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अब दाऊद और आतंकियों की खैर नहीं

अब दाऊद की डी-कंपनी और भारत में आतंक फैलाने वाले तत्वों की खैर नहीं है। इनका साथ देने वाले भी अब भारत-अमेरिका के निशाने पर हैं। आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाते हुए भारत और अमेरिका ने आतंकियों और अपराधियों के सुरक्षित ठिकानों को मिलकर नष्ट करने का फैसला किया है।

By vivek pandeyEdited By: Updated: Wed, 01 Oct 2014 12:21 PM (IST)
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वाशिंगटन। अब दाऊद की डी-कंपनी और भारत में आतंक फैलाने वाले तत्वों की खैर नहीं है। इनका साथ देने वाले भी अब भारत-अमेरिका के निशाने पर हैं। आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाते हुए भारत और अमेरिका ने आतंकियों और अपराधियों के सुरक्षित ठिकानों को मिलकर नष्ट करने का फैसला किया है। भारत के लिए लंबे समय से चिंता का सबब बने डी-कंपनी (दाऊद इब्राहिम), लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, अल-कायदा और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ दोनों देश अब मिलकर अभियान चलाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा के बीच मंगलवार को दो घंटे से ज्यादा चली शिखर वार्ता के दौरान दोनों नेताओं के बीच इस बात पर सहमति बनी। दोनों नेताओं के बीच बातचीत में आतंकियों की आर्थिक और सामरिक मदद पर नकेल कसने का भी फैसला किया गया।

हालांकि दोनों नेताओं के साझा संवाददाता सम्मेलन में इस बात का जिक्र नहीं था। शिखर बैठक के बाद भारतीय अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया कि भारत पश्चिम एशिया में आतंकवाद के खिलाफ किसी गठजोड़ का हिस्सा नहीं बनेगा। इसी तरह यह भी साफ कर दिया गया कि अफगानिस्तान में भारत का सहयोग विकास पर ही केंद्रित रहेगा, सैन्य क्षेत्र में नहीं। अधिकारियों ने बताया कि आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को ध्वस्त करने के संयुक्त अभियान का यह मतलब नहीं है कि दोनों देश कोई संयुक्त कार्रवाई करने जा रहे हैं। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के प्रावधानों के तहत ही एक-दूसरे का सहयोग करेंगे।

'लश्कर, जैश, डी-कंपनी, हक्कानी नेटवर्क और अल कायदा को आर्थिक और कूटनीतिक मदद रोकने के लिए दोनों देश मिलकर काम करेंगे।'

-सैयद अकबरुद्दीन, प्रवक्ता विदेश मंत्रालय

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