सूर्य की आग में पृथ्वी हो सकती है खाक
अंतरिक्ष विज्ञानियों ने भविष्यवाणी की है कि अब से पाच अरब सालों के अंदर पृथ्वी सूर्य की आग में जलकर राख हो जाएगी। यह खोज एक बूढ़े हो चुके तारे के हाथों नष्ट हुए उसके ग्रहों के पुख्ता सुबूत मिलने के आधार पर वैज्ञानिकों ने की है। हमारे सूर्यमंडल के बाहर पहली बार कोई ग्रह खोजने वाले वैज्ञानिक और पेन
By Edited By: Updated: Wed, 22 Aug 2012 10:19 AM (IST)
वाशिगटन। अंतरिक्ष विज्ञानियों ने भविष्यवाणी की है कि अब से पाच अरब सालों के अंदर पृथ्वी सूर्य की आग में जलकर राख हो जाएगी। यह खोज एक बूढ़े हो चुके तारे के हाथों नष्ट हुए उसके ग्रहों के पुख्ता सुबूत मिलने के आधार पर वैज्ञानिकों ने की है।
हमारे सूर्यमंडल के बाहर पहली बार कोई ग्रह खोजने वाले वैज्ञानिक और पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉमी व एस्ट्रोफिजिक्स के प्रोफेसर एलेक्स वोल्सजेन ने बताया कि एक उम्रदराज तारे के जरिए बर्बाद हुए ग्रह के सुबूत मिले हैं। सौरमंडल के बाहर लाल रंग का एक विशालकाय तारा बीडी+48 740 मिला है जिसकी उम्र सूर्य की उम्र से भी ज्यादा है। इस तारे की त्रिज्या सूर्य से ग्यारह गुना बड़ी है। यह तारा अपनी उम्र बढ़ने के साथ बढ़ता चला गया और अपने पास के ग्रहों को निगलता या बर्बाद करता गया। माना जा रहा है कि गायब हो चुके ग्रह इस बीडी+48 740 नाम के तारे ने ही निगल लिए हैं। इस सबूत से साफ है कि पाच अरब साल पुराना अपना सूर्य अपनी बाकी की उम्र (करीब पाच अरब साल) पूरी करने के अंदर ही पृथ्वी समेत अपने आसपास के ग्रहों को खत्म कर देगा। चूंकि उम्र बढ़ने के साथ ही इसका आकार और इसकी भयावहता भी बढ़ती जाएगी। संभवत: पाच अरब साल बाद तक सूर्य भी पृथ्वी की परिक्रमा वाली कक्षा तक फैल चुका हो और इसे अपने में समाहित कर ले। सुबूत के तौर पर यह भी पता चला है कि लाल रंग के उम्रदराज तारे बीडी+48 740 में असामान्य रूप से लिथियम पाया गया है। यह वह तत्व जो किसी तारे में मिलना बहुत ही असामान्य है। यह वह तत्व है जो बिग बैंग यानी सृष्टि की रचना के समय सूर्य की उत्पत्ति के समय हुआ था। लिथियम तारों के अंदर आसानी से नष्ट हो जाता है। इसीलिए इस उम्रदराज तारे में भारी मात्रा में इस तत्व का मिलना बहुत ही असामान्य बात है। वोल्सजेन ने बताया कि हालाकि वैज्ञानिकों ने अचंभे में डालने वाली एक और खोज की है। उन्होंने बताया कि इस तारे बीडी+48 740 की ही कक्षा में घूमता एक विशालकाय ग्रह भी मिला है। यह ग्रह अपने बृहस्पति ग्रह से भी 1.6 गुना बड़ा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह सिर्फ इसलिए बचा रह गया और तारे के इतने करीब है कि गुरुत्वाकर्षण बल के कारण यह तारे की ओर खिंचता आया लेकिन इसी बल के कारण काफी ऊर्जा इसमें खुद में तारे से सोख ली जिससे वह अभी तक उसका अस्तित्व बना हुआ है।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर