निकाय चुनाव 'कमल' पर लड़ेगी भाजपा
भाजपा अब अप्रैल में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव भी पूरी तरह पार्टी सिंबल पर ही मैदान में उतरेगी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 28 Jan 2018 09:09 PM (IST)
देहरादून, [विकास धूलिया]: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर सत्ता तक पहुंची भाजपा अब अप्रैल में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव भी पूरी तरह पार्टी सिंबल पर ही मैदान में उतरेगी। नगर निगम, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में भाजपा प्रत्याशी कमल के निशान पर जनादेश हासिल करने की कोशिश करेंगे।
यही नहीं, पार्टी के पक्ष में पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में चली नमो लहर का फायदा स्थानीय चुनाव में भी उठाने की रणनीति के तहत भाजपा अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव में भी चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर विचार कर रही है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत का कहना है कि पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने से विजयी प्रत्याशियों की खरीद फरोख्त पर अंकुश लगाने में कामयाबी मिलेगी।उत्तराखंड में लगभग दो महीने बाद निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा राज्य की 70 में से 57 सीटें जीत कर तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत पाकर सत्ता तक पहुंची। इससे पूर्व, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा राज्य की पांचों सीटों पर काबिज होने में कामयाब रही थी। इस लिहाज से देखा जाए तो प्रदेश भाजपा पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव के पिछले प्रदर्शन को दोहराने का भारी दबाव है।
सूबे में भाजपा की मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस इन दोनों चुनाव में जनाकांक्षाओं पर खरा नहीं उतर पाई। हालांकि, आगामी निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस जोरदार तैयारियों में जुटी हुई है, लेकिन चार साल में लगे इन झटकों से उबरना पार्टी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं कहा जा सकता।अगर भाजपा की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में योगी सरकार के जोरदार प्रदर्शन से उसकी तुलना उत्तराखंड के आगामी निकाय चुनाव से किया जाना लाजिमी है। उत्तर प्रदेश में भाजपा 16 में से 14 निगमों में महापौर पद कब्जाने में सफल रही। इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तराखंड में भाजपा के लिए सबसे पहली चुनौती राज्य के आठ नगर निगम के महापौर पद के चुनाव ही हैं। इसके अलावा नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के अध्यक्ष के पदों पर जीत दर्ज करने की चुनौती से भी पार्टी को जूझना होगा।
राज्य के कुल 92 नगर निकायों में से आठ नगर निगम, 41 नगर पालिका परिषद व 43 नगर पंचायतें शामिल हैं। इनमें से नगर निगम रुड़की के अलावा दो अन्य निकायों बाजपुर व भतरौंजखान में कोर्ट से स्टे चल रहा है। अदालत का फैसला आने के बाद ही इन तीन निकायों के संबंध में निर्णय होगा। वहीं, बदरीनाथ, केदारनाथ व गंगोत्री में चुनाव नहीं होते हैं।
दरअसल, जिस तरह भाजपा ने लोकसभा व विधानसभा चुनाव में रिकार्ड जीत हासिल की, उसे दोहराने के लिए पार्टी निकाय चुनाव भी सिंबल पर लड़ने की तैयारी में है। स्वयं भाजपा के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। जागरण से बातचीत में रावत ने कहा कि भाजपा नगर निगम से लेकर नगर पालिका परिषद व नगर पंचायतों के चुनाव पार्टी सिंबल पर ही लड़ेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा के पक्ष में माहौल है और पार्टी की नीतियों से जनता पूरी तरह संतुष्ट है। बकौल तीरथ सिंह रावत, अगले साल होने वाले पंचायत चुनावों में भी पार्टी अपने चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरने पर विचार कर रही है। पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने से विजयी प्रत्याशियों की खरीद-फरोख्त की आशंका को समाप्त किया जा सकता है।उधर, राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुबद्र्धन का कहना है कि कोई भी पार्टी नगर निकाय चुनाव अपने चुनाव चिह्न पर लड़ सकती है। इसमें नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायतें शामिल हैं। हालांकि, पंचायतों में केवल जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव ही अब तक पार्टी सिंबल पर होता है।यह भी पढ़ें: मोदी सरकार की 'उड़ान' से हरीश रावत हुए खुशयह भी पढ़ें: भाजपा ने आजीवन सहयोग निधि अभियान का समय बढ़ाया
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