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चुनाव से पहले लुटाया धन, कांग्रेस लाल-पीली

धन वर्षा से निकाय तो गदगद हैं ही, अलबत्ता सत्तारूढ़ भाजपा के इस दांव ने कांग्रेस को लाल-पीला कर दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 28 Jan 2018 09:09 PM (IST)
चुनाव से पहले लुटाया धन, कांग्रेस लाल-पीली
देहरादून, [रविंद्र बड़थ्वाल]: नगर निकायों के चुनाव भले ही उत्तराखंड में हों, लेकिन इस पर राज्य सरकार ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की टकटकी भी लगी हुई है। शहरी मतदाताओं को लुभाने में दोनों ही कसर नहीं छोड़ना चाहते। वजह निकाय चुनाव के रास्ते अगले वर्ष 2019 का सफर भी तय करना है। लिहाजा चुनाव से महज चार महीने पहले राज्य सरकार ने चौथे वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर निकायों के लिए पोटली खोल दी तो फिर केंद्र सरकार ने भी आनन-फानन में 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों पर चालू वित्तीय वर्ष की पहली किश्त राज्य के निकायों पर लुटाने में देर नहीं की। इस धन वर्षा से निकाय तो गदगद हैं ही, अलबत्ता सत्तारूढ़ भाजपा के इस दांव ने कांग्रेस को लाल-पीला कर दिया है। प्रमुख विपक्षी दल इसे चुनावी कवायद के तौर पर देखते हुए सरकार की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है। 

विधानसभा चुनाव के बाद इस पहले बड़े नगर निकाय चुनाव को सत्तारूढ़ भाजपा और प्रमुख प्रतिपक्षी पार्टी कांग्रेस के लिए अहम माना जा रहा है। सूबे की सियासत की दोनों बड़ी पार्टियों की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर लगी है। तीन चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई भाजपा निकाय चुनाव के जरिये जनता पर अपनी पकड़ कायम रहने का संदेश मजबूती से देने का दबाव है तो वहीं कांग्रेस को विधानसभा चुनाव की करारी पराजय से उबरकर जनता पर पैठ मजबूत करने का संदेश देना है। निकाय चुनाव के बाद अगले वर्ष 2019 में लोकसभा के चुनाव होने हैं। लिहाजा आम चुनाव से पहले सेमीफाइनल माने जा रहे निकाय चुनाव को लेकर दोनों ही दल ताकत झोंके हुए हैं। 

सियासी दांव-पेचों के बीच पहले राज्य सरकार और अब केंद्र सरकार ने भी निकायों पर मेहर बरसाने में कसर नहीं छोड़ रहे हैं। राज्य में पिछले निकाय चुनाव में भी भाजपा ने अच्छा प्रदर्शन कर तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। चूंकि, अब राज्य और केंद्र दोनों ही जगह भाजपा की सरकारें हैं तो निकायों को वित्तीय मदद में दिक्कतें पेश नहीं आ रही हैं। बीते माह दिसंबर के अंतिम हफ्ते में राज्य सरकार ने चतुर्थ राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के रूप में चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 की अंतिम किश्त के रूप में 138.55 करोड़ रुपये निकायों को दिए थे। अब केंद्र सरकार ने भी 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर इस वित्तीय वर्ष की पहली किश्त के रूप में 46 करोड़ 97 लाख 25 हजार रुपये की राशि जारी कर दी। केंद्र से धन मिलते ही राज्य सरकार ने भी बगैर देर किए इसे निकायों के हवाले कर दिया है। 

चुनाव से पहले करोड़ों रुपये की धन वर्षा से निकायों में बुनियादी नागरिक सुविधाओं के स्तर को सुधारने, जलापूर्ति, सीवरेज, कूड़ा निस्तारण, सड़कों-फुटपाथों व कब्रिस्तान-श्मशान के रखरखाव पर खर्च किया जा सकेगा। वहीं चुनाव के मौके पर वार्डों में गली-मोहल्लों में स्ट्रीट लाइट की चकाचौंध बिखेरने में निकायों को हिचक नहीं होने वाली। वहीं राज्य और केंद्र सरकार की ओर से चुनाव से पहले धनराशि जारी करने से कांग्रेस में बेचैनी है। पार्टी सरकार के इस कदम को चुनाव को ध्यान में रखकर की जाने वाली कसरत करार दे रही है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरादत्त जोशी का कहना है कि सरकार निकाय चुनाव से पहले धनराशि जारी कर मतदाताओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। हालांकि, इससे सरकार और सत्तारूढ़ दल को फायदा नहीं होगा। जन सुविधाओं के विस्तार की आम जनता की उम्मीदों को नगर निकाय पूरा नहीं कर पा रहे हैं। चुनाव से ऐन पहले जारी की गई धनराशि से भी जनाक्रोश को थामा नहीं जा सकता।

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