्वपन में दिया था संकेत
Himachal Mandi Baba Bhootnath Temple भगवान शिव हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में अलग-अलग रूपों में विद्यमान है। ऐसा ही स्वयं-भू प्रकट शिवलिंग का रूप है बाबा भूतनाथ का। मंडी शहर के बीचों बीच शिखारा शैली में बने बाबा के मंदिर में हर रोज भक्तों की भीड़ रहती है।
By Rajesh Kumar SharmaEdited By: Updated: Mon, 25 Jul 2022 07:48 AM (IST)
मंडी, मुकेश मेहरा। Himachal Mandi Baba Bhootnath Temple, भगवान शिव हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में अलग-अलग रूपों में विद्यमान है। ऐसा ही स्वयं-भू प्रकट शिवलिंग का रूप है बाबा भूतनाथ का। मंडी शहर के बीचों बीच शिखारा शैली में बने बाबा के मंदिर में हर रोज भक्तों की भीड़ रहती है। सावन माह में यहां हर सोमवार को विशेष पूजा अर्चना और भंडारे का आयोजन होता है। 1527 ई में बने इस मंदिर का रूप आज भी जस का तस है। मंदिर के अंदर प्राचीन वाद्य यंत्र भी रखे गए हैं और प्राचीन मूर्तियां भी हैं। यहां सुबह पांच बजे और रोज शाम को आरती का आयोजन होता है। साथ ही दूध, दहीं, शहद, बिल व भांग पत्र से पूजा का विशेष लाभ भक्तों को मिलता है। मंडी शहर के साथ-साथ देश व विदेश से श्रद्धालु भी बाबा भूतनाथ के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं।
यह है मान्यता
बताया जाता है कि प्राचीन समय में एक ग्वाला अपनी गाय को चराने के लिए मंडी आता था, तो गाय एक स्थान पर खड़ी हो जाती और उसके थनों से अपने आप ही उस स्थान पर दूध निकलने लगता। यह बात चारों और फैल गई। इसी बीच उक्त समय के राजा अजबेर सेन को भगवान शिव ने सपने में आकर कहा कि उक्त स्थान पर उनका शिवलिंग हैं। सपना आने के अगले दिन ही जब राजा ने वहां खोदाई करवाई तो स्वयं-भू प्रकट शिवलिंग वहां मिला। इसके बाद राजा ने यहां शिखरा शैली में एक मंदिर का निर्माण करवाया और तब से आज दिन तक मंडी शहर के अलावा देश भर के लोगों की आस्था का केंद्र बाबा भूतनाथ का मंदिर माना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि का होता है आगाज
मंडी की अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि का आगाज भी बाबा भूतनाथ के मंदिर से होता है। घाटी के अधिष्ठाता देवता माधोराय की पालकी मंदिर जाती है और यहां पर पूजा अर्चना के बाद मेले का आगाज होता है। इस दौरान मंदिर परिसर में ही घाटी के विभिन्न देवता भी ठहरते हैं। शिवरात्रि का महोत्सव मंडी में धूमधाम से मनाया जाता है। सात दिनों तक मंडी के देवता यहां रहते हैं और इस दौरान बाबा भूतनाथ के दर पर भी आते हैं।
कैसे पहुंचे मंदिरबाबा भूतनाथ के मंदिर आने के लिए सड़क व हवाई मार्ग से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग या चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग से बस या टैक्सी के माध्यम से आया जा सकता है। हवाई मार्ग यहां से 60 किलोमीटर दूर भुंतर में है, जहां से बस या टैक्सी के जरिये भक्त मंदिर के दर्शन करने पहुंच सकते हैं।
सावन की पूजा का विशेष महत्व मंदिर के पुजारी महंत देवानंद सरस्वती का कहना है बाबा भूतनाथ के दर जो भी भक्त आता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। सावन मास की पूजा का यहां विशेष महत्व है।
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