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जनकवि गिर्दा को निधन के 11 साल बाद मिला सरकार उत्तराखंड गौरव सम्मान

Janakavi Girish Tiwari Girda नौ सितंबर 1945 को अल्मोड़ा में हवालबाग में जन्मे गिर्दा की कर्मभूमि नैनीताल रही है। गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकार के साथ ही उत्तराखंड राज्य आंदोलन नशा नहीं रोजगार दो समेत माफिया विरोधी आंदोलनों में गिर्दा के गीतों ने नया जोश भर दिया।

By Jagran NewsEdited By: Skand ShuklaUpdated: Mon, 07 Nov 2022 10:17 AM (IST)
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जनकवि गिर्दा को निधन के 11 साल बाद मिला सरकार उत्तराखंड गौरव सम्मान

किशोर जोशी, नैनीताल : Janakavi Girish Tiwari Girda : जनकवि गिरीश तिवारी गिर्दा को उत्तराखंड सरकार उत्तराखंड गौरव सम्मान देने की घोषणा की है। राज्य स्थापना दिवस पर उनके निधन के 11 साल बाद गिर्दा को यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। धामी सरकार के इस निर्णय की साहित्य, कला प्रेमियों के साथ ही वैचारिक विरोधियों ने सराहना की है।

नौ सितंबर 1945 को अल्मोड़ा में हवालबाग में जन्मे गिर्दा की कर्मभूमि नैनीताल रही है। गीत एवं नाटक प्रभाग के कलाकार के साथ ही उत्तराखंड राज्य आंदोलन, नशा नहीं रोजगार दो, समेत माफिया विरोधी आंदोलनों में गिर्दा के गीतों ने नया जोश भर दिया। 22 अगस्त 2011 को गिर्दा का निधन हो गया था।

प्रसिद्ध साहित्यकार मंगलेश डबराल ने पहाड़ संस्था की ओर से गिर्दा की कुमाऊंनी व हिंदी कविता संग्रह जैंता एक दिन त आलो में लिखा है कि गिरदा के अनेक गीत रचनाकार से दूर स्वतंत्र सत्ता बना चुके हैं। उनके गीतों के कालजयी स्वरूप को देखकर अनायास महान लेखक रवींद्र नाथ ठाकुर की याद आ जाती है।

सांस्कृतिक परिवर्तन के लिए जितने मोर्चे उपलब्ध हैं, गिर्दा सब मे सक्रिय रहे। उनके गीत महिलाओं के संघर्ष के बहुत काम आए। राजनीतिक चेतना, प्रतिरोध, परिवर्तन की इच्छा को उन्होंने गीतों के माध्यम से नई गति दी।

युगमंच के अध्यक्ष जहूर आलम बताते हैं कि गिर्दा के योगदान को सरकारों ने कभी नहीं सराहा । पहली बार किसी सरकार ने उनको सम्मान प्रदान करने की घोषणा की है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए।

वह बताते हैं कि गिर्दा को एक बार राज्य सरकार ने प्रसिद्ध लोकगायक गढ़ गौरव नरेंद्र सिंह नेगी के साथ उत्तराखंड का सांस्कृतिक एम्बेसडर बनाने की घोषणा की थी लेकिन उसका कोई औपचारिक पत्र तक जारी नहीं हुआ था। गौरतलब है कि नैनीताल के डीएम धीराज गर्ब्याल के प्रयासों से गिर्दा के गीतों को जिले के सरकारी स्कूलों की प्रार्थना में शामिल किया गया है।

जहूर दा के अनुसार गिर्दा ने नगाड़े खामोश हैं और धनुष यज्ञ नाटक भी लिखा है। इत्तफाक से सात नवंबर से नगाड़े खामोश हैं, नाटक की रिहर्सल की जा रही है। गिर्दा की पहली किताब सल्लाम वालेकुम रचनाओं का गद्य संग्रह है। गिर्दा को सम्मान दिए जाने का विधायक सरिता आर्य, प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. शेखर पाठक, राजीव लोचन साह, प्रदीप पांडे, दिनेश उपाध्याय समेत विभिन्न सामाजिक सांस्कृतिक संगठनों ने स्वागत किया है।

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