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पाकिस्तान में सत्तर साल बाद खुला प्राचीन गुरुद्वारा

पाकिस्तान में 70 वर्षों के बाद एक प्राचीन गुरुद्वारा फिर से खुल गया है। देश विभाजन के समय सिखों के पलायन के बाद गुरुद्वारा के कपाट बंद हो गए थे और बुधवार को विशेष समारोह के बाद इसे अरदास के लिए खोल दिया गया।

By Sachin BajpaiEdited By: Updated: Thu, 31 Mar 2016 08:33 AM (IST)
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पेशावर । पाकिस्तान में 70 वर्षों के बाद एक प्राचीन गुरुद्वारा फिर से खुल गया है। देश विभाजन के समय सिखों के पलायन के बाद गुरुद्वारा के कपाट बंद हो गए थे और बुधवार को विशेष समारोह के बाद इसे अरदास के लिए खोल दिया गया।

अल्पसंख्यक समुदाय ने भाई बाबा सिंह ऐतिहासिक गुरुद्वारा के खुलने पर खुशी जाहिर की है। यह गुरुद्वारा हश्तनगरी इलाके के मोहल्ला जोगीवाड़ा में स्थित है। विस्थापित संपत्ति ट्रस्ट के चेयरमैन सिदीक-उल-फारूक ने एक फलक का अनावरण करते हुए गुरुद्वारे को औपचारिक रूप से खोला। खुलने के तुरंत बाद सिखों ने धार्मिक गतिविधि शुरू कर दी।

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अखिल पाकिस्तान हिंदू अधिकार आंदोलन के अध्यक्ष हारून सरबदियाल ने कहा, 'ऐतिहासिक सिख गुरुद्वारे के खुलने से पाकिस्तान का असली नरम चेहरा उजागर होता है। यह बताता है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को जीने और पूजा-अर्चना करने का समान अधिकार हासिल है।'

खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के विशेष सहायक सरदार सूरन सिंह ने कहा, 'लंबे समय से बंद एक गुरुद्वारे को खोलने का कठिन फैसला लेकर सरकार ने अल्पसंख्यकों को उचित अधिकार मुहैया कराया है।'

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पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति के सदस्य सरदार भीषण सिंह ने कहा कि गुरुद्वारा खोलना पेशावर की जनता के पक्ष में खास तौर पर एक बड़ा फैसला है।