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कौन हैं रवि कुमार एनजी, जिन्हें बनाया गया है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का सीईओ

IAS रवि कुमार एनजी साल 2004 के आईएएस अधिकारी हैं। रवि कुमार एनजी 2004 बैच के यूपी कैडर के आईएएस हैं। उन्होंने अपने प्रशासनिक सेवा की शुरुआत यूपी के झांसी से की थी। वह अब तक लखनऊ आगरा गोरखपुर उन्नाव मथुरा और अंबेडकरनगर जैसे जनपदों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अब उन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का सीईओ नियुक्त किया गया है। वह रितु माहेश्वरी का स्थान लेंगे।

By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavUpdated: Sun, 09 Jul 2023 03:55 PM (IST)
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कौन हैं रवि कुमार एनजी, जिन्हें बनाया गया है ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का सीईओ।

नई दिल्ली,ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश में शनिवार देर रात सरकार ने चार वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला किया है। इसमें अपर सचिव से लेकर कमिश्नर तक को इधर से उधर किया गया है। इसी कड़ी में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को करीब आठ महीने बाद स्थायी सीईओ मिल गया है।

गोरखपुर के कमिश्नर रवि कुमार एनजी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का सीईओ नियुक्त किया गया है। वह रितु माहेश्वरी का स्थान लेंगे। हालांकि रितु माहेश्वरी नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनी रहेंगी।

कौन हैं रवि कुमार एनजी

IAS रवि कुमार एनजी साल 2004 के आईएएस अधिकारी हैं। रवि कुमार एनजी 2004 बैच के यूपी कैडर के आईएएस हैं। उन्होंने अपने प्रशासनिक सेवा की शुरुआत यूपी के झांसी से की थी। वह अब तक लखनऊ, आगरा, गोरखपुर, उन्नाव, मथुरा और अंबेडकरनगर जैसे जनपदों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

कर्नाटक के मूल निवासी हैं रवि कुमार

कर्नाटक के रहने वाले रवि कुमार योगी सरकार में यूपी पर्यटन के महानिदेशक और संस्कृति एवं धार्मिक मामलों के सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। साथ ही वो केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर वह पूर्व जल मंत्री उमा भारती के निजी सचिव रह चुके हैं। साल 2021 में उनका तबादला गोरखपुर मंडल का आयुक्त नियुक्त किया गया था और अब उन्हें नोएडा प्राधिकरण का सीईओ बनाया गया है।

नए सीईओ के आगे क्या होंगी चुनौती

बीते दिनों ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और किसानों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली थी, जहां किसानों ने अथॉरिटी पर गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी मांगों को लेकर लंबे वक्त तक धरना दिया था।

करीब दो हफ्ते पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौतमबुद्ध नगर के दौरे पर आए थे और उससे एक दिन पहले ही प्राधिकरण ने किसानों को समझा कर धरने को खत्म कराया था। नए सीईओ के आगे किसानों की मांग और सरकार के बीच मध्यस्थता करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

ये हैं किसानों की मांगे

किसानों की मांग है कि उन्हें नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा, 10 प्रतिशत आबादी भूखंड, 17.5 प्रतिशत कोटा, लीजबैक, प्राधिकरण की भूखंड परियोजना में, शिफ्टिंग पॉलिसी, रोजगार आदि मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था।