Move to Jagran APP

रेलवे कर्मियों के बच्चों को अब नहीं मिलेगी नौकरी, योजना को बंद करने का निर्देश जारी

लारजेस योजना के तहत ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारी के पुत्र या पुत्री को मंडल स्तर पर ही नौकरी मिल जाती थी।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 26 Sep 2018 10:48 PM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 07:34 AM (IST)
रेलवे कर्मियों के बच्चों को अब नहीं मिलेगी नौकरी, योजना को बंद करने का निर्देश जारी

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। रेल पटरियों की जांच करके रेल परिचालन को सुरक्षित बनाने वाले कर्मचारी अब ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने बच्चों को नौकरी नहीं दिला सकेंगे। रेलवे बोर्ड ने बुधवार को इससे संबंधित योजना को बंद करने का निर्देश जारी कर दिया है। वहीं, रेलवे कर्मचारी यूनियनों ने इसका विरोध किया है। इस फैसले को चुनौती देने के लिए उन्होंने फिर से सुप्रीम कोर्ट में जाने का फैसला किया है।

समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन
रेलवे पटरियों की निगरानी करने वाले ट्रैक मैन, की मैन, गैंगमैन, पेट्रोल मैन आदि को अब लारजेस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इस योजना के तहत रेलवे में कार्यरत वर्ग डी (संरक्षा से जुड़े) कर्मचारी 50 से 55 साल की उम्र में ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर अपने पुत्र या पुत्री को नौकरी दिला सकते थे। उन्हें अनुकंपा के आधार पर सीधी नियुक्ति मिल जाती थी। इस योजना के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में शिकायत की गई थी। हाई कोर्ट ने 2016 में रेलवे की इस योजना को कानून के समक्ष समता और सरकारी नौकरी में समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन बताया था।

सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा
बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत के आदेश को ध्यान में रखते हुए रेलवे बोर्ड ने इस योजना को बंद करने का फैसला कर लिया है। रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जोनल रेलवे को जारी पत्र के अनुसार 27 अक्टूबर, 2017 के बाद से इस आदेश को लागू माना जाएगा।

मंडल स्तर पर ही नौकरी मिल जाती थी
लारजेस योजना के तहत ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाले कर्मचारी के पुत्र या पुत्री को मंडल स्तर पर ही नौकरी मिल जाती थी। इस योजना का लाभ उठाने वाले रेलकर्मी लिखित में आवेदन करते थे कि वे अब ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेना चाहते हैं, उनकी जगह उनके पुत्र या पुत्री को नौकरी दी जाए। इसके बाद मेडिकल के पैमाने पर खरा उतरने वालों को नौकरी दे दी जाती थी।

कर्मचारियों के लिए बुरी खबर
बोर्ड के इस फैसले का नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मैन ने विरोध किया है। यूनियन के प्रवक्ता एसएन मलिक ने कहा कि यह कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। यूनियन इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में फिर से चुनौती देगी।


This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.