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आखिर कहां से आया गॉड पार्टिकल?

विश्व भर के वैज्ञानिक जहां गॉड पार्टिकल मिलने की खुशियां मना रहे हैं। वहीं आम आदमी के लिए गॉड पार्टिकल अब भी एक पहेली बना हुआ है। अगर किसी राह चलते व्यक्ति से पूछा जाए कि क्या है गॉड पार्टिकल तो वह शायद ही कुछ बता पाए। वैज्ञानिक भाषा में गॉड पार्टिकल को हिग्स बोसोन का नाम दिया गया है। गॉड पार्टिकल ही

By Edited By: Updated: Wed, 04 Jul 2012 03:30 PM (IST)
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नई दिल्ली। विश्व भर के वैज्ञानिक जहां गॉड पार्टिकल मिलने की खुशियां मना रहे हैं। वहीं आम आदमी के लिए गॉड पार्टिकल अब भी एक पहेली बना हुआ है। अगर किसी राह चलते व्यक्ति से पूछा जाए कि क्या है गॉड पार्टिकल तो वह शायद ही कुछ बता पाए। वैज्ञानिक भाषा में गॉड पार्टिकल को हिग्स बोसोन का नाम दिया गया है। गॉड पार्टिकल ही वह पदार्थ है जिसकी बदौलत दुनिया का निर्माण हुआ। आकाशगंगा, चाद, तारे, प्रकृति, पेड़, पौधे और जीव जंतुओं का अस्तित्व धरती पर आया। इसलिए इसे गॉड पार्टिकल कहा गया है। गॉड का अर्थ, भगवान। यानी ऐसा कण जिसमें प्रकृति के निर्माण की शक्ति हो।

-गॉड पार्टिकल की उत्पत्ति :

माना जाता है कि 14 अरब साल पहले ऊर्जा के महा विस्फोट के चलते ब्रह्माड की उत्पत्ति हुई। गॉड पार्टिकल ही वो पदार्थ था जिसने उस समय सृष्टि को बनाने वाले परमाणुओं में वजन पैदा किया और उन्हें हलके होकर ब्रह्माड में नहीं बिखरने नहीं दिया और इन्हीं एकत्र परमाणुओं से जीवन बना। आकाशगंगा, तारे, ग्रह का आस्तित्व बन पाया। वैज्ञानिकों का कहना है कि गॉड पार्टिकल ही वो पदार्थ है जिसके चलते किसी परमाणु में द्रव्यमान (वजन) आता है। इस द्रव्यमान के बिना ये कण ब्रह्माड में प्रकाश की गति से फैल जाते और जीवन नहीं बन पाता। गॉड पार्टिकल के बारे में पहली बार 48 साल पहले पता चला। वैज्ञानिकों ने दावा किया कि जीवन की रचना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हिग्स-बोसोन नाम के सब एटॉमिक पार्टिकल ब्रह्माड में मौजूद हैं। उसके बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने गॉड पार्टिकल की खोज शुरू कर दी। गॉड पार्टिकल की मौजूदगी का दावा करने वाले वैज्ञानिक पीटर हिग्स के नाम पर इस पदार्थ का नाम हिग्स बोसोन रखा गया।

-महामशीन की महाटक्कर :

14 साल की अथक मेहनत के बाद दुनिया भर के वैज्ञानिकों ने मिलकर लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर यानी एलएचसी (आम भाषा में महामशीन) बनाया गया। ये मशीन एक तरह से यूनिवर्स का प्रतिरूप है। 27 किलोमीटर लंबी सुरंग में उपकरणों, सुपर कंप्यूटरों और तारों का जाल बिछा हुआ है। 10 सितंबर 2008 को बिग बैंग प्रयोग (महाटक्कर) की शुरुआत हुई। वैज्ञानिकों का प्रयास था कि मशीन के जरिए सुरंग में प्रोटॉन के बीच ठीक वैसी टक्कर कराई जाए जैसी 14 अरब साल पहले ब्रह्माड में हुई थी। इस महामशीन में प्रकाश की रफ्तार से प्रोटॉन की टक्कर करवाई गई जो 7 करोड़ खरब इलेक्ट्रॉनिक वोल्ट के टकराव से शुरू हुई। इस दौरान प्रोटॉन ने 27 किलोमीटर लंबी सुरंग में एक सेकेंड में 11 हजार से भी ज्यादा चक्कर काटे और उसके बाद जो टक्कर हुई तब जाकर वैज्ञानिकों को गॉड पार्टिकल हासिल हुआ।

-क्या फायदे होंगे :

वैज्ञानिकों का दावा है कि गॉड पार्टिकल मिलने के बाद इंटरनेट की स्पीड कई गुना बढ़ जाएगी। अंतरिक्ष तकनीक को पहले से अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकेगा।

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