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अमेरिका ने कोरियाई समुद्र में भेजी परमाणु पनडुब्बी, पढ़ें क्या है इसकी खासियत?

मिशिगन पनडुब्बी नौसेना की तीसरी पीढ़ी की पनडुब्बी से लांच किए जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइल ट्राइडेंट सी-4 को लेकर जा सकती है।

By Digpal SinghEdited By: Updated: Wed, 26 Apr 2017 03:49 PM (IST)
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अमेरिका ने कोरियाई समुद्र में भेजी परमाणु पनडुब्बी, पढ़ें क्या है इसकी खासियत?
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। दोनों के बीच युद्ध की संभावनाएं काफी प्रबल दिख रही हैं। विशेषज्ञों को भी अब दोनों देशों के बीच लड़ाई का खतरा मंडराता दिख रहा है। इस बीच अमेरिका की एक परमाणु पनडुब्बी मंगलवार को कोरियाई प्रायद्वीप में पहुंच गई है। यूएसएस मिशीगन नाम की यह पनडुब्बी 154 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों और 60 विशेष सैन्यबलों से लैस है।

विमानवाहक युद्धपोत कार्ल विंसन के साथ यह पनडुब्बी दक्षिण कोरिया के बुसान बंदरगाह पर पहुंची है। उत्तर कोरिया की हर हरकत पर पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया नजर बनाए हुए है। इस बीच उत्तर कोरिया ने अपनी सेना के 85वें स्थापना दिवस पर वोनसान शहर के पास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किया है।

उत्तर कोरिया के साथ बढ़ती तनातनी के बीच अमेरिका ने बुधवार को व्हाइट हाउस में इस मुद्दे पर होने वाली ब्रीफिंग में सीनेट के सभी सदस्यों को शामिल होने के लिए कहा गया है।

'यूएसएस मिशिगन पनडुब्बी' अमेरिकी नौसेना में शामिल ओहायो क्लास परमाणु ऊर्जा संचालित दूसरी पनडुब्बी है। अमेरिकी शहर मिशिगन नाम से यह तीसरा शिप है। मिशिगन पनडुब्बी का निर्माण कनेक्टीकट, ग्रोटन में जनरल डायनमिक्स कॉर्पोरेशन के इलेक्ट्रिक बोट डिविजन में बनी है। इसे 11 सितंबर 1982 को नौसेना में कमीशन किया गया था।

चीन के मिसाइल परीक्षण पर 28 जून 2010 को अमेरिका ने पूर्वी चीन सागर में ओहायो क्लास पनडुब्बी मिशिगन को वहां तैनात किया था। मिशिगन, ओहायो और फ्लोरिडा एक-एक कर दक्षिण कोरिया के समुद्र, फिलीपीन्स और हिंद महासागर में गस्त लगाती रहती हैं।

मिशिगन पनडुब्बी नौसेना की तीसरी पीढ़ी की पनडुब्बी से लांच किए जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइल ट्राइडेंट सी-4 को लेकर जा सकती है। शीत युद्ध के खत्म होने के बाद मिशिगन, ओहायो और दो अन्य शिप यूएसएस फ्लोरिडा और यूएसएस जॉर्जिया को डिकमीशन (रिटायर) किया जाना था। लेकिन इससे हटते हुए नौसेना ने इसे टॉमहॉक लैंड अटैक मिसाइल और अन्य बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने लायक बना दिया।

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