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उत्तराखंड में गुड गवर्नेंस को ये पांच सिद्धांत अपनाएगा वन विभाग, जानिए

कोशिशें रंग लाईं तो आने वाले दिनों में वन विभाग की कार्यशैली नए कलेवर में निखरेगी। इससे आमजन को तो सहूलियत मिलेगी ही विभागीय कार्मिकों की जवाबदेही भी तय होगी। इस कड़ी में विभाग में अब गुड गवर्नेंस पर फोकस किया जा रहा है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sat, 22 May 2021 10:52 PM (IST)
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उत्तराखंड में गुड गवर्नेंस को ये पांच सिद्धांत अपनाएगा वन विभाग।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोशिशें रंग लाईं तो आने वाले दिनों में वन विभाग की कार्यशैली नए कलेवर में निखरेगी। इससे आमजन को तो सहूलियत मिलेगी ही, विभागीय कार्मिकों की जवाबदेही भी तय होगी। इस कड़ी में विभाग में अब गुड गवर्नेंस पर फोकस किया जा रहा है। इसमें विजन, पारदर्शिता, न्यायोचित निर्णय, जवाबदेही और लक्ष्यों के धरातल पर अपेक्षित परिणाम जैसे पांच सिद्धांतों पर फोकस किया जाएगा। वन विभाग के मुखिया ने इस संबंध में सभी वन संरक्षकों और प्रभागीय वनाधिकारियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं।

यह ठीक है कि 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में वनों एवं वन्यजीवों के संरक्षण का जिम्मा वन विभाग के कंधों पर है। विषम भूगोल और जटिल परिस्थितियों के मद्देनजर यह कार्य चुनौतीपूर्ण है, लेकिन जनता के प्रति विभाग अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकता। स्थिति यह है कि हक-हकूक तक के लिए स्थानीय निवासियों को विभाग की चौखट पर एड़ियां रगड़नी पड़ती हैं। ऐसी ही स्थिति अन्य कई मामलों में भी सामने आती रही हैं। इस सबको देखते हुए वन महकमे ने अब छवि सुधार के साथ ही आमजन के प्रति जवाबदेही के मद्देनजर गुड गवर्नेंस पर खास फोकस किया गया है।

इस सिलसिले में वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने सभी वन संरक्षकों और प्रभागीय वनाधिकारियों को भेजे निर्देशों में कहा है कि राज्य सरकार की ओर से निरंतर गुड गवर्नेंस पर बल दिया जा रहा है। विभाग में गुड गवर्नेंस अपनाने से विभाग की कार्य कुशलता में तो बढ़ोतरी होगी ही, कार्यों में गुणवत्ता में सुधार के साथ ही जनसामान्य तक कल्याणकारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सकेगा। 

उन्होंने कहा है कि विभाग में जो भी कार्य कराए जाएं, उनमें दीर्घकालीन व स्पष्ट विजन हो कि यह क्यों कराए जा रहे हैं और इनसे क्या लाभ अपेक्षित है। कार्यों में पारदर्शिता ऐसी होनी चाहिए कि विभाग के फैसलों की जनसामान्य को पूरी जानकारी हो सके। साथ ही जो निर्णय लिए जाएं, वे न्यायोचित और व्यक्तिगत स्वार्थ एवं द्वेष से प्रेरित न हों। प्रत्येक कार्य के लिए जवाबदेही होनी आवश्यक है। साथ ही जो लक्ष्य निर्धारित किए जाएं, उनके क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध कराए गए मानव, वित्तीय व अन्य संसाधनों का उपयोग इस प्रकार हो कि धरातल पर अपेक्षित परिणाम दिखाई दें।

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