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लाहौर धमाका मामले में हिरासत में लिए गए 200 से ज्यादा लोग

लाहौर में बीते रविवार को हुए धमाके के मामले में पाकिस्तान में 200 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक पाक गृह मंत्री ने इसकी पुष्टि की है।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Tue, 29 Mar 2016 07:15 PM (IST)
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लाहौर। लाहौर में बीते रविवार को हुए धमाके के मामले में पाकिस्तान में 200 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक पाक गृह मंत्री ने इसकी पुष्टि की है।

गौरतलब है कि बीते रविवार को लाहौर के इकबार शहर में गुलशन-ए-इकबाल पार्क में एक जोरदार धमाका सुनाई दिया था। इस धमाके में कम से कम 69 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 100 लोग घायल हुए थे।

वहां पर मौजूद लोगों का कहना है कि धमाके के बाद चारों तरफ खून ही खून फैला था। धमाका इतना जोरदार था कि वहां मौजूद आसपास के लोगों के लोगों के शरीर के चिथड़े तक उड़ गए। इकबाल टाउन के एसपी डॉ. मुहम्मद इकबाल का कहना है कि धमाका एक आत्मघाती हमला था जो चिल्ड्रेन पार्क में हुआ। यहां पर काफी तादाद में लोग अपने परिवार के साथ आते थे। खासकर महिलाएं रविवार को अपने बच्चों के साथ शाम को इस पार्क में आती थी।

इस्लामाबाद को कातिल के समर्थकों ने बनाया बंधक

इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद को मुमताज कादरी के समर्थकों ने लगातार तीसरे दिन मंगलवार को बंधक बनाए रखा। करीब 750 समर्थक गिरफ्तार किए गए हैं। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। ये कादरी को शहीद घोषित करने की मांग पर अड़े हुए हैं।

पंजाब प्रांत के गवर्नर रहे सलमान तासीर के हत्यारे कादरी को 29 फरवरी को फांसी पर लटकाया गया था। इसके विरोध में करीब 25 हजार लोग रविवार को इस्लामाबाद के अति सुरक्षित इलाके में घुस गए और जमकर हिंसा की। सैकड़ों लोग संसद और अन्य महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठानों के बाहर डेरा डालकर बैठ गए हैं। सुन्नी तहरीक और तहरीक-ए-लबायक जैसे धार्मिक संगठनों के नेतृत्व में यह प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान में शरिया शासन लागू करने, रावलपिंडी के अदियाला जेल की जिस बैरक में कादरी को रखा गया था उसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने और ईश निंदा की दोषी ईसाई महिला आसिया बीबी को फांसी देने की भी मांग कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी स्थानीय प्रशासन की बजाय सेना या सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करना चाहते हैं। दूसरी ओर, राजधानी के अति सुरक्षित क्षेत्र में प्रदर्शनकारियों के घुसने के बाद से नवाज शरीफ सरकार मीडिया, विपक्ष और सिविल सोसायटी के निशाने पर है।

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