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काले धन पर मिला जी-20 का साथ

जी-20 शिखर बैठक के दौरान भारत को काले धन के खिलाफ मुहिम में बड़ी सफलता मिली है। समूह के देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए पारदर्शिता और टैक्स से संबंधित सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान पर भारत के रुख का समर्थन किया है। इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र

By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Mon, 17 Nov 2014 05:18 AM (IST)
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ब्रिस्बेन। जी-20 शिखर बैठक के दौरान भारत को काले धन के खिलाफ मुहिम में बड़ी सफलता मिली है। समूह के देशों ने इस समस्या से निपटने के लिए पारदर्शिता और टैक्स से संबंधित सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान पर भारत के रुख का समर्थन किया है। इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के वैश्विक मानदंड तय करने पर दुनिया के दिग्गज देशों से समर्थन मांगा। मोदी ने 'ब्रिस्बेन प्रदर्शनी और सम्मेलन केंद्र' में आयोजित 'डिलिवरिंग ग्लोबल इकोनॉमिक रिजिलियन्स' विषय पर पूर्ण सत्र के दौरान यह मामला उठाया। सम्मेलन के आखिरी दिन रविवार को मोदी ने कहा कि काले धन से पैदा हुई चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वय और सहयोग की जरूरत है।

मोदी ने कहा कि नए मानकों से विदेश में छिपाई गई बेहिसाब संपत्ति के बारे में जानकारी पाने और इसे वापस देश में लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने टैक्स नीति एवं टैक्स प्रशासन में मदद और सूचनाओं के आदान-प्रदान सुगम बनाने संबंधी सभी पहलों के लिए भारत का समर्थन जताया। प्रधानमंत्री ने विदेशी कंपनियों द्वारा कर चोरी पर चिंता जताते हुए कहा कि बढ़ती आर्थिक गतिशीलता और आधुनिक तकनीकों ने कर अपवंचना और दूसरे देशों में मुनाफा स्थानांतरित कर देने का काम बहुत आसान कर दिया है। मोदी ने यह उम्मीद भी जताई कि 'बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शेयरिंग' (बीईपीएस) व्यवस्था विकासशील एवं विकसित अर्थव्यवस्थाओं की चिंताओं का पूरा समाधान करेगी।

मोदी के हस्तक्षेप के बाद डाला 'पारदर्शिता' शब्द

सत्र के समापन के बाद पत्रकारों से बातचीत में रेल मंत्री सुरेश प्रभु और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि जी-20 के साझा बयान के मसौदे में 'पारदर्शिता' शब्द का जिक्र नहीं था। पूर्ण सत्र में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जोरदार हस्तक्षेप के बाद यह शब्द बयान में शामिल किया गया।

क्या है बीईपीएस

बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा टैक्स अदायगी से बचने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं। आमतौर पर बीईपीएस को 'ट्रांसफर प्राइसिंग' के रूप में जाना जाता है। इसके तहत कंपनियां टैक्स नियमों में खामी का उपयोग कर अपना लाभ कम या टैक्स नहीं लगने वाले देशों में स्थानातंरित करती हैं। इससे उन देशों को नुकसान होता है जो काफी हद तक कंपनी टैक्स पर निर्भर हैं।

नए नियमों की तैयारी

ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) इस बारे में नए नियम बनाने की कोशिश कर रहा है। दुनिया के बड़े देश कंपनी कराधान से संबद्ध नियमों को फिर से तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस समस्या को दूर किया जा सके कि कंपनियां अपने टैक्स का सही भुगतान करती हैं या नहीं।

चीन में होगा 2016 का सम्मेलन

वर्ष 2016 में जी-20 का शिखर सम्मेलन चीन में होगा। दो दिवसीय बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने इसकी घोषणा की। 2015 का शिखर सम्मेलन तुर्की में आयोजित किया जाएगा।

राज्यों और शहरों के बीच सहयोग बढ़ाएं

जी-20 शिखर सम्मेलन खत्म होने के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का द्विपक्षीय ऑस्ट्रेलिया दौरा शुरू हो गया है। भारत और आस्ट्रेलिया के बीच खास संबंध की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि राज्यों और शहरों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने से दो देशों के बीच भी संबंधों में मजबूती आती है। मोदी ने कहा आस्ट्रेलिया के साथ हमारे संबंधों में क्वींसलैंड की अग्रणी भूमिका है। अपने संसाधन और अनुसंधान से इसने भारत को अहम योगदान दिया है।

काले धन पर भारत की चिंता को जी-20 ने भी माना: मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को काले धन के मुद्दे पर जी-20 देशों का ध्यान आकर्षित करने में सफल रहने की जानकारी ट्वीट कर दी।

पीएम मोदी ने कहा कि काले धन पर भारत की चिंता को जी-20 ने भी स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को घोषणा पत्र में शामिल किया गया है। इसके साथ ही टैक्स चोरी को लेकर भी भारत की चिंता को जी-20 देशों ने स्वीकार किया है और इस मसले पर आपसी सहयोग की बात कही है।

गौरतलब है कि शनिवार को पीएम मोदी ने बैठक में विदेशों में जमा काले धन का मुद्दा उठाते हुए दुनिया के देशों से सहयोग की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि विदेश में छिपाकर रखे गए काले धन की भारती वापसी उनकी सरकार की प्राथमिकता है।

मोदी ने कहा था कि काला धन न केवल आर्थव्यस्था, बल्कि सुरक्षा के लिए भी खतरा है। उन्होंने जी-20 देशों से इस संबंध में सख्त कदम उठाने का आग्रह किया था।

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