'पैसा तो कमा लिया जाएगा, लेकिन...'उद्धव ठाकरे से छिना शिवसेना का नाम और चिह्न तो भाई ने दिलाई बालासाहेब की याद
उद्धव ठाकरे से शिवसेना का नाम और चिह्न छिनने पर मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें बालासाहेब ठाकरे कहते हुए नजर आ रहे हैं- पैसा गया तो कमा लिया जाएगा लेकिन नाम गया तो कभी वापस नहीं आएगा।
By Achyut KumarEdited By: Achyut KumarUpdated: Sat, 18 Feb 2023 10:55 AM (IST)
मुंबई, एजेंसी। Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को शुक्रवार को तगड़ा झटका लगा। चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न धनुष-बाण मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को देने का फैसला किया। इस फैसले के बाद महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वे कह रहे हैं कि पैसा गया तो फिर कमा लिया जाएगा, लेकिन नाम गया तो कभी वापस नहीं आएगा।
राज ठाकरे ने ट्विटर पर शेयर किया वीडियो
राज ठाकरे ने वीडियो को ट्विटर पर शेयर किया है। उन्होंने कहा , ''बालासाहेब द्वारा दिया गया शिवसेना का विचार का विचार कितना सही था, आज हम एक बार फिर जानते हैं...'' वीडियो में बालासाहेब कह रहे हैं कि पैस जाएगा तो वापस कमा लिया जाएगा, लेकिन एक बार नाम गया तो कभी वापस नहीं आएगा। इसलिए नाम बड़ा करो। नाम ही सब कुछ है।
बाळासाहेबांनी दिलेला ‘शिवसेना’ हा विचार किती अचूक होता ते आज पुन्हा एकदा कळलं.... #शिवसेना #बाळासाहेब_ठाकरे #Legacy pic.twitter.com/FxO3wprUUF
— Raj Thackeray (@RajThackeray) February 17, 2023
संजय राउत ने फैसले को बताया लोकतंत्र की हत्या
चुनाव आयोग के फैसले के बाद एकनाथ शिंदे ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया, तो संजय राउत ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। राउत ने कहा कि इसकी स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी। उन्होंने आरोप लगाया कि देश तानाशाही की ओर बढ़ रही है। हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे।
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केंद्र सरकार के एजेंट के रूप में काम कर रहा चुनाव आयोग
उद्धव ठाकरे गुट के नेता आनंद दुबे ने चुनाव आयोग के फैसले की निंदा की। उन्होंने कहा कि जो फैसला आया है, उसका अंदेशा हमें पहले से ही था। हम कहते रहे हैं कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं है। मामला जब सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है और अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया तो चुनाव आयोग द्वारा जल्द बाजी क्यों दिखाई गई। यह दिखाता है कि चुनाव आयोग भाजपा सरकार के एजेंट के रूप में काम करता है।
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