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Sangeet Natak Akademi Award: कौन हैं उत्‍तराखंड के रामलाल भट्ट? जिन्‍होंने कठपुतली से कही अंतिम व्यक्ति की बात

Sangeet Natak Akademi Award रामलाल भट्ट को थियेटर व पपेट्री (रंगमंच व कठपुतली) के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है। वह इंग्लैंड नार्वे पाकिस्तान सहित वह देश-विदेश में कठपुतली के कई शो दिखा चुके हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 26 Nov 2022 10:14 AM (IST)
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Sangeet Natak Akademi Award : देहरादून स्थित प्रेमनगर के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट
जागरण संवाददाता, देहरादून : Sangeet Natak Akademi Award : कठपुतली के जरिये देश-दुनिया को पर्यावरण संरक्षण, बालिका शिक्षा सहित समाज हित के तमाम विषयों पर जागरुकता का संदेश देने वाले देहरादून स्थित प्रेमनगर के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट को थियेटर व पपेट्री (रंगमंच व कठपुतली) के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की गई है।

रामलाल भट्ट करीब 40 वर्षों से कठपुतलियों को लेकर नए प्रयोग कर रहे हैं। वह बताते हैं कि 12 वर्ष की आयु से ही उन्होंने कठपुतली का खेल शुरू कर दिया था।

देश-विदेश में वह बच्चों को सरल तरीके से वह नदी, पर्यावरण का महत्व बताते हैं। वह कहते हैं कि वह मूलरूप से राजस्थान के निवासी हैं। लेकिन, वर्षों पहले जब उत्तराखंड आए तो यहां के नदी, पहाड़ व पर्यावरण ने अपनी ओर इतना आकर्षित किया कि फिर यहीं के होकर रह गए।

देश-विदेश में दिखा चुके हैं कठपुतली के कई शो

इंग्लैंड, नार्वे, पाकिस्तान सहित वह देश-विदेश में कठपुतली के कई शो दिखा चुके हैं। वह स्कूलों में शिक्षाप्रद कार्यशाला का भी आयोजन करते हैं, जिससे बच्चों को सरल भाषा में विज्ञान व पर्यावरण की बातें सिखाई जा सके।

वह अपने परिवार से चौथी पीढ़ी के कठपुतली कलाकार हैं और उन्हें अपने पिता से इसकी परंपरागत शिक्षा मिली। इसके बाद उन्हें राजथान के बेयरफुट कालेज से यह शिक्षा मिली की कठपुतली सामाजिक जागरुकता का भी माध्यम बन सकती है।

वह बताते हैं कि वह उत्तराखंड में पिछले 40 वर्षों से कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड ही मेरी कर्मभूमि है। यहां के दूर-दराज इलाकों में भी हमने कठपुतली के जरिये जागरुकता का प्रयास किया।

इसमें सरकार ने भी हर कदम पर मदद की। रामलाल भट्ट कहते हैं कि कठपुतली ही मेरा जीवन और मैं आगे भी इसके जरिये शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यावरण जैसे विषयों पर काम करता रहूंगा।

रेशमा शाह को मिलेगा उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार

वहीं उत्तराखंड की लोकगायिका रेशमा शाह को लोक कला लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। संगीत नाटक अकादमी, द नेशनल एकेडमी आफ म्यूजिक, डांस एंड ड्रामा ने वर्ष 2019, 2020 व 2021 के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार प्रदान करने को विभिन्न राज्यों से कलाकारों का चयन किया है। रेशमा शाह को उनके लोक कला पर कार्य करने के लिए वर्ष 2019 का यह पुरस्कार दिया जाएगा।

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कला के विभिन्न क्षेत्रों में से अपने चुने हुए क्षेत्र में अधिक प्रतिबद्धता व समर्पण भाव के साथ काम करने के लिए संगीत नाटक अकादमी कलाकारों को यह पुरस्कार प्रदान करती है। जिसमें 25 हजार रुपये की नकद राशि दी जाती है। अकादमी ने सामान्य परिषद की बैठक में वर्ष 2019-20 व 2021 में देशभर के कलाकारों किए आवेदन के बाद चयन किया है।

इस पुरस्कार के लिए चयनित हुई टिहरी जिले के नैनबाग क्षेत्र के सण गांव निवासी लोकगायिका रेशमा शाह ने बताया कि अकादमी की ओर से उन्हें शुक्रवार देर शाम फोन आया। जिसमें पुरस्कार चयन की बधाई देने के साथ ही दिसंबर में दिल्ली में होने वाले भव्य समारोह में पुरस्कार प्रदान के लिए आमंत्रित किया गया है।

रेशमा ने बताया कि उन्होंने गीतों के माध्यम से महिला सशक्तीकरण, नशे के दुष्परिणाम का संदेश दिया। उन्होंने बताया कि भाई रमेश और भाभी सुमित्रा शाह ने उन्हें लोक कला में आगे बढ़ाने को प्रोत्साहित किया।

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