भांग की खेती का लेना होगा लाइसेंस
उत्तराखंड में भांग की खेती के लिए लाइसेंस लेना होगा। शासन की ओर से भांग की खेती से संबंधित शासनादेश जारी कर दिया गया है।
नैनीताल, [किशोर जोशी]: उत्तराखंड में भांग की खेती के लिए लाइसेंस लेना होगा। सरकार ने शासनादेश जारी कर उत्तराखंड स्वापक औषधि और मन: प्रभावी अधिनियम-1985 की धारा-14 में राज्यपाल को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भांग की खेती की सशर्त अनुमति प्रदान की है। अब राज्य में कोई भी व्यक्ति, शोध संस्थान, गैर सरकारी संगठन व औद्योगिक इकाई बिना अनुमति के भांग की खेती नहीं कर सकेंगे। डीएम की ओर से भांग की खेती के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे। यही नहीं आवेदक को यह बताना होगा कि भांग के पौधे का प्रयोग केवल बीज और रेशा प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।
नए शासनादेश के बाद अब पर्वतीय क्षेत्रों में चरस के उत्पादन पर करीब-करीब रोक लगने के आसार बन गए हैं। कुमाऊं मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों के साथ ही गढ़वाल मंडल के चकराता, पुरौला आदि इलाकों में भांग की खेती होती रही है। हाल के सालों में जंगली जानवरों का आतंक बढ़ा तो लोगों ने खाद्यान्न फसलों की बजाय भांग की खेती को तवज्जो दी। भांग के बीज का प्रयोग चटनी व शाक सब्जी में स्वाद बढ़ाने के तौर पर किया जाता है जबकि इसके रेशे की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग है। नई प्रक्रिया के अनुसार आवेदक को रेशे और बीज के स्टॉक का हिसाब रखना होगा।
साझेदारी में भी की जा सकेगी खेती
शासनादेश के अनुसार स्वयं की जमीन अथवा पट्टाधारक को ही भांग के पौधे की खेती की अनुमति प्रदान की जाएगी। जिस व्यक्ति के नाम जमीन होगी, वह किसी वाणिज्यिक व औद्योगिक इकाई के साथ साझेदारी में भांग की खेती के लिए आवेदन कर सकता है। जिस खेत में अनुमति मिलेगी उसी में खेती की जा सकेगी। भांग की खेती के इच्छुक व्यक्ति को निर्धारित प्रारूप में खेत विवरण, क्षेत्रफल व अनुमन्य सामग्री भंडारण करने के परिसर का विवरण देते चरित्र प्रमाणपत्र संलग्न कर डीएम के समक्ष आवेदन करना होगा। लाइसेंस शुल्क प्रति हेक्टेयर एक हजार देय होगा। एक जिले से दूसरे जिले में बीज आयात की अनुमति भी डीएम देंगे। कलक्टर को फसल का नमूना लेने का भी अधिकार होगा। यदि मानकों का उल्लघंन होगा और तय क्षेत्रफल से अधिक में भांग की फसल उगाई तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा। इसकी कोई क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जाएगी।
निरस्त होगा लाइसेंस
आवेदक खेत के हिस्से का व्यावसायिक उपयोग कर सकेगा लेकिन शर्त यह होगी कि वह भांग से मन प्रभावी होने वाला पदार्थ अर्थात चरस न निकाले। न ही खरीद-बिक्री करेगा न उपयोग व भंडारण करेगा। एनडीपीएस एक्ट का उल्लंघन पाए जाने पर कलक्टर लाइसेंस निरस्त करेंगे। व्यावसायिक व औद्यागिक प्रयोजन के लिए भांग की खेती व उसके लिए अनुमन्य भंडारण की अनुमति आबकारी आयुक्त द्वारा दी जाएगी।
भांग की खेती से संबंधित जारी शासनादेश प्राप्त हो गया है
नैनीताल ने डीएम दीपक रावत ने कहा कि शासन की ओर से भांग की खेती से संबंधित जारी शासनादेश प्राप्त हो गया है। इसके अनुसार भांग की खेती के लाइसेंस दिए जाएंगे। इस संबंध में प्रक्रिया आवेदन मिलने के साथ ही शुरू होगी।
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